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Deepshikha Singh
किताब सा चेहरा या चेहरे सी किताब कौन किसे पढ़ रहा है? वो जुल्फों की सफेदी या कागज का पीलापन गिनती झुर्रियां या दर दराई कागजी कोने कौन ज्यादा उम्र्जदा? चेहरे का रूहानी नूर पन्नों पर बिछी स्याही
Anita Saini
प्रकृति विचित्रताओं की जननी है हर तुच्छ समझी जाने वाली वस्तु का भी अस्तित्व महत्वपूर्ण है अगर फूल को खिलना है तो उसको मुरझाना भी है उन्हें नए रूप में जो ढलना है, अब इत्र जो बनना है! पत्तों का पीलापन नवजीवन का द्योतक है! नव-पल्लव का उद्घोषक है! स्वस्थ जीवन-चक्र के लिए मौसम सब अच्छे होते हैं... सुप्रभात। सोचा है कि अगर मौसम ना बदले तो सब कैसा होगा..? प्रकृति परिवर्तनशील क्यूँ है..? हर सजीव वस्तु के लिए गतिशीलता आवश्यक क्यूँ..? प्र
Nisheeth pandey
◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆ __________ घर के किसी एकांत शांत कोने में , अखबार ले कर बैठ गया आज अखबार की रंगरूप पर नज़रें टिकी , मन ने कहा देखो निशीथ पूरे देश दुनिया का खबर तुम्हारे घर तक पहुंचाने वाला अखवार के पन्ने देखो मटमैला सा खुद सहारे की भीख मांगता सा पीलिया का बीमार सा पीलापन लिये कितना बीमार सा लगता है .... मटमैला सा पीलापन पीड़ित सा अखबार... अख़बार में कल का घटनाक्रम आज काली श्याही में घुल गई , प्रथम पन्ने पर चेतावनी , कोरोना के कब्जे में देशवासी, मानवता की विचित्र सार, बुद्धिजीवीयो के बोलबच्चन हज़ार, फिर भी मानसिक रूप से बीमार... बूढ़े माँ-बाप अपने ही घर से बेघर, 3साल 6 साल की मासूम बच्ची का बलात्कार.... पन्ने पलटते हैं अब, एक मौलवी का एलान , अपराध का संरक्षण ही सबसे बड़ा मजहब की दुहाई देश को डराने धमकाने का बोल बचन.. थोड़ी ठंडी थोड़ी गर्म चाय की चुस्की के साथ पन्ने पलटते रहे.. विदेशी घुसपैठ, रोहिंग्या का विभिन्न जगहों पर कब्जा , खाने पर बढ़ता वैट, रोज धराशायी होते जेट, अभी आधा अखबार ही पलटा था.. सारा देश भ्रस्टाचार में , पानी मे चीनी की तरह घुल रहा था, कोयला भी काला धन उगल रहा था... देशद्रोही देश के खिलाफ आग उगल रहा था , प्रधानमंत्री को अपशब्द बोल रहा था .... सडको पर मौत बाँटते तब्लीगी , फल सब्जी वाले और रईसजादे... आधे गैर मुल्क वाले तो आधे अपने देश वाले.. क्रिकेट के शोर, फुटबॉल के उभरते गोल, अभिनेताओ के बदलते रोल.. बच्चे नशे में धुत .... मंगल और चांद पर जिंदगी तलासते वैज्ञानीक, धरती पर सुखता पानी.. आज के अखबार के पन्नों का ताज़े थे खबरें पर समझ में आ गया था क्यों पीली पड़ चुकी थी पन्ने .. मेरे चेहरे पर बदलते तेवर थे , मन व्याकुल हो रहा था अब ... क्या बताऊँ हमने पढ़ ली क्या अखबार ..... अब जल रहा सारा शहर है आखों में ...... 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey ◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆ __________ घर के किसी एकांत शांत कोने में , अखबार ले कर बैठ गया
Rakesh Dwivedi
गर्मियों के मौसम में ठंडा मीठा और रसीला ऋतुफल "शहतूत".. शहतूत सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. यह स्वादिष्ट और शीतल फल है. आयुर्वेद में शहतूत के कई फायदों के बारे में बताया गया है. शहतूत में मौजूद गुण शरीर में पानी की कमी को दूर करके प्यास को बुझाते हैं. साथ ही साथ यह पेट की जलन और पेट के कीड़ों कों खत्म करता है. शहतूत में मौजूद पोटेशियम, विटामिन ए और फास्फोरस शरीर के कई रोगों जैसे जोड़ों के दर्द, गले की बीमारी और आमवात को ठीक करते हैं. शहतूत के स्वास्थ्यवर्धक फायदे: * शहतूत खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है. और जुकाम भी ठीक होता है. * कब्ज और पेशाब संबंधी रोग शहतूत खाने से ठीक होते हैं. * शहतूत खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और इसमें मौजूद गुण इंसान की त्वचा को हमेशा जवां और चमकदार बनाए रखते हैं. * गर्मियों में शहतूत आपको लू से बचाता है. लू से बचने के लिए हमेशा शहतूत खाएं. * शहतूत सेवन करने से लीवर की बीमारी, पेशाब में जलन और गुर्दों की बीमारी भी ठीक होती है. अब पके हुए शेतुर यानी शहतूत को ऐसे ही कोरा ठंडा करके खाएं या इसका जूस बनाकर पियें या इसका जैम बनाकर खाएं या इसकी चटपटी लौंजी बनाकर खायें... गर्मियों में आनेवाले इन फलों का सेवन कर सेहतमंद रहिए... राजस्थान में शहतूत हरे या हल्का पीलापन लिये हुए रंग में आती है... कई अन्य प्रदेश में काली या गहरे भूरे रंग में आती है.. ©Rakesh Dwivedi गर्मियों के मौसम में ठंडा मीठा और रसीला ऋतुफल "शहतूत".. शहतूत सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. यह स्वादिष्ट और शीतल फल है. आयुर्वेद में शह
Divyanshu Pathak
मैं भारतीय जीवनशैली के वैभवशाली इतिहास में यहाँ की मिट्टी और पर्यावरण का विशेष योगदान मानता हूँ।आज हम प्रकृति के सामीप्य का ढोंग तो करते हैं लेकिन हमें ये पता नहीं होता कि ऋतुओं के अनुरूप पथ्य और अपथ्य क्या है?पहला सुख निरोगी काया तो सब जानते हैं। फिर भी भक्ष्य और अभक्ष्य का भेद भुलाकर "स्वाद" के ग़ुलाम हो नए रोगों को निमंत्रण देते हैं। घी- संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएं आपको। माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन। "भादवे का घी" भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है। जिसे हम घास कहते हैं। वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ #औषधियाँ हैं। इनमें धामन जो कि गायों को