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roshan
आना है तॊ आ जाना है तो जा.... घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना मुझे शोभा देगा क्या? पानी का नही नाम साब्जी को नही दाम बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे? कुवा सुख गया है नदी नाला रुख गया है बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा.... बेजान सहै पत्थर पर बिना कुछ चडाये बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे? भावनिक मै बहोत हू दिल मे तुम्हेहीं रखता हू पानी बचाते बचाते बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा..... ....रोशन देसाई.... 12/02/20 इन हिंदी
S.Badoni गढ़वाली
कुछ तुम ही कहो , मौन हो स्तब्ध हूं मैं । कुछ तो तुम उपकार करो , शब्द दो अशब्द हूं मैं।। क्या मुझे कुछ अनुभव है ? हां, प्रतीत तो कुछ होता सा है । कहो , कुछ तुम ही कहो, आखिर क्यों, मन से क्षुभित हूं मैं ।। क्या मुझे कुछ दुःख है ? दुःख, वही प्रेम का वियोग सा है । शायद हां, लेकिन तुम कुछ कहो, क्यों आखिर हृदय से व्यथित हूं मैं ।। क्या तुम भी समझ ना पायी मुझे , तो कौन समझेगा ? तुम्हारे बिन अधूरा सा हूं मैं । कहो, कहो ना , तुम कुछ कह ही दो ना , आखिर कब तक शब्द बिन निःशब्द रहूं मैं ।। कुछ तुम ही कहो , ........................... ।। ©S.Badoni गढ़वाली #अंतरात्मा
Vikas Sharma Shivaaya'
तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ । मन परतीति न उपजै, जीव बेसास न होइ । तेरा साथी कोई भी नहीं है,सब मनुष्य स्वार्थ में बंधे हुए हैं, जब तक इस बात की प्रतीति –भरोसा –मन में उत्पन्न नहीं होता तब तक आत्मा के प्रति विशवास जाग्रत नहीं होता।वास्तविकता का ज्ञान न होने से मनुष्य संसार में रमा रहता है जब संसार के सच को जान लेता है –इस स्वार्थमय सृष्टि को समझ लेता है –तब ही अंतरात्मा की ओर उन्मुख होता है –भीतर झांकता है ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' अंतरात्मा
Hitesh Singh
Rain कुछ ख्वाब हैं इन बंद आँखों में. बस इसी चीज से परेशान हूँ. कि आँखे खोलूंगा तो ख्बाब पूरे होंगे या टूटेंगे.. अंतरात्मा
Ankit Nagar
मैंने कभी लोगों से मिलने के लिए मुखौटा नहीं पहना चाहे वक्त कैसा भी हो... मैंने कभी लोगों के लिए अपनी नजर और नजरिये को नहीं बदला चाहे इंसान कैसा भी हो.. अंतरात्मा
नीरज सिंह ठाकुर
कलम उठाई लिखने को पर अल्फाज़ नहीं मिलता, दिल के दर्द का मर्ज़ जाने ऐसा यार नहीं मिलता... सूकून का तो हर कोई दीवाना होता है, हमे तो चाह अब सिर्फ टीस की रहती है.. सब रफू हो जाता है यहां कोई फटे अरमान नहीं सिलता, दिल के दर्द का मर्ज़ जाने ऐसा यार नहीं मिलता... दोस्त मेरे हजार भी है दो चार भी है, दुश्मन मेरे सामने लाचार भी है.. दुश्मनी ही अच्छी, टूटा दिल बार बार नहीं जुड़ता, दिल के दर्द का मर्ज़ जाने ऐसा यार नहीं मिलता... चलो भी बढ़ते रहो अब कितना कोसोंगे कायनात को, सबकी दुआ कबूल होती है सच्ची चाहे दिन हो या रात को.. सिखाया जाता है जिंदगी में जहर बस यूं ही नहीं घुलता, दिल के दर्द का मर्ज़ जाने ऐसा यार नहीं मिलता... ©नीरज सिंह ठाकुर #अंतरात्मा
Parasram Arora
वो आया दस्तक दी और लौट गया है बदलिया उठी हवाएं चली और सूरज भी से बादलो से बच कर बाहर आ गया है लगा जैसे ग्रिष्म की घास पर मदहोशी का अर्क पीते हुए..... रूधे हुए शब्दों की ध्वनि कों चीरते हुए चंद हल्के चुम्बन और आलिंगनो से उन्मुक्त होने के बाद वो आज अपनी अंतरआत्मा के अस्तित्व तक पहुंच गया है ©Parasram Arora अंतरात्मा....