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Poetry with Avdhesh Kanojia
प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार वृषभान की दुलारी हैं। ब्रजराज नंदलाल हृदय कमल बसैं, कमल नयन के नयन को वो प्यारी हैं। साँवरे की साँवरी सलोनी छवि प्यारी अति, ये भी मिली राधिका से प्रेम में उधारी है। तत्व रूप में हैं एक करते लीला अनेक, भगवती राधिका हैं केशव पुजारी हैं। ✍️अवधेश कनौजि ©Avdhesh Kanojia #गोवर्धन_पूजा #प्रेम #Love प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार वृषभान की दुलारी हैं। ब्रजराज नंदलाल हृ
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प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार वृषभान की दुलारी हैं। ब्रजराज नंदलाल हृदय कमल बसैं, कमल नयन के नयन को वो प्यारी हैं। साँवरे की साँवरी सलोनी छवि प्यारी अति, ये भी मिली राधिका से प्रेम में उधारी है। तत्व रूप में हैं एक करते लीला अनेक, भगवती राधिका हैं केशव पुजारी है। #radhakrishna #राधाकृष्ण #poem #poetry #कविता #love #lovequotes प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार वृष
Poetry with Avdhesh Kanojia
प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार वृषभान की दुलारी हैं। ब्रजराज नंदलाल हृदय कमल बसैं, कमल नयन के नयन को वो प्यारी हैं। साँवरे की साँवरी सलोनी छवि प्यारी अति, ये भी मिली राधिका से प्रेम में उधारी है। तत्व रूप में हैं एक करते लीला अनेक, भगवती राधिका हैं केशव पुजारी हैं। ✍️अवधेश कनौजिया© #Love #प्रेम #कविता #poem #Poetry प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार वृषभान की दुलारी हैं। ब्रजराज नंद
Poetry with Avdhesh Kanojia
प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार वृषभान की दुलारी हैं। ब्रजराज नंदलाल हृदय कमल बसैं, कमल नयन के नयन को वो प्यारी हैं। साँवरे की साँवरी सलोनी छवि प्यारी अति, ये भी मिली राधिका से प्रेम में उधारी है। तत्व रूप में हैं एक करते लीला अनेक, भगवती राधिका हैं केशव पुजारी हैं। #गोवर्धनपूजा #कृष्णमेरे #poem #poetry #love #lovequotes #quote प्रेमसुधा ---------- श्याम को जो प्यारो नाम रटते जो आठो याम, जगत आधार व
Anjana Gupta Astrologer
कृषिर्भूवाचकः शब्दोणश्च निर्वृतिवाचकः। तयोरैक्यं परं ब्रह्म कृष्ण इत्यभिधीयते।।" ‘कृष्’ भूवाचक है। भू माने सत्ता है। सत्ता माने भाव है। भाव माने स्थायी भाव है। वह सत्ता महासत्ता रूप है, जिसके बिना सब असत् है, उसी स्वप्रकाश सत् से सब की सत्ता है, वही ‘कृष्ण’ हैं। इसमें णकार निर्वृति का द्योतक है, वही श्री राधा हैं। आनन्द की आन्तरात्मा अह्नाद-दोनों एक तत्त्व हैं, भेद नहीं। राधिका
pihu sharma
किस्मत में साथ नहीं लिखा तो क्या हुआ मैं राधिका जैसी सदैव सिर्फ़ उससे प्रेम करती हूं और मेरे कान्हा ने भी सांसों की हर एक लय में सिर्फ़ अपनी राधिका को बसाया है ©pihu sharma #राधिका #radhakrishnalove