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एक इबादत
aAKROSH डार्विन आइलैंड पर कोई रहता नहीं है. यह 2.33 वर्ग किलोमीटर में फैला द्वीप है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 551 फीट है. डार्विन आर्क एक ब्रिज जैसा
Mularam Bana
विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर देशवासियों को पर्यावरण रक्षा व मानव कल्याण सेवा संघ कि तरफ से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। राजस्थान का अपनी समृ
Insprational Qoute
""अनेकता में एकता ऐसी विविधता से भरी भारतीय संस्कृति है, वास्तुकला का सुमेलन और गीतों का गुंजन तो वाणी में प्रीति है,"" सम्पूर्ण निबंध अनुशीर्षक में पढ़े। निबंध:- भारतीय संस्कृति ********************** ""अनेकता में एकता ऐसी विविधता से भरी भारतीय संस्कृति है, वास्तुकला का सुमेलन और गीतों क
Mahima Jain
इस कोरोना काल में जहां घर से निकलना लगभग बंद हो गया, वहां आज मुझे उन जगहों के बारे में लिखना हैं, जहां मैं जाना चाहती हूं। एक सच बात बताऊं मैं आज तक ट्रेन में नहीं बैठी। दिल्ली से बाहर 2-3 बार जाना हुआ और हर बार कैब से। बचपन से स्कूल में जब सब छुट्टियों में अपनी घूमने की कहानियां बताते थे, मैं बस चुपचाप सुनती थी। ऐसे तो मेरी कोई बहुत बड़ी लिस्ट नहीं है पर हां बचपन से सिर्फ़ एक जगह है जहां मुझे हर हाल में जाना ही है। जब पहली बार *3 इडियट्स* में उस जगह को देखा था, उसकी सुन्दरता की मैं कायल हो गई थी। फिर *जब तक है जान* तो पूरी फ़िल्म ही वहां दर्शाई गई है। जी हां वो है "लद्दाख"। नीला पानी, आकाश को चूमते पर्वत और सीधा एवं सरल जीवन, कितनी शांति है ना वहां। पहले लद्दाख जाना आसान लगता था, लगता था एक दिन अपना ये सपना ज़रूर पूरा करूंगी। मैंने तो बुलेट चलानी भी सीखी थी। पर पिछले साल उसके केंद्र शासित प्रदेश बनने और उसके बाद हो रहे निरंतर हो रही जंग के बाद पर्यटकों का वहां जाना थोड़ा नामुमकिन सा ही है। इसके अलावा मुझे मौका मिला तो केरल और केदारनाथ भी जाना चाहती हूं। पर वहां भी कुछ सालों पहले कुदरत अपना कहर दिखा चुकी है, जिसकी वजह से वहां भी काफ़ी कुछ नष्ट हो चुका है। अब देखतें है भविष्य में क्या होता है। पहले तो कोरोना कहीं जाए, तब ही हम कहीं जा पाएंगे।। •| संक्षिप्त निबन्ध |• विषय - जिन स्थानों पर आप जाना चाहते हैं। इस कोरोना काल में जहां घर से निकलना लगभग बंद हो गया, वहां आज मुझे उन जगहों
The Sarvajeet Krishna
. Caption ग्रेटर नोएडा आए हुए मुझे तकरीबन डेढ़ साल हो गए हैं, मगर दिल्ली घूमने के नाम पर मैंने सिर्फ लाल किला ही देखा है। शनिवार और रविवार को चादर तान
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इस मंदिर मे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है, पढ़िए इसका इतिहास !! 🐚🐚 {Bolo Ji Radhey Radhey} पांडुपोल हनुमानजी मंदिर :- 🌊 पांडुपोल का हनुमान मंदिर राजस्थान के सरिस्का राष्ट्रीय बाघ अभयारण्य के अंदर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। जिसमे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है। अरावली रेंज के ऊंचे कगार वाले पहाड़ी के बीच,स्थित पांडुपोल का प्राचीन हनुमान मंदिर अलवर में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। मंदिर के परिसर लंगूर, मकाक और कई प्रकार के पक्षियों और अपने भव्य 35-फुट झरने के लिए भी प्रसिद्ध है। पांडुपोल का इतिहास :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर इतिहास 5000 साल पुराना माना जाता है, पौराणिक कथा के अनुसार भीम ने अपनी गदा से प्रहार किया जिससे पहाड़ मे दरवाजा निकल गया और पहाड़ पर बना दरवाजा ही पांडुपोल हनुमान मंदिर के नाम से स्थापित हो गया। एक अन्य कथा के अनुसार, पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया था। पांडुपोल धाम का रहस्य :- 🌊 आपको बता दे की पांडुपोल वही रहस्यमयी स्थान जहा पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान अपने कुछ साल पांडुपोल में बिताए थे। जबकि एक अन्य कथा के अनुसार, यह पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया। पांडुपोल का मेला :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर का मेला अलवर का एक लोकप्रिय मेला है जो हर साल भादौ शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरता है। जहा बड़ी संख्या में दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश व अन्य जगहों से श्रद्धालु आते है। पांडुपोल हनुमान जी के दर्शन का समय :- 🌊 अगर आप पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने का प्लान बना रहे है तो आपको बता दे की आप पांडुपोल हनुमान मंदिर घूमने जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बेहतर समय माना जाता है। पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने के लिए सर्दियाँ का समय आदर्श समय होता है क्योंकि इस दौरान मौसम बहुत सुहावना होता है। पांपांडुपोल हनुमान मंदिर पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से शाम 10.00 बजे तक खुला रहता है। पांडुपोल भरतरी कैसे पंहुचा जाये :-🌊 दिल्ली से 165 किलोमीटर और जयपुर से 110 किलोमीटर दूर, स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर आप ट्रेन, सड़क या हवाई मार्ग से यात्रा करके पहुच सकतें हैं। फ्लाइट से पांडुपोल हनुमान मंदिर कैसे पहुचे :- 🌊 अगर आप फ्लाइट से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने का प्लान बना रहे है तो बता दे की पांडुपोल हनुमान मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है, जो पांडुपोल हनुमान मंदिर से लगभग 110 किलोमीटर दूर है। आप जयपुर तक किसी भी प्रमुख शहर से उड़ान भरकर पहुच सकते है, और फिर वहा से पांडुपोल हनुमान मंदिर पहुंचने के लिए बस या एक टैक्सी किराए पर ले सकते है। सड़क मार्ग से पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर कैसे पहुँचे :- 🌊 राज्य के विभिन्न शहरों से अलवर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। चाहे दिन हो या रात इस रूट पर नियमित बसे उपलब्ध रहती हैं। जयपुर, जोधपुर आदि स्थानों से आप अलवर के लिए टैक्सी ,कैब किराए पर ले कर या अपनी कार से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर पहुच सकते हैं। ट्रेन से पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर कैसे पहुँचे :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन है जो शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन है जहां के लिए भारत और राज्य के कई प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेन संचालित हैं। आप ट्रेन से यात्रा करके अलवर पहुच सकते है और वहा से बस से या टैक्सी किराये पर ले कर पांडुपोल हनुमान मंदिर पहुच सकते हैं। ©N S Yadav GoldMine #snowfall इस मंदिर मे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है, पढ़िए इसका इतिहास !! 🐚🐚 {Bolo Ji Radhey Radhey} पांडुपो
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माना जाता हैं, कि भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने से आपके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं जानिए इस मंदिर का इतिहास !! 🎊{Bolo Ji Radhey Radhey}🎊 सोनपुर हरिहरनाथ मंदिर :- 🙏 हरिहरनाथ मंदिर भारत के बिहार राज्य के सोनपुर में गंडक और गंगेश नदी के तट पर स्थित हैं। हरिहरनाथ मंदिर के प्रमुख देवता भगवान हरि विष्णु और भगवान हर शंकर हैं। माना जाता हैं कि हरिहरनाथ मंदिर अपनी तरह का एक मात्र तीर्थ स्थल हैं जहां हरी और हर दोनों एक साथ एक ही शिला पर स्थित है। सोनपुर में स्थित इस मंदिर की महिमा कुछ ऐसी हैं कि भक्त अपने आप ही खिचे चले आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने और भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है। इसी दिन से सोनपुर पशु मेले की शुरुआत होती हैं जोकि पर्यटकों को बहुत अधिक आकर्षित करता है। 🙏 माना जाता हैं कि भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने से आपके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं, और भक्त कभी अपने भगवान के दर से खाली हाथ नही जाते हैं। यदि आप हरिहरनाथ मंदिर के इतिहास और कहानी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े – 🙏 सोनपुर में स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर के बारे कई कहानियां सामने आती हैं। माना जाता हैं कि हरिहरनाथ टेम्पल सोनपुर बिहार की स्थापना भगवान राम ने सीता स्वयंबरम के लिए जाते समय मार्ग में की थी। हालाकि इतिहासकार इस पर एक मत नही हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार गज (हाथी) और ग्राह (घड़ियाल) के बीच छिडे युद्ध को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु को धरती पर आना पड़ा और उसी के परिणाम स्वरुप इस मंदिर की स्थापना हुई। 🙏 बता दें कि गज और ग्राह के बीच हुए युद्ध कि वजह से इस स्थान पर पशुओं को खरीदना शुभ माना जाता हैं। एक अन्य कथा के अनुसार बाणासुर की पुत्री के हरण के समय हुए युद्ध से भी हरिहरनाथ मंदिर का सम्बन्ध सामने आता हैं। भगवान श्री कृष्ण और बाणासुर के बीच हुए इस युद्ध कि जानकारी इतिहास और पौराणिक कथाओं में आज अंकित हैं। इस युद्ध की सबसे ख़ास बता यह थी कि इस युद्ध में भगवान शिव बाणासुर के पक्ष में थे। कहते हैं युद्ध समाप्त होने के पश्चात हरिहरनाथ मंदिर कि स्थापना भगवान ब्रह्म देव ने खुद अपने हाथो से की थी। हरिहरनाथ मंदिर का इतिहास :- 🙏 हरिहरनाथ मंदिर का इतिहास स्पष्ट नही हैं हालाकि मंदिर से सम्बंधित कहानियों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन हैं। जोकि भगवान राम के समय से सम्बंधित हैं। लेकिन यह भी कहा जाता हैं कि मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करबाया था। वर्तमान समय में स्थित मंदिर की संरचना को राजा राम नारायण ने मुगल शासन काल के दौरान करबाया था। हरिहरनाथ मंदिर का प्रमुख आकर्षण सोनपुर मेला :- 🙏 हरिहरनाथ मंदिर का इतिहास स्पष्ट नही हैं, हालाकि मंदिर से सम्बंधित कहानियों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन हैं। जोकि भगवान राम के समय से सम्बंधित हैं। लेकिन यह भी कहा जाता हैं, कि मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करबाया था। वर्तमान समय में स्थित मंदिर की संरचना को राजा राम नारायण ने मुगल शासन काल के दौरान करबाया था।🙏 ©N S Yadav GoldMine #SunSet माना जाता हैं, कि भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने से आपके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं जानिए इस मंदिर का इतिहास !! 🎊{Bolo Ji Radh
एक इबादत
क्रमागत उन्नति यानी इवोल्यूशन की थ्योरी देने वाले मशहूर वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने जिस जगह इवोल्यूशन की स्टडी की थी, वहां पर मौजूद विश्व प्रसिद्ध डार्विन आर्क समुद्र में गिर गया. यह पत्थर का बना प्राकृतिक मेहराब था. जिसके आसपास व्हेल शार्क और हैमरहेड शार्क अक्सर देखी जाती हैं. इस जगह जाने वाले पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र था. इसी आर्क के आसपास डार्विन ने इवोल्यूश की थ्योरी देने के लिए अध्ययन किया था... हाल ही में इक्वाडोर के पर्यावरण और जल मंत्रालय ने स्पैनिश भाषा में ट्वीट करके यह जानकारी दी कि डार्विन आइलैंड के पथरीले और ढलान वाले तट से 1
Vedantika
कहते है जिसे नगर कृष्ण का, आज रहस्य बना है। द्वारका तो है इस धरा पर, द्वारकाधीश कहाँ हैं? मानव मन के विश्वास में हुई हैं उसकी प्राण प्रतिष्ठा, न कोई भय रहा उसको कृष्ण करें जिसकी रक्षा। जबसे मानव जीवन का आरंभ हुआ है तबसे ईश्वर के प्रति आस्था और अनास्था को लेकर बहस का अस्तित्व भी उत्पन्न हो गया। यह एक ऐसा विवाद है जहाँ कितने