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Stories related to गोद भराई मुहूर्त august 2020

Prashant Shakun "कातिब"

Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी

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©Prashant Shakun "कातिब"  Writer 

म्हारी लाडो,
शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂

छोटी सी परी के जैसी

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार

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White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 
तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार

Schizology

August morning #poem #august

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August morning

It is six thirty am
In the morning
It's very warm still
The rain now falling

Birds are chirping
Happily they sing
A refreshing drink
The rain it brings

Geese and ducks
Splashing in the lake
Gathering around
Water sounds they make

After days of hot, 
Humid weather
The precipitation
May make it better

©Schizology August morning

#poem #august

theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter 
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे

बेजुबान शायर shivkumar

//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती

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//सुकुन आँचल का//

एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा
मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा

बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती है
स्वर्ग के अप्सरा भी यु मंद मंद कर वो मुस्कुराती है
मां की गोद में आकर भगवान भी यु बच्चे बन जाते हैं 
मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं

ईश्वर ने खुद को बनाया है 
एक ख्याल उनके मन में आया है 
अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है 
जिसका नाम माँ बतलाया है 

समंदर से गहरी ममता का होती है 
उठते तूफान को शांत वो करती है 
न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है 
मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है

वक्त बदल जाए हालात बदल जाए 
पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक
उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है
की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यु खिल जाता है

जब मांँ की आवाज कानों में आती है 
सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है 
घर से निकल कर सर को झुका देते है 
मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं

बचपन में हो या हो बड़े आज भी
मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है
मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है 
मांँ तेरी उस गोद में आ कर 


धनंजय शुक्ला✍

©बेजुबान शायर shivkumar //सुकुन आँचल का//

एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा
मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा

बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
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