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Abhinath Shrotriya
प्रेम..... भाव रस भावना स्जागर अडिग अपूर्व अमृत्व समान जो राधा राधा रटत चलत जो कान्हा कहलाए प्रेम भाव वो चमड़ी के चमक की माया फेर का भोग तिरस करत जब वो आत्म,अभिज्ञा, आत्मसमर्पण कर मस्तमगन यह भाव वो मृतुलोक चाहे गौलोक या स्वर्ग कहो व पाताल लोक इस रस में मगन करा भेंट ईष्ट से, मोक्ष प्राप्त का असल श्रोत जो शिव शक्ति या राधा कृष्णा,सियाराम सबमें एक प्रेम भाव सौ भाव भावना दर्श दिखाए अद्भुत परिकल्पना की सहस्त्रधार जो प्रेम रस में डूबा मन को निखर के आए प्रेम भाव वो ©Abhinath Shrotriya #Love प्रेम की परिकल्पना
Urmila Katariya
एक मौत है जो छोटा हो या बड़ा गरीब हो या अमीर मनुष्य हो या पशु सबके घर बिना बुलाए आती है ©Urmila Katariya #Nightlight मौत की विशेषता
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी मंदिर अब मंदिर नही राम जी का मर्यादा और न्याय की अवधारणा होगी बढेंगी भारत की गौरव गाथा राम राज्य की अब साकार परिकल्पना होगी। 🖋️ प्रवीण जैन "पल्लव" राम राज्य की परिकल्पना #पल्लव_की_डायरी #रामराज्य #shore
एड. नवीन बिलैया
~:रामराज्य की परिकल्पना:~ धरती पर जन्म लेकर सांसारिक भोगविलासता के परिपूर्ण होकर मृत्यु की सैया पर जाते हुए तक हर मानव रामराज्य की परिकल्पना करता हैं। और चाहता हैं कि उसके नसीब में भी वो राजा राम का रामराज्य आये जो त्रेतायुग की जनता के भाग्य में आया था। किन्तु जन्म से लेकर मरण तक करोड़ो बार भगवान के सामने नतमस्तक होकर रामराज्य को मांगने वाला इंसान ही रामराज्य की नींव रख सकता हैं।वह कभी इस बात को समझने का प्रयास ही नही करता हैं। रामराज्य की परिकल्पना के लिए सिर्फ और सिर्फ राम का होना ही आवश्यक नही हैं। अपितु रामराज्य के लिए दशरथ नंदन जैसे पिता भरत,लक्ष्मण,शत्रुघ्न जैसे भाई सीता जैसी पत्नी, कौशल्या,कैकयी और सुभद्रा जैसी माताओं के साथ वन गमन जाने पर अपना सबकुछ छोड़कर उनके साथ नंगे पैर जाने वाली प्रजा का होना भी अत्यंत आवश्यक हैं। क्योकि यदि यहां अकेले राम आ भी गए तो उन्हें बचन को निभाने के लिए अपने पुत्र को चौदह वर्ष के लिए वन भेजने वाले दशरथ जैसे वीरप्रतापी पिता, वन जाने पर उनकी छाया की भांति साथ जाने वाला वीर प्रतापी लक्ष्मण जैसा भाई, राजा जनक की पुत्री होने के बाबजूद अपने पतिव्रत धर्म को निभाने के लिए अपने पति के साथ चौदह वर्ष तक वन में रहने के लिए तैयार होने वाली सीता जैसी पत्नि के साथ ही अयोध्या जैसे राज्य की राजगद्दी को तिनके की भांति त्याग करके अपने पुत्र को राजगद्दी दिलाने की लालसा में राम को वन भेजने वाली माता कैकयी का परित्याग करने वाला पुत्र और धर्मात्मा भाई के अनूठे संगम को वरण करने वाले भरत के बिना रामराज्य कैसे स्थापित हो सकेगा। एड. नवीन बिलैया(निक्की भैया) सामाजिक एवं लोकतांत्रिक लेखक रामराज्य की परिकल्पना Poet "Chetan" Nitin Khare
Mohini Maurya
क्यों इबादत के नाम पर साजिशें कर रहे हो क्यों अपने ही सरजमीं पर गैरों के लिए अपनों से लड़ रहे हो खैरियत के लिए दुआ मांगते हैं वो और जो खैरियत की दवा देते हैं उन्हीं की तोहीन करते हैं वो इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं कहीं अस्पतालों में तो कहीं वर्दी पहने सड़कों पर शर्मिंदा हो रहा है वो खुदा तुम्हारा और ईश्वर पर भी हमारा क्यों मांग कर सबूत उन्हें और शर्मिंदा कर रहे हो वो तो गैर है चले जाएंगे पर हम एक ना हुए तो टुकड़ों में बिखर जाएंगे विविधता में एकता भारत की विशेषता जय हिंद ahuti maurya(mohini) विविधता में एकता भारत की विशेषता
Pramod Kushwaha
हिन्दू मुस्लिम भाई भाई! #अनेकता में एकता भारत की विशेषता