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writer##Zeba Noor
किस रास्ते है जाना, ना जाने कौन से रास्ते पर बसा है बेटियों का घर बस चलते चले जा रही है बेटियां दूसरे का घर बसाए जा रही है बेटियां अपनी फिक्र करना भूल गई है बेटियां रास्ते जितने भी कठिन हो दूसरों के लिए फूल बिछाए चलती चली जा रही है बेटियां लगता है जैसे अपने ही घर का रास्ता भूल गई है बेटियां अपनों पर ही बोझ बन गई है बेटियां । किस रास्ते पर हैं जाना कन्फ्यूज़ होती जा रही हैं बेटियां इसीलिए दूसरे की नइया पार कराए जा रही है बेटियां।। किस रास्ते पर है जाना###
JITESH BHARDWAJ
किस रास्ते है जाना, क्यों ना तूने अब तक अपनी मंज़िलो को पहचाना अब तो सफ़र भी हो गया है बहुत पुराना गिरना पड़ना, संभलना,और फिर ना गिरने की कसमे खाना रास्ते बने है कलवटो से मुड़ते रहना और कदमों से दूरियां बनाना ये तो अब चलता ही रहेगा ज़िन्दगी भर सुखो और दुखो से भरा अफसाना मुमकिन है तुम जान लो जल्द से जल्द आखिर तुम्हे किस रास्ते पे है जाना तुम्हे किस रास्ते पर है जाना
Shubham Bhardwaj
जाना है हमें दूर,अभी अंजान सी डगर पर। ऐ कदमों न थको अभी, हारकर सफर पर ।। ©Shubham Bhardwaj #adventure #जाना #है #हम #डगर #पर
Gaurav Rajli
जाते जाते कुछ कह तो जाते, हमें एक बार अपना बना तो जाते। सारी दुनियां हार देते तुम्हारी मुस्कुराहट पर, जाने से पहले एक बार मुस्कुरा तो जाते।। ये तो था गुमान कि तनहा है हम, पर काश तुम मिल जाते तो हम तनहा न रहते।।। तुम अगर एक बार सुन लेतीं मेरे दिल की खामोशियाँ, हो सकता है मेरे हालात संभल जातें।।।। बहुत चाहा था तुम्हें रूह से टूटकर, जाना ही है तो मुझे तनहा ना छोड़ो- जाते जाते मेरी साँसें भी ले जाते।।।।। #छोड़कर जाना है तो चले जाना।।पर हमारी साँसें भी ले जाना।।#collab
जोगी
जब बैठे रहते हैं तेरे साथ तो सुकून का एहसास होता है वैसे तो हर पल तन्हाई में खो देते हैं हम खुद को पर तेरे पास होने पर ये अकेला इंसान खुद के साथ होता है कैसे कहूं कि तेरे आने से कैसा एहसास होता है ©दिलदार शायर तेरे साथ होने पर कैसा एहसास होता है।
Shahbaj Ahamad🌹tinku🌹
सवाल छोटा सा था.. जिसके पीछे ये पूरी जिंदगी बर्बाद कर दिए भुलायु कैसे उस दो आँखो को जो किताबो की तरह याद करते है कैसा है
Purva Shukla
जो कभी चेहरे पर मुस्कराहट लाते थे आज नमी लाते है। दुर जाकर देखे हम भी उनकी जिंदगी में कितनी कमी लाते हैं कैसा है??
kd yadav 7
यहा शहर जालिमों का है साहब जरा संभल कर चलना, सीने से लगाकर दिल निकाल लेते हैं। कैसा है
Kapil Singh Bisht
ए मेरे हम कदम चलता जा तू कर्तव्य पथ पर, न रुके तेरे ये कदम ,रख होंसले बुलंद अपने पथ पर। चलता जा तू चलता जा बोझ ये मुश्किल भंवर का,कांधे पर अपने ढोता जा, चलता जा बस तू चलता जा। चुनोतियों का काफ़िला तुझे मिलेगा हर पग पर, तुझसे इकरार कर ,तेरा मन को देंगे प्रलोभन। तुझे न करना है इकरार किसी से , चलता जाना है बस चलता जाना है एक छोटी सी मुस्कान लिए, वो मंज़िल अब दूर नहीं, जहाँ तुझे जाना है सब कुछ भुलाकर तुझे एक नया इतिहास बनाना है। ये जहाँ रखे तुझे याद, ऐसा कीर्तिमान बनाना है, तुझे अपने कर्तव्य मार्ग पर बस चलते जाना है, बस चलते जाना है।-'कपिल सिंह बिष्ट ' "कर्तव्य मार्ग पर बस चलते जाना है"