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naveenlupoetry
दिलदार ढूंढ़ते हो पर दिल नहीं जश्न ढूंढते हो पर महफ़िल नहीं तुम्हें चाहिए ऐशो आराम की जिंदगी जरदार ढूंढ़ते हो पर काबिल नहीं ©naveenlupoetry जरदार - धनी व्यक्ति
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
सुनिए हयात बेशकीमती है इसे नफरतो में ना झुलसाया जाए, हरेक पल कीमती है इसकी कीमत समझाओ तो सही//१ जरूरत मुहब्बतो की है,नफरर्तो की नही,तुम नफरतो को अपने दिल से मिटाओ तो सही//२ लाज़िम मुहब्बते है,जरा तुम मुहब्बतों की बारिश में खुद को*अलुदा कराओ तो सही//३*नमी युक्त इस हयात में तुमको कुछ मिले न मिले,तुम इंसान की इंसानियत से मुलाकात कराओ तो सही//४ गर है तुम में ज़मीरे किरदार की पायदारी,तो फिर अपने किरदार की छाप छुडाओ तो सही//५ ये माना तुम इस जमी के जरदारी हो,इसी जरदारी से अपने जमीर की मुलाकात कराओ तो सही//६ इस जिस्म का क्या है ये तो बस खाक होना है,तुम जरा खाक होकर इसे खाक में मिलाओ तो सही//७ ऐ अदू अब तुम छोड़ दो अपनी साजिश ए नफरत,जरा गिले_शिकवे भुलाकर सहज बनकर दिखाओ तो सही//८ ये हयात तो,बेशकीमती है,क्यू नफरतो में गवाई जाए,शमा तुम इसी हयात में नफरतों को मुहब्बतो से *पशेमा कराओ तो सही//९ *शर्मिंदा #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #baatein सुनिए हयात बेशकीमती है इसे नफरतो में ना झुलसाया जाए,हरेक पल कीमती है इसकी कीमत समझाओ तो सही//१ जरूरत मुहब्बतो की है,नफर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
ख़ुद को इतना जो हयादार समझ रक्खा है ,क्या हमें बेहया_बेमेआर समझ रक्खा है//१ हमने अजमत के किरदार को लिबास की मानिंद पहना है,तुमने लिबासे कपड़ा ही को किरदार समझ रक्खा है// मेरी संजीदा सदाकत पे भी शक है लोगो को, जरदारो ने मुझको*पसमांदाकार समझ रक्खा है//३ उसको खुद्दार कैसे बताया जाय,फकत जिसने लूटमार को ही अपना कारोबार समझ रक्खा है//४ तू किसी रोज कहीं बेमौत न मारा जाए के"शमा" तुने सियासतदानो को ही*हमवार समझ रक्खा है//५ ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #againstthetide ख़ुदको इतना जो हयादार समझ रक्खा है,क्या हमें बेहया_ बेमेआर समझ रक्खा है//१ हमने अजमत के किरदार को लिबास की मानिंद पहना है,
Kamaal Husain
एक तुम ही नहीं देखा है मोहब्बत में हमने बिमार बड़े तुम जैसे बदलते लाखों हैं इस दुनियां में हमसार बड़े तुमने तो कभी अपने दिल में थोड़ी सी जगह भी न बक्शी तो मेरे दिल के तुम कैसे बनके आए हकदार बड़े जालिम है जमाना देखा है यहां प्यार के दुश्मन रहते हैं जहाँ गैर का डर न हो देखा माशूक हूए गद्दार बड़े दौलत तो भ्रम है दुनियाँ का रिश्तों को निभाने ने खातिर कुछ कब्रे टूटी देखी थी जहाँ दफ़्न थे कुछ जरदार बड़े तुमने तो छुड़ाई जां अपनी इन्कार मोहब्बत से करके पर हमने तेरे चक्कर में बेकार में खाए मार बड़े #nargis #life #lifequotes #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqaestheticthoughts #YourQuoteAndMine Collaborating with Nargis Khatoon एक तुम ही नही
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
तुमको क्या चीज सता रही है,आओ बैठो पास मेरे, और महंगाई की हमको*दुश्वारी//१ *वालिदा को बेटियों की फिक्र सता रही है और*वालिद को जिम्मेदारी//२ अल्हड़ बच्चे को जिद सता रही है, और नौजवानों को बेरोजगारी//३ *मुफलिसौ को दो जून रोटी सता रही है और*जरदारो को*खुमारी//३ अडानी अंबानी ने तो मौजा ही मौजा सता रही है और मध्यमवर्ग को कर्जदारी//४ बुजुर्गों को तन्हाई सता रही ह,और *अफरादे फर्द को *मसरूफे_बेकरारी//५ बेवक्त होती मौतें,अपनो को सता रही है और जिंदगी को लाचारी//६ नासमझ को सता रही है दुनियावी मुहब्बत, और शमा को समझदारी/७ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_ #Nojotostreakतुमको क्या चीज सता रही है,आओ बैठो पास मेरे,और महंगाई की हमको*दुश्वारी/ *दरिद्रता *वालिदा को बेटियों की फिक्र सता रही है*वालिद
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
अजीब अक्ल लगाते हैं लोग,आता जाता कुछ नही मगर सियासत चलाते हैं लोग//१ जो हँस रहे हैं*हक की *शिकस्त पर,वो मक्कारी से हकीकत छिपाते हैं लोग//२ जो चालबाजी से बन बैठे है*जरदार,वोही वतन को करके*फरोख्त बिकाते है लोग//३ गर हों नफरतों की जीत का जश्न,तों हराकर उल्फ्तों को*उत्पात मचाते हैं लोग//४ गजब है*जम्हूरियत में सियासते दस्तूर,के अपनी*अवाम को ही*मातहत में लाते है लोग//५ बनके बगुला भक्त बताकर खुदको दूध का धुला, बेदाग बेगुनाह किरदार को*तोहमत लगाते हैं लोग//६ "शमा"लिखती है अपने *सुखन को बेबाक अंदाज में, के उसके सुखन पे भी सियासत चलाते हैं लोग//७ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #saath अजीब अक्ल लगाते हैं लोग,आता जाता कुछ नही मगर सियासत चलाते हैं लोग//१ जो हँस रहे हैं*हक की *शिकस्त पर,वो मक्कारी से हकीकत छिपाते हैं
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
खुदारा तु खुदगर्ज जहां को मत जता अपनी बेगर्ज मुहब्बत, तु जरा इन खुदगर्जो को मूंह भी कम लगाया कर//१ मतलबी लोग है यहां तु जरा बेमतलब*दस्त बढ़ाकर इसी बहाने इन मतलबीयो को कभी घर भी बुलाया कर//२ आज बरसा रहे है,जो दोनो*दस्त से *गुल जो तेरे लिए,जरा तु कभी उनके बगल में छिपे"खंजरों को तलाश भी लिया कर//३ गैर हैं यहां सब,इक जरा अपनो को भी आजमाया कर अपनी तकलीफ की बस *चंद_हाजत उनको भी बताया कर//५ जो करते है तेरे नाम के चर्चे में तेरी*जरदारी का*ताजकीरा जरा उनको कभी अपनी कंगाली का बहाना भी बताया कर//५ और तु पहचानेगी तभी,जब तेरा बुरा वक्त आएगा, कि शमा जान बूझकर कभी तो बीमार भी पड़ जाया कर//६ ShamawritesBebaak ✍️ ©shama writes Bebaak खुदारा तु खुदगर्ज जहां को मत जता अपनी बेगर्ज मुहब्बत, तु जरा खुदगर्जो को मूंह भी कम लगाया कर//१ मतलबी लोग है यहां तु जरा बेमतलब*दस्त बढ़ाकर