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R.S. Meena
बारिस दो बूंद क्या गिरी इस शहर में, लोग समझे मुसलाधार है। बादलों को लगा कि यहाँ तो सब पर छाया अहंकार है।। बादल भी शहर वालों से कुछ नाराज से लगते है, सुरज निकलने के बाद शायद यहाँ लोग जगते है। कोई समझना ना चाहे यहाँ, सबके सब सलाहकार है। दो बूंद क्या गिरी इस शहर में, लोग समझे मुसलाधार है। बादलों को लगा कि यहाँ तो सब पर छाया अहंकार है।। मतलब का शहर बना कर रख दिया शहरवासियों ने, धरती से आसमाँ तक फैला दिया विष लालचियों ने। मतलब और लालच की दलदल में फँसता पहरेदार है। दो बूंद क्या गिरी इस शहर में, लोग समझे मुसलाधार है। बादलों को लगा कि यहाँ तो सब पर छाया अहंकार है।। सावन और भादो की हरियाली अब होने लगी है पुरानी, छल-कपट से भरी प्राचीर, अश्रु भरी सुनाने लगी है कहानी। धोखा देना और वचन तोड़ने वाला यहाँ समझदार है। दो बूंद क्या गिरी इस शहर में, लोग समझे मुसलाधार है। बादलों को लगा कि यहाँ तो सब पर छाया अहंकार है।। जीवन जीने की विधा बनाती है, अलग इस शहर को, नयन रखते व्यापारी के, ग्राहकों पर रहते हर पहर को। आँखो वाले आँखो से ना देख पाएँ, छाया यहाँ अँधकार है। दो बूंद क्या गिरी इस शहर में, लोग समझे मुसलाधार है। बादलों को लगा कि यहाँ तो सब पर छाया अहंकार है।। #rsmalwar दो बूंद क्या गिरी इस शहर में, लोग समझे मुसलाधार है। बादलों को लगा कि यहाँ तो सब पर छाया अहंकार है।। बादल भी शहर वालों से कुछ न
Roshani Thakur
आँखें भले बंजर हो पर दिल में सावन-भादों का ही मौसम है ©Roshani Thakur सावन भादो #Moon
लेखक ओझा
सावन भादों घिर आते है जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।। ©लेखक ओझा #Dhund सावन भादो
Raushan Kumar Gahalaut
अबकी सावन भादो में, गोरी कलाईयाँ कादो में -जगदेव बाबु #NojotoQuote अबकी सावन भादो में, गोरी कलाईयाँ कादो में - जगदेव बाबु #जगदेव_प्रसाद #JagdevPrasad
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
ये सावन जैसे गीतौ का मेला। ये सुहानी मौसम और ये शाम की चंचल वेला।। ये मीठी भीनी भीनी मिट्टी की सुगंध। जैसे प्रियवर से मिलने को प्रतिबंध।। फुलो का खिलना विहगो का चहचहाना। मानो प्रियवर का रुठना और प्रियतम का मनाना।। ये झींगुर की झुनझुनाहट ये बादल की गड़गड़ाहट। जैसे प्रियवर के आने की आहट।। सावन में चहुँ और बिखरी हरियाली। जैसे प्रियवर से मिलने को प्रियतमा के मुख में छाइ हो लाली।। ये सावन जैसे गीतौ का मेला। ये सुहानी मौसम और ये शाम की चंचल वेला।। #सावन और प्रियतम