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moment explainer
उत्तर कसं देऊ तुला ? स्वतःतच अडकलो आहे मी, तुझ्यावर प्रेम करतो म्हणूनच , का ? एकटा जगतो आहे मी, प्रश्न तर खूप सारे आहेत विचारायचे तुला, तू फक्तं माझ्यात जगतेस , का ? तुझ्यातही जगतो आहे मी.... ©moment expleinar प्रश्न उत्तरं #apart
saurabh
ज्ञान्यंवित्थुंदम् विभा विसारं सारंविभिन्नार्थ अर्थम् विशेषम् संतोषतो सत तमसंकरेशर वर्णंविभिन्नार्थ ज्ञानम् शलेषम् नित्यंक्षयंहन्ति दिवातिरजनी उरमेषु भाषा भावम् कलेषम् जयरूपभे षति इतिरुपभाषा परतीत तसमन् वाचम् सुरेषम् वाचारविति चारचत्वर शभाषम् रुचितंजयं जतभ्रमरस्तु नेति: ।। सतसति स्वयंव्यर्थक्षणंविवेकम् वृत्ति विचारार्थ पदंशुरेति: ।। अज्ञान रञ्जतिऽधिका
Anshu Mishra
तीन शब्दों में बतायें भविष्य "भू(भव) = होना ईष् = इच्छा (करना) यत् = नियंत्रित (हो जो) " ~-~ नियंत्रित इच्छा जितना हो उन्नत भविष्य उतना हो॥ ©Anshu Mishra "भू(भव) = होना ईष् = इच्छा (करना) यत् = नियंत्रित (हो जो) " ~-~ नियंत्रित इच्छा जितना हो उन्नत भविष्य उतना हो॥ #AnshuMishra
Gunvanta vaidya
ध्येयाकडे वाटचाल करता करता पडणाऱ्या असंख्य प्रश्नांची उत्तरं आपण आपल्या प्रवासाच्या वाटेत शोधत राहतो. पण काही उत्तर भविष्यात जशी असतात तशी त
Anchal Tiwari
ईश्वरः पाषाणे लभ्यते किन्तु मानवः मनुष्ये न लभ्यते। वयं ईश्वरं वदामः यत् भवता निर्मिते जगति भवतः किमपि किमर्थं न प्राप्नुमः।परन्तु किं वयं स्वयमेव तेषां सदृशाः भवितुम् अर्हति। पत्थर में ईश्वर मिल सकता है लेकिन मनुष्य में मनुष्य नहीं मिलता । हम ईश्वर से कहते हैं कि आप की बनाई इस दुनिया मे कोई आप सा क्यों नही मिलता, परंतु क्या हम खुद उनके जैसा बन पाते हैं। हर हर महादेव ❤️ ©Anchal Tiwari ईश्वरः पाषाणे लभ्यते किन्तु मानवः मनुष्ये न लभ्यते। वयं ईश्वरं वदामः यत् भवता निर्मिते जगति भवतः किमपि किमर्थं न प्राप्नुमः।परन्तु किं वयं स
Divyanshu Pathak
कैसी स्थिति बन गई आज इस पूजनीय शब्द की दुर्बल, निरीह और दया का पात्र जान पड़ता है भारत आज पूरे विश्व में जाना जाता है तो या तो भ्रष्टाचार के लिए, या फिर कन्या भ्रूण हत्या के लिए। आश्चर्य की बात है कि देश में फिर भी नवरात्रि में कन्या-पूजन हो रहे हैं। शादियों में कन्या-दान हो रहे हैं। इसी देश में कन्याओं के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकारों द्वारा बेटियों की सुरक्षा के लिए अलग से योजनाएं तक बनाई जाने लगी हैं। मेरे ही समाज का अर्द्धाग अपने ही शेष अर्द्धाग पर आक्रमण करने लगा है। तब वह अर्द्धाग भी अपनी पूर्णता खो बैठेगा। 🌹#कन्या🌷🌷#पंछी🌹🌷#पाठक🏵🏵🔯🕉️🔯#नवदुर्गा💠🕉️💠🚻🚹🔯🚺#संकृति😃🌺🌺💐#संस्कार🌻🏵🤗🌹#हिंदी🌷🏵💠🕉#विचार🏵🌷🕉 यही तो हो रहा है विश्व भर में। हमारा आचरण झूठे अध्यात
sandy
थोडं मनाला पटणारं .... लाख क्षण अपूरे पडतात आयुष्याला दिशा देण्यासाठी, पण एक चुक पुष्कळ आहे ते दिशाहीन करण्यासाठी, किती प्रयास घ्यावे लागता
sandy
थोडं मनाला पटणारं .... लाख क्षण अपूरे पडतात आयुष्याला दिशा देण्यासाठी, पण एक चुक पुष्कळ आहे ते दिशाहीन करण्यासाठी, किती प्रयास घ्यावे लागता
sandy
#आयुष्य_जगताना.....? स्वप्नांच्या मागे धावताना येणारा प्रत्येक दिवस मागे सरत जातो. या प्रत्येक दिवसांगणिक आठवणीही मागे पडतात. त्या आठवणी
N S Yadav GoldMine
इस प्रकार लिखी महर्षि वाल्मीकि ने रामायण :- {Bolo Ji Radhey Radhey} वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों कि श्रेणी में प्रमुख स्थान प्राप्त है। पुराणों के अनुसार, इन्होंने कठोर तपस्या कर महर्षि का पद प्राप्त किया था। परमपिता ब्रह्मा के कहने पर इन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण नामक महाकाव्य लिखा। ग्रंथों में इन्हें आदिकवि कहा गया है। इनके द्वारा रचित आदिकाव्य श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण संसार का सर्वप्रथम काव्य माना गया है। इस प्रकार लिखी रामायण :- रामायण के अनुसार, एक बार महर्षि वाल्मीकि तमसा नदी के तट पर गए। वहां उन्होंने प्रेम करते क्रौंच -सारस पक्षी के जोड़े को देखा। वे दोनों पक्षी मधुर बोली बोलते थे। तभी उन्होंने देखा कि एक निषाद -शिकारी ने क्रौंच पक्षी के जोड़े में से नर पक्षी का वध कर दिया और मादा पक्षी विलाप करने लगी। उसके इस विलाप को सुन कर महर्षि की करुणा जाग उठी और अनायास ही उनके मुख से ये शब्द निकले। मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शाश्वती: समा:। यत् क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्॥ अर्थात- निषाद। तुझे कभी भी शांति न मिले, क्योंकि तूने इस क्रौंच के जोड़े में से एक की, जो काम से मोहित हो रहा था, बिना किसी अपराध के ही हत्या कर डाली। तब महर्षि वाल्मीकि ने सोचा कि अचानक ही उनके मुख से श्लोक की रचना हो गई। जब महर्षि वाल्मीकि अपने आश्रम पहुंचे तब भी उनका ध्यान उस श्लोक की ओर ही था। तभी महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में भगवान ब्रह्मा आए और उनसे कहा कि- आपके मुख से निकला यह छंदोबद्ध वाक्य -गाया जाने वाला श्लोक रूप ही होगा। मेरी प्रेरणा से ही आपके मुख से ऐसी वाणी निकली है। अत: आप श्लोक रूप में ही श्रीराम के संपूर्ण चरित्र का वर्णन करें। इस प्रकार ब्रह्माजी के कहने पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की। 🙏जय श्री राम 🙏 ©N S Yadav GoldMine इस प्रकार लिखी महर्षि वाल्मीकि ने रामायण :- {Bolo Ji Radhey Radhey} वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों कि श्रेणी में प्रमुख स्थान