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Stories related to 'mahabharat रे महुआ झरे'

Er Aryan Tiwari

#love_shayari Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे' खूबसूरत दो लाइन शायरी

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White अब न गम कुछ न ही ख़ुशी है

रास्ता इक‌ है खुदकुशी है

©Er Aryan Tiwari #love_shayari  Sircastic Saurabh  सफ़ीर 'रे'  खूबसूरत दो लाइन शायरी

Er Aryan Tiwari

#sad_qoute Sircastic Saurabh सफ़ीर 'रे'

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White जब भी तेरे क़रीब आ गया
साला ये क्यों रकीब आ गया

लहज़े से लग गया है पता
फासला अब अजीब आ गया

©Er Aryan Tiwari #sad_qoute  Sircastic Saurabh  सफ़ीर 'रे'

SumitGaurav2005

मैं सूर्यपुत्र होते हुए भी,
सूत पुत्र कहलाया थ। 
कुंती माँ मुझे जना तू ने, 
परन्तु राधेय कहलाया था। 
कर्ण दानवीर होते हुए भी,
सबसे तिरस्कार पाया था।
ऐसी क्या तेरी विवशता थी,
जो तूने मुझे ठुकराया था।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005 #कर्ण  #karna #महाभारत #Mahabharat #Mahabharata #Sumitgaurav2005 #sumitkikalamse #sumitgaurav #sumitmandhana #Epic

Er Aryan Tiwari

#GoodMorning सफ़ीर 'रे' Sircastic Saurabh शेरो शायरी शायरी

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White वाकिफ हूँ मैं इस बात से 
हाँ तुम खफा हो रात से 

वैसे तो मैं हारा नहीं 
हारा भी तो हालात से

©Er Aryan Tiwari #GoodMorning  सफ़ीर 'रे'  Sircastic Saurabh  शेरो शायरी शायरी

jaydeep dushadh

रेलीया रे रेलीया हमरो सायां लेले आवे रे!

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Shiv Narayan Saxena

#शुभदिन जन्म अकारथ जाय रे..... life quotes in hindi

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जनम अकारथ जाय रे.....

©Shiv Narayan Saxena #शुभदिन जन्म अकारथ जाय रे..... life quotes in hindi

DR. LAVKESH GANDHI

# दिल और डायरी # # क्यों रो रहा है रे पगला तेरा दिल #

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White डायरी और दिल 

 हाड़-मांस के दिल को 
क्यों छुपा कर रखा था अब तक 
तुमने इन डायरी के पन्नों के बीच
 क्या ऐसी नौबत आन पड़ी है आज 
जो दिल को निकाल कर रख रहे हो हथेली पर

©DR. LAVKESH GANDHI # दिल और डायरी #
# क्यों रो रहा है रे पगला तेरा दिल #

Dr.Meet (मीत)

#love_shayari Sircastic Saurabh **Dipa ** S amit pandey katha(कथा ) सफ़ीर 'रे'

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NOTHING

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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