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Veena Khandelwal
बालगीत-चींटी इट्टी-किट्टी, इट्टी-किट्टी देखो बच्चों तुम ये चींटी। तुम भी छोटे,चींटी छोटी। सीखो इनसे ,इट्टी किट्टी । भूख लगी है ,है कुछ खाना। चींटी इधर,उधर है दाना। जाना कैसे सोचे चींटी। सूझा तब कुछ ,इट्टी किट्टी। गिरती उठती आगे बढ़ती। मेहनत से ये कभी ना डरती। जाना सुरंग या पर्वत चोटी। डरे ना चींटी, इट्टी किट्टी। बात कहूं मैं तुमसे सच्ची बस थोड़ी सी माथा पच्ची। डाली चढ़ी पहुंची उस पार। पाया दाना इट्टी-किट्टी। हिम्मत से तुम कभी ना डरना। लक्ष्य रखो फिर आगे बढ़ना। पाकर रहना जैसे चींटी। बनो मेहनती,इट्टी किट्टी। चींटी ने ज्यों पाया खाना। बच्चों तुमने भी ये जाना। भरा पेट फिर चींटी का वा वा चींटी ,इट्टी -किट्टी। वीणा खंडेलवाल तुमसर बालगीत
Rajendrakumar Shelke
*पाऊस बोलून गेला..* सो सो करीत वारा *सुटला,* लपाछपीचा खेळ ढगात *रंगला.* थुई थुई करत पाऊस *पडला,* हळूच माझ्या कानात *बोलला.* माझ्यात भिजूनी कोरडा *राहिला,* असा कसा रे तू मला *घाबरला.?* म्हातारी आजी दळण *भरडते,* गडगड करुनी साऱ्यांना *घाबरवते.* उरात माझ्या वीजच *भरली,* ढगांच्या आडुन खुदकन *हसली.* नाचत पळत धावत *सुटलो,* पाऊस बोलला गोधडीत *शिरलो.* -------------------- ✍️ राजेंद्रकुमार शेळके. -- नारायणगाव, पुणे ©Rajendrakumar Shelke बालगीत
Rajendrakumar Shelke
*पाऊस बोलून गेला..* सो सो करीत वारा *सुटला,* लपाछपीचा खेळ ढगात *रंगला.* थुई थुई करत पाऊस *पडला,* हळूच माझ्या कानात *बोलला.* माझ्यात भिजूनी कोरडा *राहिला,* असा कसा रे तू मला *घाबरला.?* म्हातारी आजी दळण *भरडते,* गडगड करुनी साऱ्यांना *घाबरवते.* उरात माझ्या वीजच *भरली,* ढगांच्या आडुन खुदकन *हसली.* नाचत पळत धावत *सुटलो,* पाऊस बोलला गोधडीत *शिरलो.* -------------------- ✍️ राजेंद्रकुमार शेळके. -- नारायणगाव, पुणे ©Rajendrakumar Shelke बालगीत
Rajendrakumar Shelke
*आंबा* (बालगीत) --------------------- आंबा रे आंबा काय तुझा *तोरा,* पानांत खेळतो नटखट *वारा,* आंबट कैरीची करता *फोड,* पिकलेला आंबा भलताच *गोड* कैरीचे आम्ही केले *लोणचे,* अधूनमधून ते थोडे *चाखायचे.* आंब्याचा रस लई लई *भारी,* खाऊया आपण आमरस *पुरी.* -------------------- *✍️ राजेंद्रकुमार शेळके.* -- नारायणगाव, पुणे. ©Rajendrakumar Shelke आंबा बालगीत
DN Tripathi Vayakul
बालगीत- मुर्गा और लोमड़ी एक था मुर्गा डाल पर बैठा, खड़ी लोमड़ी ताना मारे; मुर्गा चलता सदा जमीं पर, नीचे आओ मीत हमारे। मुर्गा बोला नहीं मीत तुम, चालाकी मुझसे करती हो; मीठी बातों में उलझाकर, खाने की चाहत रखती हो। मुर्गे की इन बातों को सुन, लोमड़ी ने फिर बात बनाई; हुआ समझौता पशु-पक्षी में, नई ख़बर है फिर सुनाई। मुर्गा बोला खुश होकर, यह तो बढ़िया समाचार है; घटनाएं और संघर्षों की तारीखें देतीं नया विचार हैं। गर्दन लम्बी कर मुर्गे ने दूर तलक जब नज़र दौड़ाई; अंटकी सांसें लोमड़ी की, बोलो कुछ दिया दिखाई। नहीं-नहीं कुछ नहीं दिखा है धूल उड़ रहे आसमान में; कुत्ते सारे दौड़े आ रहे, लगता भोजन के ध्यान में। पूंछ दबाकर लोमड़ी भागी, बोली जोर जोर से भागो; मुर्गे की कुछ सुनी नहीं, समझौते को तुम त्यागो। मुर्गा खुशी-खुशी में नाचा और कथानक कुछ बांचा; ख़बर लोमड़ी पर भारी व्याकुल ख़बर मिला नहीं सांचा। - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ©DN Tripathi Vayakul #बालगीत #मुर्गा_और_लोमड़ी
Jamil Khan
बालगीत- बस्ता चाहिए बस्ता चाहिए, बस्ता चाहिए पापा मुझको बस्ता चाहिए हम भी अब पढ़ाई करेंगे पापा मुझको बस्ता चाहिए। रंग बिरंगी कलम पेंसिल रंग बिरंगी कॉपी चाहिए स्कूल की टेस्ट परीक्षा वाली मैडम सर से टॉफी चाहिए पापा जी मुझको ला दो ना चप्पल जूता सस्ता चाहिए। बस्ता चाहिए, बस्ता चाहिए पापा मुझको बस्ता चाहिए। आज से मैं स्कूल जाऊँगा मन लगाकर ख़ूब पढ़ूँगा पापा दादाजी के नाम को सातो आसमां पे पहुँचाऊँगा माँ के हाथों की भुजिया रोटी टिफिन में सिर्फ नास्ता चाहिए। बस्ता चाहिए, बस्ता चाहिए पापा मुझको बस्ता चाहिए। मो- ज़मील अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित बालगीत। मो- 9065328412 पिन कोड- 847401 ©Jamil Khan बालगीत #OneSeason
Jamil Khan
बालगीत- नानी की पोटली नानी तेरी पोटली को नाती कालू ले गया उसमें जो भी था बचा उसे भालू खा गया। नानी माथा पीटने से होगा अब कुछ नहीं तेरा नाती पोटली लेके खो गया वह कहीं पुलिस को मिली ख़बर उसे धर पकड़ लिया। नानी तेरी पोटली को नाती कालू ले गया। पोटली की टेंशन में नानी अब सोती नहीं जहाँ पोटली रखी थी नानी अब बैठी है वहीं सिर्फ यही बोलती वह मेरा सारा धन खो गया। नानी तेरी पोटली को नाती कालू ले गया। मो- ज़मील अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित बालगीत। ©Jamil Khan बालगीत #Trees
Jamil Khan
बालगीत- मात-पिता का दुलारा हूँ भोला भाला प्यारा हूँ मात-पिता का दुलारा हूँ घर में छोटे बड़ों की आँखों का मैं तारा हूँ। खाता पीता रहता हूँ दोस्तों के साथ खेलता हूँ पिताजी की चॉकलेट को मन भरके खूब खाता हूँ अपने पिताजी के लिए एक अनमोल सितारा हूँ। भोला भाला प्यारा हूँ मात-पिता का दुलारा हूँ। दफ्तर से पिताजी आते हैं हमें वो घुमाने ले जाते हैं पिताजी बाजार में बहुत सारी चॉकलेट दिलाते हैं मैं अपने परिवार में सबकी आँखों का ठंडक तारा हूँ। भोला भाला प्यारा हूँ मात-पिता का दुलारा हूँ। मो- ज़मील अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित बालगीत। ©Jamil Khan बालगीत #Trees
Jamil Khan
बालगीत- टर्र-टर्र साथ जब से आयी है बरसात दादुर करते टर्र-टर्र साथ मुन्ना चुन्ना की नींद में वो पहुँचाते हैं सिर्फ आघात। अपने दोस्तों के साथ वो सिर्फ मटरगस्ती करते हैं जब बारिश जोर से होती घर में डेरा डालने आते हैं मुन्ना चुन्ना गुस्से में आकर दादुर को कहते सौ बात। जब से आयी है बरसात दादुर करते टर्र-टर्र साथ। दादुर जी खुद ना सोते हैं न किसी को सोने देते हैं अपने गैंग के साथ बहुत दिन रात टर्र-टर्र मारते हैं ऐसा मानों उनके बोलने से ही होती खूब बरसात। जब से आयी है बरसात दादुर करते टर्र-टर्र साथ। मो- ज़मील अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित बालगीत। ©Jamil Khan बालगीत #Trees
Arati Latane
बालगीत मम्मीची मजा ऑफिसवाल्या मम्मीची एकदा झाली मजा घाई घाई कामाची झाली गॉड्स जा||धृ|| ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग घड्याळ वाजले मम्मीच्या आधी तिचे बाळच उठले टॅहा टॅहा टॅहा टॅहा रडत बसले बाळाच्या नादात तिचे ऑफिसच सुटले...... धन्यवाद 🙏🏻 ©Arati Latane बालगीत #stay_home_stay_safe