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Dr.jai prakash singh motivational speaker writer

#Chhuan #ध्यान लगाना❣️#भगवान #को पाना #प्रेरक

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Maneesh singh {M.S.Thakur }

कोई पूछे महान इंसान कैसे होते हैं तो बता देना कलाम सर जी जैसे...! देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले अब्दुल क #MereKhayaal

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कोई पूछे महान इंसान 
कैसे होते है  
तो बात देना 
👇👇👇👇

©Maneesh singh {M.S.Thakur } कोई पूछे महान इंसान कैसे होते हैं तो बता देना कलाम सर जी जैसे...!

देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले अब्दुल क

Penman

#तू सबका सहारा है तू सबका सहारा है, इस कष्ट की घड़ी में सबको साथ लेकर, सबको किनारे तक लाना है, दीप प्रज्वल करके महाशक्ति, एकता को दिखाना है

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तू सबका सहारा है,
इस कष्ट की घड़ी में सबको साथ लेकर,
सबको किनारे तक लाना है,
दीप प्रज्वल करके महाशक्ति, एकता को दिखाना है,
इस कष्ट की घड़ी में एक साथ मिलकर  कोरोना को हराना है।

तू सबका सहारा है,
इस कष्ट की घड़ी में सबको साथ लेकर,
सबको किनारे तक लाना है,
जैसा कि जानते हैं हम लैम्प बन्द करके दीप को प्रज्वल करना है,
मां भारती का ध्यान लगाना है,
इस कष्ट की घड़ी में माटी के कर्ज को उतारना है।

तू सबका सहारा है,
इस कष्ट की घड़ी में सबको साथ लेकर,
सबको किनारे तक लाना है,
देश प्रधान के आह्वान पर हम सबके सहयोग से दीप प्रज्वल करना है,
एकत्रित ना होकर दूरी बनाकर दीप प्रज्वल करना है,
इस कष्ट की घड़ी में हमारी दूरियों से हमारी एकता को संसार को दिखाना है।
                - तरुण राजपूत #तू सबका सहारा है

तू सबका सहारा है,
इस कष्ट की घड़ी में सबको साथ लेकर,
सबको किनारे तक लाना है,
दीप प्रज्वल करके महाशक्ति, एकता को दिखाना है

Pnkj Dixit

श्री राधा जी , अपने प्रेम और मीराबाई की भक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगाती हुई कान्हा जी से पूछती है .... एक दिन.. राधा ने पूछा कान्हा से , ऐसा क्

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श्री राधा जी , अपने प्रेम और मीराबाई की भक्ति पर
 प्रश्नचिन्ह लगाती हुई कान्हा जी से पूछती है ....

एक दिन..
राधा ने पूछा कान्हा से , 
ऐसा क्या है मीरा में 
उस भक्तन की पीरा में   ? 

सुन के कान्हा हँस पड़े 
राधा के नादान सवालों पे 
फिर अश्रु धारा बहाए 
मीरा पे उठे सवालों पे ..

बोले , फिर मीरा के घनश्याम, -

सुन री प्यारी ओ राधा रानी
तेरे  प्रश्नों में झलके नादानी 
तू  तो  है  बस  प्रेम दीवानी
मीरा  है  एक भक्तन जोगन 
उसे नहीं मेरे रुप का लोभन   
त्यागा  उसने राजसी जीवन
झूठा मान ओर झूठा सम्मान
विष  को  उसने अमृत माना 
कान्हा का ही  ध्यान  लगाना 

मीरा  की आत्मा ,भक्ति की प्यासी 
रानी नहीं वो समझे स्वयं को दासी
जितना  चाहे 'बेधड़क'  लिख जाये
 #मीरा_श्याम  कथा ना पूरी हो पाए

।। जय श्री राधे कृष्णा 🚩
।। जय श्री मीरा घनश्याम  🚩

( पीरा -- पीड़ा / प्रेम )
( लोभ -- लालच/ लालसा)

०१/०८/२०१७
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' श्री राधा जी , अपने प्रेम और मीराबाई की भक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगाती हुई कान्हा जी से पूछती है ....

एक दिन..
राधा ने पूछा कान्हा से , 
ऐसा क्

Way With Words

लंचटाइम होनेवाला था। मुझे ज़ोरोंकी भूख लगी थी। बस कब एक बज जाये, मैं राह देख रहा था। आप समझ रहे होंगे कि मैं खाने की बात कर रहा हूँ। पर भूख त

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दे इजाज़त जो तू।
(पार्ट 3) लंचटाइम होनेवाला था। मुझे ज़ोरोंकी भूख लगी थी। बस कब एक बज जाये, मैं राह देख रहा था। आप समझ रहे होंगे कि मैं खाने की बात कर रहा हूँ। पर भूख त

Jibanjyoti Sarma

पर चर्चा और हम...... ---------------------------------------- _________एक बात मुझे समझ नहीं आता कि हम दिनभर में अपने से ज्यादा हमारे आस पड़

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"पर चर्चा और हम..............."
(एक छोटा सा निबंध...)



✍️जीवनज्योति शर्मा पर चर्चा और हम......
----------------------------------------

_________एक बात मुझे समझ नहीं आता कि हम दिनभर में अपने से ज्यादा हमारे आस पड़

Vikas Sharma Shivaaya'

श्री सूर्य चालीसा ॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ #समाज

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श्री सूर्य चालीसा               
                      ॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
सूर्यदेव का शरीर स्वर्ण रंग का है व कानों में मकर के कुंडल हैं एवं उनके गले में मोतियों की माला है। पद्मासन होकर शंख और चक्र के साथ सूर्य भगवान का ध्यान लगाना चाहिए।

॥चौपाई॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!। सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन। मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते। वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि। मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
हे भगवान सूर्य देव आपकी जय हो, हे दिवाकर आपकी जय हो। हे सहस्त्राशुं, सप्ताश्व, तिमिरहर, भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता हंस, विभाकर, विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, विष्णु रुप विरोचन, अंबर मणि, खग और रवि कहलाने वाले भगवान सूर्य जिन्हें वदों में हिरण्यगर्भ कहा गया है। सहस्त्रांशु प्रद्योतन (देवताओं की रक्षा के लिए देवमाता अदिति के तप से प्रसन्न होकर सूर्य देव उनके पुत्र के रुप में हजारवें अंश में प्रकट हुए थे) कहकर मुनि गण खुशी से झूमते हैं।

अरुण सदृश सारथी मनोहर। हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी। तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते। देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर। सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै। हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं। मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै। दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥

 सूर्य देव के सारथी अरुण हैं, जो रथ पर सवार होकर सात घोड़ों को हांकते हैं। आपके मंडल की महिमा बहुत अलग है। हे सूर्यदेव आपके इस तेज रुप, आपके इस प्रकाश रुप पर हम न्यौछावर हैं। आपके रथ में उच्चै:श्रवा (घोड़े की प्रजाति जिसका रंग सफेद होता है जो उड़ते हैं और तेज गति से दौड़ते हैं देवराज इंद्र के पास यह घोड़ा होता था, सागर मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में एक उच्चै:श्रवा घोड़ा भी था जिसे देवराज इंद्र को दिया गया था।) के समान घोड़े जुते हुए हैं, जिन्हें देखकर स्वयं इंद्र भी शर्माते हैं। मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता, सूर्य, अर्क, खग, कलिकर पौष माह में रवि एवं आदित्य नाम लेकर और हिरण्यगर्भाय नम: कहकर बारह मासों में आपके इन नामों का प्रेम से गुणगान करके, बारह बार नमन करने से चारों पदार्थ अर्थ, बल, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है व दुख, दरिद्रता और पाप नष्ट हो जाते हैं।

नमस्कार को चमत्कार यह। विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई। अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते। सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन। रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है। प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

सूर्य नमस्कार का चमत्कार यह होता है कि यह भगवान सूर्यदेव की कृपा पाने का एक आसान तरीका है। जो भी मन लगाकर भगवान सूर्य देव की सेवा करता है, वह आठों सिद्धियां व नौ निधियां प्राप्त करता है। सूर्य देव के बारह नामों का उच्चारण करने से हजारों जन्मों के पापी भी मुक्त हो जाते हैं। जो जन आपकी महिमा का गुणगान करते हैं, आप क्षण में ही उन्हें शत्रुओं से छुटकारा दिलाते हो। जो भी आपकी महिमा गाता है धन, संतान सहित परिवार में समृद्धि बढ़ती है, बड़े से बड़े मोह के बंधन भी कट जाते हैं।

अर्क शीश को रक्षा करते। रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत। कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित। भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे। रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा। तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर। त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन। भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर। कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा। गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी। बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै। रक्षा कवच विचित्र विचारे॥

भगवान श्री सूर्यदेव अर्क के रुप में शीश की रक्षा करते हैं अर्थात शीश पर विराजमान हैं, तो मस्तक पर रवि नित्य विहार करते हैं। सूर्य रुप में वे आंखों में बसे हैं तो दिनकर रुप में कानों अर्थात श्रवण इंद्रियों पर रहते हैं। भानु रुप में वे नासिका में वास करते हैं तो भास्कर रुप सदा चेहरे के लिए हितकर होता है। सूर्यदेव होठों पर पर्जन्य तो रसना यानि जिह्वा पर तीक्ष्ण अर्थात तीखे रुप में बसते हैं। कंठ पर सुवर्ण रेत की तरह शोभायमान हैं तो कंधों पर तेजधार हथियार के समान तिग्म तेजस: रुप में। भुजाओं में पुषां तो पीठ पर मित्र रुप में त्वष्टा, वरुण के रुप में सदा गर्मी पैदा करते रहते हैं। युगल रुप में रक्षा कारणों से हाथों पर विराजमान हैं, तो भानुमान के रुप में हृदय में आनन्द स्वरुप रहते हुए उदर में विचरते हैं। नाभि में मन का हरण करने वाले अर्थात मन को मोह लेने वाले मनोहर रुप आदित्य बसते हैं, तो वहीं कमर में मन मुदभर के रुप में रहते हैं। जांघों में गोपति सविता रुप में रहते हैं तो दिवाकर रुप में गुप्त इंद्रियों में। पैरों के रक्षक आप विवस्वान रुप में हैं। अंधेरे का नाश करने के लिए आप बाहर रहते हैं। सहस्त्राशुं रुप में आप प्रकृति के हर अंग को संभालते हैं आपका रक्षा कवच बहुत ही विचित्र है।

अस जोजन अपने मन माहीं। भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै। जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता। नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही। कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके। धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा। किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
जो भी व्यक्ति भगवान सूर्य देव को अपने मन में रखता है अर्थात उन्हें स्मरण करता है उसे दुनिया में किसी चीज से भय नहीं रहता। जो भी व्यक्ति सूर्यदेव का जाप करता है उसे किसी भी प्रकार के चर्मरोग एवं कुष्ठ रोग नहीं लगते। सूर्यदेव पूरे संसार के अंधकार को मिटाकर उसमें अपने प्रकाश से आनन्द को भरते हैं। हे सूर्यदेव मैं आपको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं क्योंकि आपके प्रताप से ही अन्य ग्रहों के दोष भी दूर हो जाते हैं। इन्हीं सूर्यदेव के धर्मराज के समान पुत्र हैं अर्थात भगवान शनिदेव जो धर्मराज की तरह न्यायाधिकारी हैं। हे दिनमनि आप धन्य हैं, देवता, ऋषि-मुनि, सब आपकी सेवा करते हैं।

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों। दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी। हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन। मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै। ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता। कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं। पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥

जो भी नियमपूर्वक पूरे भक्तिभाव से सूर्यदेव की भक्ति करता है, वह भव के भ्रम से दूर हो जाता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। जो भी आपकी भक्ति करते हैं, वे मनुष्य धन्य हैं। जिन पर आपकी कृपा होती है, आप उनके तमाम दुखों के अंधेरे को दूर कर जीवन में खुशियों का प्रकाश लेकर आते हैं। माघ माह में आप अरुण तो फाल्गुन में सूर्य, बसंत ऋतु में वेदांग तो उद्यकाल में आप रवि कहलाते हैं। बैसाख में उदयकाल के समय आप भानु तो ज्येष्ठ माह में इंद्र, वहीं आषाढ़ में रवि कहलाते हैं। भादों माह में यम तो आश्विन में हिमरेता कहलाते हैं, कार्तिक माह में दिवाकर के नाम से आपकी पूजा की जाती है। अगहन (कार्तिक के बाद और पूस के पहले का समय) में भिन्न नामों से पूजे जाते हैं तो पूस माह में विष्णु रुप में आपकी पूजा होती हैं। मलमास या पुरुषोत्तम मास (जब सूर्य दो राशियों में सक्रांति नहीं करता तो वह समय मलमास कहलाता है ऐसा अवसर लगभग तीन साल में एक बार आता है) में आपका नाम रवि लिया जाता है।

॥दोहा॥

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

जो भी व्यक्ति भानु चालीसा को प्रेम से प्रतिदिन गाता है अर्थात इसका पाठ करता है, उसे सुख-समृद्धि तो मिलती ही है, साथ ही उसे हर कार्य में सफलता भी प्राप्त होती है।

        ॥इति श्री सूर्य चालीसा ॥ 

भैरव बाबा चमत्कारी मंत्र :-
 ” ॐ कर कलित कपाल कुण्डली दण्ड पाणी तरुण तिमिर व्याल
यज्ञोपवीती कर्त्तु समया सपर्या विघ्न्नविच्छेद हेतवे
जयती बटुक नाथ सिद्धि साधकानाम
ॐ श्री बम् बटुक भैरवाय नमः “

🌹बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🙏

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री सूर्य चालीसा               
                      ॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

Writer Habib

दिल लगाना दिल से मत लगाना #Flute #विचार

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Asheesh Pandey

अंदाजा लगाना

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यूं तो मुश्किल था तेरी शख्सियत का अंदाजा लगाना!
 लेकिन मासूमियत हमारी भी इतनी नहीं थी!
 तेरी फरेब  निगाहों को पढ़ पाना!
 मिले जो तजुर्बे  आपसे आसान हुआ जमाने को समझाना!
 बस की बात नहीं "आशीष" की
 तेरे किरदार से सामंजस्य बिठा पाना!
 क्या "आशीष" क्या नमन सब है तमन्नाओं का बहाना!
 इतिहास गवाह है जो हारा वही बदले जमाना!
 यूं तो मुश्किल था तेरी शख्सियत का अंदाजा लगाना!

आशीष पाण्डेय अंदाजा लगाना

Lalit pandey

आग लगाना

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आग लगाना हमारी फितरत मे नहीं ,,,
अब लोग हमें देखकर ही 
जलना शुरू हो जाये 
तो इसमे ,हमारा क्या कसूर है ,भाई 

 ललित पाण्डेय आग लगाना
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