आजकल मतलबी दौर चल रहा है!
भीड़ में भी हर कोई तन्हा चल रहा है!!
है बराबर सभी की यहां दिन रैन तो! तीसरा शख्स फिर हाथ क्यों मल रहा है!!दुख मेरा और सुख के है साथी सभी!
अर्सों से कोई ना जिंदा दिल रहा है!!
न दुख पे मेरे अब तरस खाओ तुम!
खुशियों भरा मेरा भी कल रहा है!!. भ