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ishwar
ख़ुदा ने तुम्हे इंसान बनाया है तो इंसानियत खरीदो कुत्ते नही । वरना संगत का असर तो आएगा , फिर पूँछ ही हिलाओगे इंसानो के सामने ।। व्यंग्यात्मक परिदृश्य।
अभिषेक सिंह
शराब कहने को तो ये हर मर्ज की दवाई है, पर इसी से घर मे आफत आई है, कुछ लोग इसे तनाव का इलाज बताते है,तो कुछ तन्हाई का साथी कहते है, पीने वाले तो इसे अपनी महबूबा भी कहते है, अगर ये इतनी जरूरी है तो इसे छिप कर पीना क्यूँ, अगर जरूरी नही है तो व्यर्थ में चर्चा क्यों?? #शराब,#व्यंग्यात्मक कटाक्ष
करण शुभकरण
जो टूट गया वो वादा था खत मिला जो उसका आधा था वो सुबह को यही सोच कर आई थी मेरे पास रात न रुकने का तो उसका शुरू से ही इरादा था किया तो उसने भी था इश्क मुझसे ग़ालिब उसका थोड़ा और मेरा थोड़ा ज्यादा था मासूमियत मगरूरियत को छुपा लेती है मैं पढ़ न सका चेहरे पर उसके मेकअप बहुत ज्यादा था #कहानी #गजल #शायरीलवर #व्यंग्यात्मक
kamal
लङकियां भाव खा रही है लङके धोखा खा रहे हैं पूलिस रिश्वत खा रही है नेता माल खा रहे हैं किसान जहर खा रहा है जवान गोली खा रहा है क्या मेरा भारत बदल रहा है 🤔🤔🤔🤔🤔😴😴 ©kamal #Information and education. व्यंग्यात्मक टिप्पणी
Murari Shekhar
Bazirao Ashish
विपरीत दिशा "आओ एक वैश्यालय खोलें" आओ एक वैश्यालय खोलें फ़टी जीन्स का संग्रहालय खोलें। सभ्यता कैसे नष्ट हुई? संस्कृति कैसे भ्रष्ट हुई? सब मिलकर एक ही काम बोलें आओ एक वैश्यालय खोलें। नग्न घूमते थे आदि मानव तब विकसित हुए थे आदिमानव अपने पुरखों के प्रयास को भूलें आओ फिर से नंगे घूमे। एक असभ्य समाज बनाएं। तन से अपने वस्त्र हटायें सुसंस्कृत समाज को धूल चटायें। आओ मिलकर वैश्यालय बनवाएं। आओ एक वैश्यालय खोलें। :- आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish पुरुषों व महिलाओं दोनों पर यह व्यंग्यात्मक रचना लागू है। #WForWriters
Tarun Vij भारतीय
ना हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, मज़हबी हवा में ना कोई शैतान बनेगा। सियासत अगर समाज से दूर हो जाए, देश का हर एक बच्चा फिर इंसान बनेगा। राम भक्ति पर नेता से एक सवाल हो गया, फिर सवाल के जवाब में बवाल हो गया। राम जी से फिर हनुमान की जा पहुंचे जात पर, हनुमान जी से फिर चुनाव में बुरा हाल हो गया।। अब के जो जीते तो कर्जा माफ करेंगे, इस नुस्खे से चुनाव में सुपड़ा साफ करेंगे। बनाके मेल जोल फिर से आएंगे सत्ता में, बनके मंत्री फिर सबकी जेबें साफ करेंगे।। सरकार फिर से बदली पर सवाल वही है, आम जन का देश के फिर हाल वही है। जीत गए चुनाव करके वो वादे पनीर के खाने में फिर भी जनता के रोटी दाल वही है।। व्यंग्यात्मक रचना #राजनीति व #समाज पर #hindipoetry #hindiwriters #politics #kavita #yqdidi #tarunvijभारतीय