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Manish Raaj
ज़िक्र ------ यूँ तो हर शक़्स गुफ़्तगू करता है सबको अपने मतलब से फ़र्क़ पड़ता है मैं फ़रिश्ता नहीं मगर दिल से उनका ज़िक़, उन्हीं से करता हूँ उनसे सँवरेगा आनेवाले कल का समाज ये सच मैं उनसे कहता हूँ जो लाज-शर्म सब लूट खाए हैं वह क्या खाक़, उनकी आबरू महफूज़ रख पाएंगे जिन्हें हिफ़ाज़त की फ़िक्र नहीं वह क्या खाक़, माँ-बहनों और बेटियों से नज़रें मिलाएंगे हुस्न की तारीफ़ करूँ या हुनर को बयां, कुदरत ने नायाब नेमतों से उन्हें बक़्शा है इत्तेफ़ाक़ ना ही किस्मत, जो कुछ भी कमाया है ये उनके ख़ुद को पेश करने का करिश्मा है उन्हें चाहनेवालों का दिल उनका घर है और वह वहां रहती है दुनिया जले या जल्वों पर फ़िदा हो चले वह, अपने चाहनेवालों की जाँ बानी रहती है मनीष राज ©Manish Raaj #ज़िक्र
writer_Suraj Pandit
White उस दिन की तलाश है जब लोगो को मेरा तलाश होगा । 🚔❤️🚔 ©writer_Suraj Pandit #sad_quotes उस दिन
Arora PR
White उस पार क़े तट का अहसास मुझे इसी तट से हो रहा हैं. किश्ती मेरी छिद्रित होने से बची रही तो साँझ तक़ वो. उस पार का तट मेरा स्वागत जरूर करेगा ©Arora PR उस पार
हिमांशु Kulshreshtha
बस एक शख्स मेरी आरज़ू है नहीं चाहिए कोई उस जैसा न कोई उस से कम चाहिए. ©हिमांशु Kulshreshtha उस जैसा..
Rabindra Kumar Ram
" कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा , कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा , ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स में रहूं , मलाल तेरा फिर कुछ यूं हो की फिर कोई मलाल ना हो तेरा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा , कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा , ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स मे