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Manish Raaj
ज़िक्र ------ यूँ तो हर शक़्स गुफ़्तगू करता है सबको अपने मतलब से फ़र्क़ पड़ता है मैं फ़रिश्ता नहीं मगर दिल से उनका ज़िक़, उन्हीं से करता हूँ उनसे सँवरेगा आनेवाले कल का समाज ये सच मैं उनसे कहता हूँ जो लाज-शर्म सब लूट खाए हैं वह क्या खाक़, उनकी आबरू महफूज़ रख पाएंगे जिन्हें हिफ़ाज़त की फ़िक्र नहीं वह क्या खाक़, माँ-बहनों और बेटियों से नज़रें मिलाएंगे हुस्न की तारीफ़ करूँ या हुनर को बयां, कुदरत ने नायाब नेमतों से उन्हें बक़्शा है इत्तेफ़ाक़ ना ही किस्मत, जो कुछ भी कमाया है ये उनके ख़ुद को पेश करने का करिश्मा है उन्हें चाहनेवालों का दिल उनका घर है और वह वहां रहती है दुनिया जले या जल्वों पर फ़िदा हो चले वह, अपने चाहनेवालों की जाँ बानी रहती है मनीष राज ©Manish Raaj #ज़िक्र
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं , तेरे हिज़्र में दिन और रात का गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते ज़िक्र तेरा आज भी हैं , ऐसे भी इस रुसवाई में ना जिये भला तो क्या करें , मलाल हैं अब तेरे बाद मलाल अब कुछ भी ना रह जायेगा , तिश्नगी हैं अब मलाल कुछ भी तेरे बगैर मलाल कुछ भी नहीं रह जायेगा , रूह-ए-ख़्वाबीदा हूं जाने कब से इस उल्फत में तुझे मेरा ख्याल जाने कब आयेगा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,
*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,
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" कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा , कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा , ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स में रहूं , मलाल तेरा फिर कुछ यूं हो की फिर कोई मलाल ना हो तेरा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा , कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा , ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स में रहूं , मलाल तेरा फिर कुछ यूं हो की फिर कोई मलाल ना हो तेरा . " --- रबिन्द्र राम #कल'अदम ( invalid) #ख्याले-ए-ज़िक्र #वास्ता #ज़िक्र
Rabindra Kumar Ram
" दिल से ज़िक्र की इक ख़्वाहिश लेकर बैठे हैं , मुहब्बत की निगाह हर तरफ कर के बैठे हैं , कहीं मिलती जो तुम तो फिर करता मैं बातें , मुख्तलिफ एहसासों को महज गुमनाम कर बैठे हैं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " दिल से ज़िक्र की इक ख़्वाहिश लेकर बैठे हैं , मुहब्बत की निगाह हर तरफ कर के बैठे हैं , कहीं मिलती जो तुम तो फिर करता मैं बातें , मुख्तलिफ एहसासों को महज गुमनाम कर बैठे हैं . " --- रबिन्द्र राम #ज़िक्र #ख़्वाहिश #मुहब्बत #निगाह
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश की जाये , जो जिस्म से तेरी खुशबू आयेगा , ख्वाब मेरा महज़ मेरा ख्वाब ना हो , इसमें तेरी मौजूदगी की तलाश तो मुकम्बल हो , तसव्वुर के ख्यालों के नुमाइश में , किस किस को चेहरा और तेरा नाम देता फिरे , फिर कहीं ऐसा हो तेरी मौजूदगी हो और , मेरी - तेरी जुस्तजू की तलब कोई मुकाम ले ले , यूं होने को मुस़ाफिर हम भी हैं , फिर किसी बात पे राजी तुम भी हो , बस्ल हो ऐसा की हमारे रफ़ाक़त पे यकीन आये , क्यों ना तेरा ख्वाब मुसलसल कर लें , मैं चाहे जिस जद में रहूं क्यों ना , फिर भी तुझसे इक मुलाकात कर लें , हम तेरा एहतराम यूं ही करेंगे , मुहब्बत ना भी हो तो मुहब्बत का भ्रम रखेंगे , मिल जा बिछड़ जा फिर कहीं मुख्तलिफ बात की अदावत ठहरी , यूं तेरा ज़िक्र बामुश्किल भी नहीं , करते हैं जो एहतराम ऐसे में . " --- रबिन्द्र राम #मौजुदगी #वस्ल #रफ़ाक़त #मुहब्बत #मुख्तलिफ #अदावत #ज़िक्र #एहतराम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश की जाये , जो जिस्म से तेरी खुशबू आयेगा ,
*** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश की जाये , जो जिस्म से तेरी खुशबू आयेगा ,
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*** ग़ज़ल *** *** कुछ बात *** " इतना तो इत्मीनान कर लेने दे , ज़िक्र तेरा आज भी कुछ कर लेने दे , होती नहीं मुलाकातें दिलचस्प तो क्या , तसब्बुर के ख़्यालो की नुमाइश कर लेने दे , फिर कहीं तु मिल ना मिल कहीं ऐसे में , कहीं गुमनामी मे कहीं तेरा नाम ले लेने दे , फ़ुर्सत में नहीं कहीं तु भी मुझे याद कर लें , बगैर बातों के भी कुछ बात कर लें , कोई कश्क आज भी हैं मेरे क़फ़स में ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** कुछ बात *** " इतना तो इत्मीनान कर लेने दे , ज़िक्र तेरा आज भी कुछ कर लेने दे , होती नहीं मुलाकातें दिलचस्प तो क्या , तसब्बुर के ख़्यालो की नुमाइश कर लेने दे , फिर कहीं तु मिल ना मिल कहीं ऐसे में ,
*** ग़ज़ल *** *** कुछ बात *** " इतना तो इत्मीनान कर लेने दे , ज़िक्र तेरा आज भी कुछ कर लेने दे , होती नहीं मुलाकातें दिलचस्प तो क्या , तसब्बुर के ख़्यालो की नुमाइश कर लेने दे , फिर कहीं तु मिल ना मिल कहीं ऐसे में ,
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" फ़कत ये है नहीं होता कि तुमसे कुछ बातें करते हम , मेरे ज़िक्र से रुसवाईयां ताउम्र यूं तुम रखोगे , जहां तक लगें चाहना तुम बेसबब कहीं बिछड़ जाना तुम, जहां तक दिल को ज़िक्र गुंजाइश मंज़ूर ना लगे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फ़कत ये है नहीं होता कि तुमसे कुछ बातें करते हम , मेरे ज़िक्र से रुसवाईयां ताउम्र यूं तुम रखोगे , जहां तक लगें चाहना तुम बेसबब कहीं बिछड़ जाना तुम, जहां तक दिल को ज़िक्र गुंजाइश मंज़ूर ना लगे . " --- रबिन्द्र राम #फ़कत #ज़िक्र #रुसवाईयां #बेसबब #ज़िक्र #गुंजाइश #मंज़ूर
Rabindra Kumar Ram
" ये ज़िक्र हैं की महज़ ख़्याल हैं ये, मेरे आंखों में फिर किसकी फ़राज़ हैं ये, मिलने-मिलानें का ज़रा लुफ्त हम भी ले, आख़िरकार ये सितमगर यार भला कैन हैं ये , --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " ये ज़िक्र हैं की महज़ ख़्याल हैं ये, मेरे आंखों में फिर किसकी फ़राज़ हैं ये, मिलने-मिलानें का ज़रा लुफ्त हम भी ले, आख़िरकार ये सितमगर यार भला कैन हैं ये , --- रबिन्द्र राम #ज़िक्र #महज़ #ख़्याल#आंखों #फ़राज़ #ज़रा #लुफ्त #सितमगर
अदनासा-
जिनका ज़िक्र तुम सुबह-शाम करते हो उन्हें तुम्हारी कोई फ़िक्र तक नही होती जो तुम्हारी फ़िक्र में रोज़ जीते मरते हो तुम्हें क्यों उनकी परवाह ही नही होती ©अदनासा- #हिंदी #परवाह #ज़िक्र #फ़िक्र #ज़िन्दगी #Instagram #Facebook #Pinterest #अपने #अदनासा
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read moreBhavana kmishra
अफसानों में ज़िक्र तुम्हारा, सपनों में भी आते ख़्वाब हैं.. मालूम था हमें मिलेगा सिर्फ़ दर्द ही, मगर ये दर्द भी "भावना" लाजवाब है..। ©Bhavana kmishra #ज़िक्र तुम्हारा Mili Saha @gyanendra pandey Ra J Atul Pramanik SAUD ALAM R K Mishra " सूर्य " Simab Eak Ehsaas Lalit Saxena SURAJ PAL SINGH अब्र (Abr) Sunita Pathania भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Vickram AD Grk Ambika Mallik अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर Anil Ray Puja Udeshi Balwinder Pal Poonam Suyal
#ज़िक्र तुम्हारा Mili Saha @gyanendra pandey Ra J Atul Pramanik SAUD ALAM R K Mishra " सूर्य " Simab Eak Ehsaas Lalit Saxena SURAJ PAL SINGH अब्र (Abr) Sunita Pathania भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Vickram AD Grk Ambika Mallik अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर Anil Ray Puja Udeshi Balwinder Pal Poonam Suyal
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