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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
हा लक्षिमन तुम्हार नहिं दोसा, सो फलु पायऊँ किन्हेऊँ रोसा । बिबिध बिलाप करति बैदेही, भूरि कृपा प्रभु दूरि सनेही ।। ©Anushi Ka Pitara सीता संवाद ( रामायण) #NojotoRamleela
Anupam Mishra
सीता का हरण जब दुष्टता वश हुआ क्यों सीता ने रावण का सामना वीरता वश ना किया? क्या राम लक्ष्मण के चले जाने से मां की अपनी शक्ति क्षिण्ण हो गई? क्या मां पुष्पक विमान को ध्वस्त ना कर पाई? क्यों इतनी आसानी से मां हार मान गईं? क्यूं वो आंखें मूंदे बस राम का नाम जपती रहीं क्या वो स्वयं उसका सामना करने में सक्षम न थीं? राम के इंतजार में मां बस जप करती रहीं क्यों ना वीरांगना बनकर जूझ पड़ीं अग्नि परीक्षा में जो मां सफल रहीं उन्हें बजरंगबली की क्या ज़रूरत पड़ी, क्या वो स्वयं लंका दाह को पर्याप्त न थीं? राम ने लंका आकार रावण का वध किया क्या मां सीता की ज्वाला रावण को न जला सकीं? क्यूं, क्यूं आखिर हर बार सीता राम का इंतजार करे क्यूं ना वो खुद को रावण से जूझने को तैयार करे! © अनुपम मिश्र ©Anupam Mishra #सीता #राम #सीताराम #रामायण #Dussehra2020
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
ऐहि ते अधिक धरमु नहिं दूजा सादर सासु - ससुर पद पूजा राम सीता संवाद ( रामायण) ©Anushi Ka Pitara राम सीता संवाद ( रामायण) #NojotoRamleela
Ashutosh Mishra
राम आये अवध से ब्याहने जनक दुलारी दृश्य मनोहर देख के हर्षित हुए नर नारी ।। आगे आगे राम लला पीछे लखन सब भाई चले जनक के अंगना बारात लेके रघुराई ।। मंगलघड़ी अब आन पड़ी पाहुन बने श्री राम धन्य धन्य था हो गया पावन मिथिला धाम ।। कन्यादान में जनक ने सौंपा सिया का हाथ जनकसुता हुई राम की ब्याह लिए रघुनाथ ।। स्वर्ग से सुंदर था सजा सारा जनकरपुर धाम साक्षी थे सब देव ऋषि मुनि तब हुए सिया के राम ।। ✍️ आशुतोष मिश्रा #हिंदी #राम #सीता #रामायण #nojoto #nojotopoem
Sopiya_Uday
40 दिन रामायण दिखाने के बाद जब दारु ही पिलानी है। फिर नशेड़ी भक्तों की वैरायटी तो पक्का आनी है।। #दारू और रामायण
Deepika_love_rajput
तुम सीता जैसा स्वभाव रखना, मैं राम जैसा स्वभाव रखूंगा! तुम सीता जैसे ध्यान रखना, मैं राम जैसे ख्याल रखूंगा! ©Deepika_love_rajput सीता और राम
Parasram Arora
जिसने रेखा छोड़ी वो तो कल की सीता थीं ज़ो आज की सीता है वो तो राधा की राह पर ख़डी ©Parasram Arora सीता और राधा
Anjali Jain
राम को जब वनवास मिला था तब सबके कलेजों पर आरियां चल गई थी किन्तु आज राज्याभिषेक की पावन बेला में राम का जो स्वरूप निखर कर और तप कर आया वह चौदह वर्षों के दुष्कर वनवासी जीवन की सुखद परिणति थी अन्यथा राम भी एक साधारण राजा बन कर रह जाते जैसे सैंकड़ों राजा आए व गए! तभी तो कहते हैं कि "जो भी होता है अच्छा होता है!" इन शब्दों के बीच जो वक्त होता है उसमें व्यक्ति को कितना संघर्ष करना पड़ता है, वाकई व्यक्ति जब उन संघर्षों की ज्वाला में तपकर उज्ज्वल होता है तभी वह भी असीम सुख पाता है और संसार को भी देता है! रामानंद सागर जी ने आज राम - दरबार को,राज्याभिषेक को साकार कर दिया, अरुण गोविल जी ने साक्षात राम को साकार कर दिया! हम उन क्षणों में सचमुच अयोध्या में, राम युग में ही पहुँच गए! सागर साहब ने कितना कठिनतम और सुंदरतम कार्य किया, उसकोअभिव्यक्त करने में शब्द ही समर्थ नहीं है बस अद्भुत अद्भुत और अद्भुत!! #राम और रामायण 19.04.20