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Biikrmjet Sing
1. कबीर गरब न किजीयै रंक न हंसिए कोए।। अजे सो नाओ समुद्र मैं क्या जानो क्या होए।। अर्थ:- हे मन रूपी कबीर कभी अपने ऊपर हंकार न करो न ही किसी गरीब पर हंसो क्योंकि अभी हमारी खुद की नाव भी भवसागर यानी त्रे गुण में है क्या जाने कब परमात्मा कौन सा खेल कर दे।। 2. सूरत शब्द भवसागर तरियै नानक नाम वखाने।। अर्थ:- संतो द्वारा बताई हुई विधि से सुरति से प्रकाश को ध्याने से भवसागर तरा जा सकता है।। ऐसा नाम संत जन अपने मुख से वखान यानी भाख्या करते हैं।। 3. संत जना सुने शुभ बचन सर्ब व्यापी राम संग रचन।। अर्थ:- संत जन द्वारा नाम की विधि के व्यख्यान के शुभ वचन सुने तोह मन सर्ब व्यापी राम यानी प्रकाश संग रचना यानी रमना शूरु हो गया।। ©Biikrmjet Sing #प्रकाश
कवी दिपक सोनवणे
या अंधारलेल्या वाटेलाच मी माझा प्रकाश शोधणार मनातून अंधार घालवणार त्यासाठी हवं ते सर्व करणार प्रकाश
Prakash Singh
क्या लिखूं जो आपसे प्यार हो जाए।। ताकि जब भी मिलू तो दीदार हो जाए।। प्रकाश##
Prakash Singh
एक बेटी जब ब्याह के उपरांत अपने पीया के घर जाती हैं..तो उस दरम्यान माँ और बेटी के बीच आँखो ही आँखो क्या बाते होतीं हैं ...ज़रा गौर फरमाइयेगा...दोस्तों....मेरी चंद पंक्तियाँ पे...... ब्याह हो जब बेटी पिया के घर चली... , अपनी ममता की छाव वो छोड़ चली.. माँ की ममता में पली... वो नन्ही सी कली... ब्याह हो अपनी पिया के घर चली... ये घर आँगन सब बेंरंग हो चली... . तू पिया के संग हो चली... . हाथों में तेरी मेंहदी हैं रची.... लाल जोड़े में तू हैं सजी.... ओ मेरी नन्ही सी कली... तू अपने पिया के घड़ी चली... . जब घड़ी आयी जुदायी की.. माँ की ममता विभोर हो चली... छलक के आँखो से आँसू... ग़मजदा हो चली.... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया की घर चली.... बिटिया जब माँ के गले लगी.... माँ की कलेजा बेजान हो चली.. सिसकीयां से मौसम ग़मगीन हो चली मेरी लाडो में पली... मेरी नन्ही सी कली... अपने पिया के घर चली... थमी क़दम आगे अब बढ़ती नहीं... बिटिया की... आँखो से आँसू रुकती नहीं..... बिटिया की.... माँ की ममता विभोर हो चली.. पालकी में बैठ.... बेटी अपने पिया के घर चली.... प्रकाश ##
Prakash Shukla
अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम क्योंकि अपेक्षा रूपी तरकश मे स्वेक्षा रूपी बाण से नखरे रूपी धनुष का प्रयोग एक मँझे शिकारी के रूप मे करने वाली तुम और उपेक्षा रूपी पतेले मे चाकू रूपी आकाँक्षाओं की धार मे रहकर जल रूपी मीठी चासनी मे भीगकर शान्त रहने वाले शिकार हम अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम सबसे बड़ी बीमारी तुम उससे पड़े बीमार हम ओ जाल़िम अब तो कहर कम कर रहम कर क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी जुगाड़ी तुम सबसे बड़े जुगाड़ हम प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
2 Years of Nojoto है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत मनुष्यता मे विशाल बनकर विरासतों की मिशाल बनकर हो मनुज ,पशु या वृक्ष ,प्रकृति रखी धरोहर त्रिकाल बनकर चराचरों मे गुरू स्थान है धरा में अपना घमण्ड भारत है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत एकता का बल विविधताओं मे समता निःस्छल जन कथाओं मे हिन्दू मुस्लिम या सिख ईसाई विविध फूल इन सम लताओं मे पार-अलौकिक जन्मस्थली धरा का ऐसा भूखण्ड भारत है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत हैं विविध बोलियां विविध भारती हेतु सुमंगल विविध आरती विविध क्षेत्र मे विविध कलाएँ है पुण्य भूमि सबको निहारती हे माँ भारती माँ भारती है सर्व जगत मे प्रकाण्ड भारत है अखंड भारत प्रचण्ड भारत ,है अखंड भारत प्रचण्ड भारत प्रकाश प्रकाश
Prakash Shukla
2 Years of Nojoto अरे...................... किस्मत की लकीरें मेंटने वालों जाकर किस्मत निर्माण करो कुछ अपने अपने कर्मों को बदलो या दीन दुखियों का परित्राण करो किस्मत की लकीरें मेंटने वालों तुम लगे रहो मजधारों में क्या पश्चिम कोई सूर्य निकलता या पागल बिकते बाजारों मे या चन्द्र कभी पूरब मे उगकर ढलता जाकर पश्चिम मे या सागर की लहरें उत्तर मे उठकर जा कर गिरती दक्षिण में सागर मे मोती सा बनकर देखो कहीं शीप न बन जाओ तुम या छोड़ दो सारी पीड़ाओं को या आप विदित हो जाओ तुम अरे .............................किस्मत की लकीरें मेंटने वालों जाकर किस्मत निर्माण करो कुछ अपने अपने कर्मों को बदलो या दीन दुखियों का परित्राण करो ताप की तपिश मे तपकर लोहा सुन्दर सुयश सुडौल बना सरस जल पीने हेतु धरती मे अद्भूत उत्कृष्ट भूगोल बना जलते अंगारों ने भी जगह बनाई उपजे धरती माँ की कोख से तुम भी कुछ ऐसे कदम बढ़ाओ सब दुःखों को जाओ सोख से अरे किस्मत की लकीरे मेंटने वालों जाकर जीवन मे प्राण भरो अपने जीवन मे प्राण भरो या दीन दुखियों का कल्याण करो अरे ............................किस्मत की लकीरें मेंटने वालों जाकर किस्मत निर्माण करो कुछ अपने अपने कर्मों को बदलो या दीन दुखियों का परित्राण करो प्रकाश प्रकाश