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Avinasha
दर - दर तुम्हें खोज़ रही हूँ , रिक्त कंठ लिए सोच रही हूँ। क्या प्यास हो या अास, क्यों दूर हो ना पास। खंगाल लिए रिश्तों के जाल, नाविक के पास न मिली पाल। प्यास के मारे कितने गए है, प्यास लिए कितने तर गए हैं। तृप्त होंगी या रिक्त है ये मर्म, जानूं कैसे जो है भविष्य का गर्भ। प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित
प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित
read moreRajnish Shrivastava
प्यास के मारे कही जान निकल न जाए कोई नही यहाँ जो मेरी हालत को समझ पाए आस तो है कब से कोई अपना सा मिल जाए जो मन को मेरे समझे मेरा मनमीत बन जाए प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित
प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #प्यासकेमारे
read moreLOL
नैन हमारे दरस को तरसते हैं बेचारे.. प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित
प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #प्यासकेमारे
read moreप्रेM लखनवी
ये नदियां, ये सागर प्यास के मारे हैं, बारिश के बिना। तो रहम कर और सोच मेरा क्या हाल होगा तेरे बिना। प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित
प्यास एक काव्यात्मक रूपक है। जो आम जीवन की समस्याओं को भी परिलक्षित करता है और साथ आंतरिक मनोभावों को भी। एक लेखक मन को प्यास कैसे प्रभावित #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #प्यासकेमारे
read moreShree
आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं, ले लगत लागत है अपरिहार्य... लत-रत जग क्षण-क्षण बौराये! आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बा
आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बा #yqhindi #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires #ajot_life
read moreSrinivas
अर्थहीन दुनिया लगती है बिना रंगमंच के, समाज की स्पष्ट तस्वीर पूरी तरह से रंगमंच पर परिलक्षित हो जाता है । रंगमंच दर्शकों को मनोरंजन और सार्वजनिक जागरूकता का एक शक्तिशाली साधन प्रदान करता है। ©Srinivas Mishra World seems meaningless without theater, a clear picture of society is reflected in the theater as a whole. Theater provides audiences with
World seems meaningless without theater, a clear picture of society is reflected in the theater as a whole. Theater provides audiences with #alone
read moreसंगीत कुमार
(जीवन पथ ) जीवन पथ के रूप अनेक। कुछ करने चलो तो रोड़ा बन आते अनेक।। कुछ सृजन करो तो निकालते खोंट। जीवन है यह चलता रहेगा, राह पर अनेक पथिक मिलते रहेंगे।। जीवन पथ के रूप अनेक। कर्म करते रहेंगे, सृजन करते रहेंगे। परिमार्जन के संग लेखनी परिलक्षित करेंगे।। रूकेंगे न जीवन पथ पर चलते रहेंगे। रोड़े को पुष्प समझते रहेंगे।। जीवन पथ के रूप अनेक। जीवन में सुख - दुःख आते रहेंगे। मस्त होकर हम जीते रहेंगे।। हर बाधा को झेलते रहेंगे। अपने पथ पर आगे बढते रहेंगे।। जीवन पथ के रूप अनेक। ✒️©संगीत कुमार स्व-रचित 🌹🌹 (जीवन पथ ) जीवन पथ के रूप अनेक। कुछ करने चलो तो रोड़ा बन आते अनेक।। कुछ सृजन करो तो निकालते खोंट। जीवन है यह चलता रहेगा, राह पर अनेक पथिक
(जीवन पथ ) जीवन पथ के रूप अनेक। कुछ करने चलो तो रोड़ा बन आते अनेक।। कुछ सृजन करो तो निकालते खोंट। जीवन है यह चलता रहेगा, राह पर अनेक पथिक
read moreVedantika
मेरी लेखनी मेरे लिए चिंतन का विषय हैं क्योंकि समाज पर लेखन का गहरा असर पड़ता हैं। हम जो कुछ भी लिखते हैं उसका एक-एक शब्द हमारी विचारधारा को परिलक्षित करता हैं। हमारे लेखन मे किसी के लिए घृणास्पद विचारों का परिलक्षित होना हमारी लेखनी को कलंकित करता है। हमारे पाठक उसी प्रकार की छवि अपने मन में बसा कर हमारा अनुसरण करते हैं। मेरी लेखनी मेरे लिए चिंतन का विषय हैं क्योंकि समाज पर लेखन का गहरा असर पड़ता हैं। हम जो कुछ भी लिखते हैं उसका एक-एक शब्द हमारी विचारधारा को प
मेरी लेखनी मेरे लिए चिंतन का विषय हैं क्योंकि समाज पर लेखन का गहरा असर पड़ता हैं। हम जो कुछ भी लिखते हैं उसका एक-एक शब्द हमारी विचारधारा को प
read moreSwakeeya ..
लगे वचन जनु बाण.... ....शब्द बड़े चुभते हैं। एक एक करके आ लगे ये तीर, ताउम्र सीने में धंसे रहते हैं। कुछ समय बाद इनकी वेदना नासूर की तरह अनवरत, काया को पीड़ा
....शब्द बड़े चुभते हैं। एक एक करके आ लगे ये तीर, ताउम्र सीने में धंसे रहते हैं। कुछ समय बाद इनकी वेदना नासूर की तरह अनवरत, काया को पीड़ा
read moreAjay Amitabh Suman
ज़रूरी है ::::::::::::: ©Ajay Amitabh Suman #Poetry #Hindi_Kavita #Duryodhan #Mahabharat #कविता #दुर्योधन #महाभारत #धर्मयुद्ध महाभारत के शुरू होने से पहले जब कृष्ण शांति का प्रस्ताव
Poetry Hindi_Kavita Duryodhan Mahabharat कविता दुर्योधन महाभारत धर्मयुद्ध महाभारत के शुरू होने से पहले जब कृष्ण शांति का प्रस्ताव
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