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Rahul Kadam

जिव

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ज्या प्रमाने श्वास शिवाय जिव शक्य नाही ..
त्याच प्रमाने मी तुझ्या शिवाय  शक्य नाही...
भारु जिवन भरा साठी माझी होशिल का।.
भारु आय लव यु.... जिव

nil

जिव लावला

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Yogi Sonu

प्रकर्ति और पुरुष विद्या और अविधा जिव | Yogi Sonu | Thots #Yoga #Shots #thots #विचार

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vishnu thore

बांडगुळांना हिरवं ठेवण्याच्या कसोशीत झाडं मात्र जिव सोडतात.आपणही जिव लावतो कुणाकुणाला आपल्या आतली हिरवी माया उधळत असतो जिवापाड.माया माणसाची #nojotophoto

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 बांडगुळांना हिरवं ठेवण्याच्या कसोशीत झाडं मात्र जिव सोडतात.आपणही जिव लावतो कुणाकुणाला आपल्या आतली हिरवी माया उधळत असतो जिवापाड.माया माणसाची

vishnu thore

रुपानं देखनी पोर लई चिकनी हिच्या वाचुन जिव ह्यो राहिना होते जिवाची धडधड धडधड खुळ इश्काचं नशिलं जाईना

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रुपानं देखनी पोर लई चिकनी
हिच्या वाचुन जिव ह्यो राहिना
होते जिवाची धडधड धडधड
खुळ इश्काचं नशिलं जाईना रुपानं देखनी पोर लई चिकनी
हिच्या वाचुन जिव ह्यो राहिना
होते जिवाची धडधड धडधड
खुळ इश्काचं नशिलं जाईना

Hiyan Chopda

#pyaarimaa वह जिव जिसके पुण्य के प्रभाव से मुझे जीवन में पहली बार "मां" कहलाने का अवसर मिला मेरी लाडली रूही को जन्मदिन की आत्मीय, अनंत ,अशे

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kunwar KhuShwant🇮🇳

#क्रप्या_इसे_पढ़े_और_अपनी_राय_दे_ऐसे_जिव_होते_है_या_नहीं । नोटः यह कहानी लोकस्मृति और कथाओं से प्रेरित है जिसका लोग आज भी दावा करते है । एक #Books

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 #क्रप्या_इसे_पढ़े_और_अपनी_राय_दे_ऐसे_जिव_होते_है_या_नहीं ।
नोटः यह कहानी लोकस्मृति और कथाओं से प्रेरित है 
जिसका लोग आज भी दावा करते है ।
एक

Akshay Butle

प्रिय आईस, सा.न.वि.वि. पत्र लिहीण्यास कारण कि, शाळा सुरू होण्याआधी तु दिलेला फराळ सगळा संपला आहे. डब्याला आता वेगळी साबण ल

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 प्रिय आईस,
सा.न.वि.वि.

                 पत्र लिहीण्यास कारण कि,
शाळा सुरू होण्याआधी तु दिलेला फराळ सगळा संपला आहे. डब्याला आता वेगळी साबण ल

prem dhate

तुटलेल नात जोडून तरी बघ...... सतत वाट पाहत राहिलो ग तुझी पण कधीच वाट बदलली नाही हाका तर खुप द्यावास् #Poetry

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love you so muchhhh तुटलेल नात जोडून तरी बघ...... 
 

                सतत वाट पाहत राहिलो ग तुझी
          पण कधीच वाट बदलली नाही
          हाका तर खुप द्यावास्

N S Yadav GoldMine

सांप और मेढकों की कहानी :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🃏 एक बार एक कुएं में गंगदत्त नाम का एक मेंढक रहा करता था। वह उसी कुए में मौजूद अपने रिश् #dost #जानकारी

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सांप और मेढकों की कहानी :-
 {Bolo Ji Radhey Radhey}
🃏 एक बार एक कुएं में गंगदत्त नाम का एक मेंढक रहा करता था। वह उसी कुए में मौजूद अपने रिश्तेदारों से बहुत परेशान था। इसलिए वह एक दिन कुए से बाहर आ गया और सोचने लगा कि अपने रिश्तेदारों से अपने अपमान का बदला किस प्रकारलिया जाये। तभी उसे चलतेचलते एक सांप का बिल दीखता है।

🃏 मेंढक ने सोचा कि मैं इस बिल में रहने सांप को अपना मित्र बनाकर अपने रिश्तेदारों का नाश करवा दूंगा। यह सोचकर वह सांप के बिल के आगे खड़े होकर जोर जोर से कहने लगा- मित्र मैं तेरे द्वार पर तेरा मित्र बनाने आया हूँ सांप ने यह सुन सोचा कि अवश्य ही मुझे फासने के लिए कोई मुझे आवाज लगा रहा है। 

🃏 डर के मारे सांप अंदर से ही कहता है-मुझे विश्वास नहीं होता कि एक सांप और किसी दूसरे जिव की मित्रता भी हो सकती है। यहाँ सुनकर गंगदत्त कहता है-तुम्हारा कहना सही है तू मेरा दुश्मन जरूर है, परन्तु मैं अपने रिश्तेदारों से परेशान होकर तुम्हारा मित्र बनने आया हूँ ताकि तुम मेरे साथ रहकर मेरे रिश्तेदारों को खा कर खत्म कर दे।

🃏 यह सुनकर सांप सोचता है कि इसमें मेरा ही फायदा है मैं बिना मेहनत करके मेंढको को खाता रहूँगा। यह सोचकर सांप मेढक से पूछता है- तू कहाँ रहता है? गंगदत्त कहता है- मैं कुए में रहता हूँ तू भी उसी में रहना। 

🃏 सांप कहता है-तू तो ऊँची ऊँची झलांग लगा कर कुए में घुस जाता है पर मैं तो बिना पैरों का रेंगने वाला जिव हूँ, मैं कुए में कैसे घुसूंगा? मेढक कहता है-तू इसकी चिंता मत कर मैं किसी तरह तुझे उसमे घुसा दूंगा और धीरे-धीरे तू सभी मेंढकों को खा लेना। 

🃏 मेंढक ने किसी तरह सांप को कुए में घुसाया और सांप धीरे-धीरे गंगदत्त के सभी रिश्तेदारों को खा गया। लेकिन सांप सभी मेंढक खाने के बाद गंगदत्त से कहता है- मित्र मैंने तेरे सभी रिश्तेदारों को खा लिया है पर अब मैं कैसे अपना पेट भरूंगा। मेंढक ने कहा-मैं तुम्हारे लिए दूसरे मेंढकों का इंतजाम करता हूँ। 

🃏 गंगदत्त मेंढक किसी तरह मेढकों का इंतजाम करके सांप को खिला देता है अगले दिन सांप फिर गंगदत्त को कहता है- अरे मित्र ये मेंढक भी समाप्त हो गए इसलिए तुम और मेंढको का इंतजाम करो। अगले दिन जब गंगदत्त को सांप के लिए भोजन नहीं मिला तो सांप ने उसके पुत्र को ही खा डाला।  

🃏 गंगदत्त सांप को अपना मित्र बनाकर बहुत पछताया और अपने पुत्र के मरने का शोक करने लगा। सांप ने कहा–मित्र आज तो मेरी भूक मिट गई तू कल मेरे लिए दूसरे मेंढकों का इंतजाम करना। मेंढक ने सोचा कि एक दिन ऐसा आएगा जब सारे मेंढक समाप्त हो जायेंगे और ये मुझे खा जायेगा। 

🃏 यह सोचकर मेढक ने सांप से छुटकारा पाने का एक उपाय सोचा और मेढकने सांप से कहा–तू चिंता मत कर मैं अभी कुए से बाहर जाकर कल के लिए मेढकों का इंतजाम करके लाता हूँ। यह कहकर मेंढक अपनी जान बचाकर वहां से चला जाता है और कभी भी उस कुए में वापिस नहीं आता। 

कहानी की शिक्षा :-🃏 जो अपने से बलवान शत्रु को अपना मित्र बनाता है उसका अपना ही नुकसान होता है जैसे मेढक ने सांप को अपना मित्र बनाया और सांप उसके पुत्र को ही खा गया।

©N S Yadav GoldMine सांप और मेढकों की कहानी :-
 {Bolo Ji Radhey Radhey}
🃏 एक बार एक कुएं में गंगदत्त नाम का एक मेंढक रहा करता था। वह उसी कुए में मौजूद अपने रिश्
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