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Vikas Rawal
कल रात, फिर से शाम आई थी, मैं फिर से तन्हा था, तुम फिर से याद आई थी। कल रात,फिर से शाम आई थी, मैं फिर से तन्हा था, तुम फिर से याद आई थी। कल रात, फिर से शाम आई थी, बातों की पोटली, यादों का पिटारा और एक धुंधला
कल रात,फिर से शाम आई थी, मैं फिर से तन्हा था, तुम फिर से याद आई थी। कल रात, फिर से शाम आई थी, बातों की पोटली, यादों का पिटारा और एक धुंधला #Poetry
read moreOMG INDIA WORLD
प्रकृति की गोद में #चरित्रहीन स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े ! स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक कि पुरुष चरित्रहीन न हो। संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वे एक गांव गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूँ कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा- हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है वह जल्दी ही वृद्ध होगा फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए और आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है ? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है।आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपके द्वारा पकड़ लिया गया है। बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जबतक कि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो। अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहाँ के पुरुष जिम्मेदार हैं l यह सुनकर सभी लज्जित हो गये लेकिन आजकल हमारे समाज के पुरूष लज्जित नहीं गौरवान्वित महसूस करते है क्योंकि यही हमारे "पुरूष प्रधान" समाज की रीति एवं नीति है l. ashish ©OMG INDIA WORLD #चरित्रहीन स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े ! स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक
#चरित्रहीन स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े ! स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक #विचार #OMGINDIAWORLD
read moreDeepak Kanoujia
"तेरे यार भतेरे ने मेरा तू ही है बस यारा" " तेरे नाल होना ऐ गुज़ारा जट्टी दा मेरा नहीयो होर कोयी हाल किसे नाल " दृश्य 1 : एक सुन्दर सरोवर जिसमें तरह तरह के फूल खिले हैं और विभिन्न प्रकार के जलचर जल की क्रीङाये कर रहे हैं...आसपास ऊँचे पर्वत और उनसे क
दृश्य 1 : एक सुन्दर सरोवर जिसमें तरह तरह के फूल खिले हैं और विभिन्न प्रकार के जलचर जल की क्रीङाये कर रहे हैं...आसपास ऊँचे पर्वत और उनसे क #mahashivratri #loveisworship #shivparvati #mahadevlove #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik
read morePushpendra Pankaj
हाथ को हाथ दे,साथी का साथ दे , सत्य पर जोर दे,ज्ञान पर गौर दे, संतो की होङ कर,श्रम जीतोङ कर, त्याग दे स्वार्थ को,चल परमार्थ को, थोङा सा घूम जा,भक्ति मे झूम जा, सत्य राह जाएगा,स्वयं सहज पाएगा, लोभ बंध तोङ दे ,भ्रष्टों को छोङ दे, विष-घट फोङ दे,मानवीय मोङ दे।। ©Pushpendra Pankaj हाथ को हाथ
हाथ को हाथ #कविता
read moresanjay d.y
मिले हुए हाथ छुट ना जाये तुम हाथ बड़ाना जरा उँगली से उँगली मिल जाने दे हाथ जरूर मिल जायेगे ©sanjay d.y #हाथ se हाथ मिले
anup.ji.star
आधी अधूरी बातें दिल पर बोझ जैसी होती है किसी की सुन लिया करें या किसी से कह दिया करें हाथ से हाथ जोड़े
हाथ से हाथ जोड़े
read moreVivek
आश्चर्य से भर गया वह पल मैंने खोली आँखें तुम सामने थे हाथ में लिए हाथ साथ में थे...!!! ©Vivek #हाथ में लिए हाथ
Vivek
देखो तुम्हारा इश्क़ तन्हा न गुज़रे इसलिए साथ तुम्हारा ज़रूरी है अकेले उम्र न कटेगी तुमसे हाथ में हाथ हमारा ज़रूरी है...!!! ©Vivek # हाथ में हाथ # उम्र
# हाथ में हाथ # उम्र
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
यहां कौन समझता है,दिल की मजबूरियों को। कम कैसे करोगे, किस्मत में लिखी दूरियों को। कोई दिल से,दिल में उतर गया इश्क़ पाने को। और कोई खेल समझ बैठा,मेरे जज्बातों को। तेरी याद रूलाती है, अक्सर मेरी तन्हाइयों को। दिल सहेजकर रख लिया तेरी मेहरबानियों को। पंखुड़ियां किताब में छोड़ गई, कुछ कांटों को। रिश्तों की दहलीज से,मिटाऊं उनकी यादों को। तेरी याद आती है,गांव के पीपल नदी की रेत को। दिल भूला नहीं पा रहा, तेरी उन अठखेलियों को। रूलाती है तेरी यादें और तुम,दिल की आंखों को। मेरी कलम लिख देती है, बस तेरी नादानियों को। डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान। घोषणा - उक्त रच मौलिक है। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani #उसके हाथ मेरे हाथ में