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Anuj Ray
White कलेजे की आग" किसी के कलेजे की आग बुझते ही, किसी की रात की चूल्हे की आग जल गई। मिला किसी को कुछ भी नहीं फ़िर भी , दोनों की एक पल के लिए तबियत बहल गई। ©Anuj Ray # कलेजे की आग"
# कलेजे की आग"
read moreKavi Himanshu Pandey
White प्रिय,आग लगाने से मिलेगा क्या, जज़्बातों को भड़काने से मिलेगा क्या, एक बार देखो नज़ारा आग बुझाकर, फ़िर सोचना, तुम्हें मिलेगा क्या! ...... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey आग.. #beingoriginal #NojotoHindi
आग.. #beingoriginal Hindi
read moreGhumnam Gautam
ये बस्ती आँखवालों की है लेकिन है ऐसा कौन जो अंधा नहीं है? न जाना चाहिए दरिया में उनको कि जिनके हाथ में तिनका नहीं है ©Ghumnam Gautam #ghumnamgautam #तिनका #,बस्ती
#ghumnamgautam #तिनका #,बस्ती
read moreNina
मैं को मैने... आंसुओं से मैंने मुझको विदा है किया। सुखा कर उन्हे जेब में रुमाल सा सजा लिया। मुस्कुराते हुए मैंने मुझको देख तो लिया, मैं जान न पाया मैंने मुझे दिल था दिया। मैं रोया चमकती आंखों से, नूर बना लिया। मुस्कुराया बुझे अरमानों से, सुख बना लिया। जल उठी वो धरती, वहां मरुस्थल बना लिया। कांटों में फूल खिलाए, नदी से पानी बहा लिया। मैं जाता मुझसे दूर कि सुख से रहना हो लिया। मुझको दूर करना मुझसे ही उचित बना लिया। मैं जान न पाया कब मैंने खुद को शत्रु बना लिया। अजातशत्रु मैने अपना ही प्राण ले लिया।। मेरी दुनिया उजली करने मैने खुद को जला दिया!! ©Nina आग
आग
read moreनवनीत ठाकुर
White बस्ती हो और मकान न हो। महफिल हो और शराब न हो। तेरे हुस्न की चर्चा रहे हर लम्हा, फिर भी तेरा दीदार न हो। तेरे हुस्न का जादू, जैसे नसीब का खेल, वरना तेरे बिना महफिल भी, सुनसान हो। तू हो पास, तो हर दिल में बहार हो, तू जैसे रेत पर खड़ी, ख्वाबों की दीवार हो। हर ग़ज़ल में जिक्र तेरा, तेरे बिना हर लफ्ज़ बेकार हो। तेरी यादों का नशा, हर लम्हा ताज़गी बक्शे, तेरे बिना कोई जश्न, जैसे बंजर कोई बाग़ हो। तू ही राहत, तू ही सुकून, तेरे बिना अधूरा जैसे हर ख्वाब हो। महफिल हो और शराब न हो, तेरा चर्चा रहे बस तेरा दीदार न हो। ©Navneet Thakur बस्ती हो और कोई मकान न हो#
बस्ती हो और कोई मकान न हो#
read moreShiv Narayan Saxena
White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena #good_night घर-घर में होने लगे.....
#good_night घर-घर में होने लगे.....
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