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anshika Anshh

तू कहाँ है?? #poem

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                         #तू कहाँ है???                      
                                                   
 तू कौन है, तू है क्या चीज़.              सवाल मेरे बोहोत हैं तुझसे
 मुझे तू इतना तो बता??                 जवाब देने मुझको आ        
                                                  खुदा मेरे तू देख तो  मुझको           
मंदिर में है?? मस्जिद मे है?             निगाह तेरी मुझपे भी टिका
गुरूद्वारे या गिरजे मे है??                                                      
कहाँ तुझे ढूंढू मै बता???                देखा न कुछ मैंने फिर भी.  
                                                  कोई मुझसे कह रहा
क्या है तू?? कोई इंसां है क्या?         बाहर नहीं हूं मैं कही भी
शक्ति बोहोत बड़ी है ना?                अपने अंदर झाँक ज़रा
मैं तुझको ढूंढू, तू कहाँ है??                                                 
मुझको कहाँ मिलेगा बता??            अंदर अपने झाँक के देखा
                                                  तुझको मैंने पा लिया 
लोग बताते तुझको पत्थर.               इंसां की फितरत बदलेगी 
के अंदर मौजूद है तू.                       जब उसको ये चले पता!!!
जो इक पत्थर में समाये
इतनी सी हस्ती है क्या???              देश ये मेरा , देश ये तेरा, 
                                                  देश ये उसका, कहने वाले
हिन्दू कहते मंदिर में है.                    ज़मीं बाद में बाट भी लेना
मुस्लिम मस्जिद में बताता                इंसां तो बन जाओ पहले
गुरूद्वारे में बैठा है क्या?                
या गिरजा घर में है बता??              कह रहा हूं दुनिया से मैं
                                                 छोड़ दे सब और आ यहाँ तू 
सच पूछो तो तू नहीं है.                   तुझसे बातें करता है वो
दुनिया में बाकि रहा.                      कानो से तो हाथ हटा???
इंसां की कीमत रही न.                                                       
कीमत किसी जीव की क्या??          इमारतों में ढूंढ न उसको
                                                   सुन मेरी तू ऐ इंसां               
शायद तू भी रो रहा है                      ढूंढता क्यों उसको बाहर
इंसां की जुर्रत है क्या??                   वो तेरे अंदर बसा!!!
कैसा बना के भेजा था और                                                
देखो कैसा हो गया?                                               -Anshh
 तू कहाँ है??

anshika Anshh

तू कहाँ है?? #poem

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#तू कहाँ है???                      
                                                   
 तू कौन है, तू है क्या चीज़.              सवाल मेरे बोहोत हैं तुझसे
 मुझे तू इतना तो बता??                 जवाब देने मुझको आ        
                                                  खुदा मेरे तू देख तो  मुझको           
मंदिर में है?? मस्जिद मे है?             निगाह तेरी मुझपे भी टिका
गुरूद्वारे या गिरजे मे है??                                                      
कहाँ तुझे ढूंढू मै बता???                देखा न कुछ मैंने फिर भी.  
                                                  कोई मुझसे कह रहा
क्या है तू?? कोई इंसां है क्या?         बाहर नहीं हूं मैं कही भी
शक्ति बोहोत बड़ी है ना?                अपने अंदर झाँक ज़रा
मैं तुझको ढूंढू, तू कहाँ है??                                                 
मुझको कहाँ मिलेगा बता??            अंदर अपने झाँक के देखा
                                                  तुझको मैंने पा लिया 
लोग बताते तुझको पत्थर.               इंसां की फितरत बदलेगी 
के अंदर मौजूद है तू.                       जब उसको ये चले पता!!!
जो इक पत्थर में समाये
इतनी सी हस्ती है क्या???              देश ये मेरा , देश ये तेरा, 
                                                  देश ये उसका, कहने वाले
हिन्दू कहते मंदिर में है.                    ज़मीं बाद में बाट भी लेना
मुस्लिम मस्जिद में बताता                इंसां तो बन जाओ पहले
गुरूद्वारे में बैठा है क्या?                
या गिरजा घर में है बता??              कह रहा हूं दुनिया से मैं
                                                 छोड़ दे सब और आ यहाँ तू 
सच पूछो तो तू नहीं है.                   तुझसे बातें करता है वो
दुनिया में बाकि रहा.                      कानो से तो हाथ हटा???
इंसां की कीमत रही न.                                                       
कीमत किसी जीव की क्या??          इमारतों में ढूंढ न उसको
                                                   सुन मेरी तू ऐ इंसां               
शायद तू भी रो रहा है                      ढूंढता क्यों उसको बाहर
इंसां की जुर्रत है क्या??                   वो तेरे अंदर बसा!!!
कैसा बना के भेजा था और                                                
देखो कैसा हो गया?                                               -Anshh तू कहाँ है??

anshika Anshh

तू कहाँ है?? #poem

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                         #तू कहाँ है???                      
                                                   
 तू कौन है, तू है क्या चीज़.              सवाल मेरे बोहोत हैं तुझसे
 मुझे तू इतना तो बता??                 जवाब देने मुझको आ        
                                                  खुदा मेरे तू देख तो  मुझको           
मंदिर में है?? मस्जिद मे है?             निगाह तेरी मुझपे भी टिका
गुरूद्वारे या गिरजे मे है??                                                      
कहाँ तुझे ढूंढू मै बता???                देखा न कुछ मैंने फिर भी.  
                                                  कोई मुझसे कह रहा
क्या है तू?? कोई इंसां है क्या?         बाहर नहीं हूं मैं कही भी
शक्ति बोहोत बड़ी है ना?                अपने अंदर झाँक ज़रा
मैं तुझको ढूंढू, तू कहाँ है??                                                 
मुझको कहाँ मिलेगा बता??            अंदर अपने झाँक के देखा
                                                  तुझको मैंने पा लिया 
लोग बताते तुझको पत्थर.               इंसां की फितरत बदलेगी 
के अंदर मौजूद है तू.                       जब उसको ये चले पता!!!
जो इक पत्थर में समाये
इतनी सी हस्ती है क्या???              देश ये मेरा , देश ये तेरा, 
                                                  देश ये उसका, कहने वाले
हिन्दू कहते मंदिर में है.                    ज़मीं बाद में बाट भी लेना
मुस्लिम मस्जिद में बताता                इंसां तो बन जाओ पहले
गुरूद्वारे में बैठा है क्या?                
या गिरजा घर में है बता??              कह रहा हूं दुनिया से मैं
                                                 छोड़ दे सब और आ यहाँ तू 
सच पूछो तो तू नहीं है.                   तुझसे बातें करता है वो
दुनिया में बाकि रहा.                      कानो से तो हाथ हटा???
इंसां की कीमत रही न.                                                       
कीमत किसी जीव की क्या??          इमारतों में ढूंढ न उसको
                                                   सुन मेरी तू ऐ इंसां               
शायद तू भी रो रहा है                      ढूंढता क्यों उसको बाहर
इंसां की जुर्रत है क्या??                   वो तेरे अंदर बसा!!!
कैसा बना के भेजा था और                                                
देखो कैसा हो गया?                                               -Anshh
 तू कहाँ है??

DEVPRATAP SURYAVANSHI

कहाँ है तू #nojotophoto

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 कहाँ है तू

madhavi Gupta

भगवान कहाँ है तू #बात

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जाएं भी तो कहाँ ऐ खुदा 
न तो तू मंदिर में है न ही मस्जिद में
गया हूँ कईं बार तेरे चौखट पर मैं
किन्तु पुजारी ने यह कहकर लौटा दिया की भगवान अभी छुट्टी पर है। भगवान कहाँ है तू

Shikha Yadav

जाने तू कहाँ है। #poem

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जाने तू कहाँ है....

जाने तू कहाँ हैं, उड़ती हवा पे,
तेरे पैरों के निशान देखें।
रह कर ज़मी पर ,इन आँखों ने,
आसमां में तुझे तारे सा जगमगाते देखें। 
ख़्वाब सी सजी है जिंदगी मेरी,
तुझे सूरज सा उगता और ढलता देखें।
जब भी याद आती है तेरी,
तुझे उन तारों में मेरी निगाहें देखें।
खड़ी शाम को छत पे गुमनाम सी,
कैसी है हमारी कहानी की अधूरी दास्तां देखें।
जो रह गई अधूरी सी कहानी मेरी,
उसी को पूरी करने को मेरी कलम रास्ता देखें। जाने तू कहाँ है।

Amresh Rathod

भगवान है कहाँ तू #शायरी

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Ankur Singh

कहाँ खो जाता है तू,,

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Love in 5 Words बनना कौन नहीं चाहता , करना कौन नही चाहता,,
शुरुआत का वो आत्म विस्वास,, i am the best,, फिर है डगमगा जाता,
जब तू दुनिया में आके समां है जाता,,,
असफल भींड ही न जाने तुझे क्यों है भाता,,
वो आग जो सीने में थी वो सिगरेट में आ गयी,,
खुद से प्यार छोड़ जब नज़रें तेरी मल्लिका पर आ गयी,,
यही वजह है तू बीट से सामान्य है बन जाता
 कहाँ खो जाता है तू,,

Vasib Ali khan

तू बेवफा कहाँ तक है #Shayari

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मत पूछ मेरे सब्र की इन्तेहा कहाँ तक है 
तू करले सितम तेरी हसरत जहाँ तक है 
वफा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी 
हम तो देखना चाहते हैं तू बेवफा 
कहाँ तकहै तू बेवफा कहाँ तक है

Ankur Singh

कहाँ खो जाता है तू,,

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Love in 5 Words बनना कौन नहीं चाहता , करना कौन नही चाहता,,
शुरुआत का वो आत्म विस्वास,, i am the best,, फिर है डगमगा जाता,
जब तू दुनिया में आके समां है जाता,,,
असफल भींड ही न जाने तुझे क्यों है भाता,,
वो आग जो सीने में थी वो सिगरेट में आ गयी,,
खुद से प्यार छोड़ जब नज़रें तेरी मल्लिका पर आ गयी,,
यही वजह है तू बीट से सामान्य है बन जाता
 कहाँ खो जाता है तू,,
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