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Hemant Meena
स्त्री का सौंदर्य उसकी देह नहीं है उसकी भावना उसका प्रेम वात्सल्य इतराना इठलाना रूठना जताना मनाना सब उस के सौंदर्य की पंखुड़ियां है ©Hemant Meena स्त्री का सौंदर्य उसकी देह नहीं है उसकी भावना उसका प्रेम वात्सल्य इतराना इठलाना रूठना जताना मनाना सब उस के सौंदर्य की पंखुड़ियां है
R@j🌹Gautam
इन लकिरों का इठलाना ही तो जिंदगी है जिस दिन सीधी हुई समझना ये धड़कनो की आंतिम आहट थी। सब खत्म...#धड़कन की आह L@s इन लकिरों का इठलाना ही तो जिंदगी है जिस दिन सीधी हुई समझना ये धड़कनो की आंतिम आहट थी। सब खत्म...#धड़कन की आहट
Sheel Sahab
तुम जैसे हो, काश कि ऐसे ही रहते। ये चंचलता, ये हठ, ये बात बात पे रूठना, ये इठलाना, ये मटकना, ये मुंह फुलाना, ये चांद तोड लाने की ख़्वाहिश.
Vivek
सुन्दरता किसके लिए ©Vivek आईने ने पूछ लिया ये सुन्दरता किसके लिए किसके लिए ये इठलाना क्या तुम्हें है किसी से प्यार आईना पूछे ये अनायास मुस्कान किसके लिए
Mohammad Arif (WordsOfArif)
तेरा पल पल इन्तजार अब अच्छा नहीं लगता इस तरह रूठना मनाना मुझे अब अच्छा नहीं लगता बात बात पर गुस्सा हो जाती हो अब बताओ तुम हम कितना प्यार करे तुम से अब अच्छा नहीं लगता वक़्त बे वक़्त मेरे ख्वाबों में चली आती हो तुम नींद भी पूरा नहीं होता मेरा अब अच्छा नहीं लगता कभी रूबरू मिलने की बात करो तो रूठ जाती है प्यार में इठलाना जाने क्यूँ अब अच्छा नहीं लगता हर बार तेरा मुझसे दूर होना कुछ समझ नहीं आता डर डर के तुझसे प्यार करना अब अच्छा नहीं लगता तेरा पल पल इन्तजार अब अच्छा नहीं लगता इस तरह रूठना मनाना मुझे अब अच्छा नहीं लगता बात बात पर गुस्सा हो जाती हो अब बताओ तुम हम कितना प्यार
Rustam Ali Anjum
गुजारिश सब कहते है की हमारी समझ से बार है तू , बताओ तुम मुझे समझ पाओगी क्या ! दो चार कदम से ज्यादा कोई साथ नहीं चलता मैरे , बताओ उम्र भर तुम मैरे साथ चल पाओगी क्या ! मुझे देखते ही वो फूलो सा खिल जाना तेरा , बताओ वो हंसीन अहसास फिरसे महसूस कर पाओगी क्या ! वो आईने मे देख कर मैरे बारे मे सोंचना तेरा , बताओ वो पागलो सी हरकतें फिर से कर पाओगी क्या ! वो मैरे देर से reply देने पर तेरा गुस्सा हो जाना ,, बताओ ऐसी छोटी छोटी बातो पर मुझसे लड़ पाओगी क्या ! अपनी तारीफ मे मैरी शायरी पड़ते ही वो इठलाना तेरा , बताओ तो मैरे अल्फाज़ो को तुम फिर से समझ पाओगी क्या ! अकेला और बहुत अधूरा है तुम्हारे बिना ये रुस्तम , बताओ मुझे पूरा कर पाओगी क्या ! रुस्तम अली अंजुम गुजारिश सब कहते है की हमारी समझ से बार है तू , बताओ तुम मुझे समझ पाओगी क्या ! दो चार कदम से ज्यादा कोई साथ नहीं चलता मैरे ,
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सुनो, शहर की भी रोशनी यूं ही गुलजार नहीं होती इश्क की जंग में यूं ही हार जाना बेबसी नहीं होती!! /Captioned/ कुछ साथ गुनगुनाने के लिए लफ्ज़ हैं हाल बयां करने को खत लिखने हैं लंबी दूरी में मंजिल और मुसाफिर बनना हैं मिल जाए वो तलाश बन संवारना हैं खाम
धीरज झा
मां की कोख से निकल कर पिता की गोद में समा जाना मां की ममता में मिल कर पिता के रौब में इठलाना मां की मुस्कुराहटें बन कर पिता का गुरूर बन जाना मां के खयलों में होना शामिल और पिता की यादों में खो जाना बड़ी खुशनसीबी होती है दोस्त मां के दिल जैसा दिल और खुद पिता की सूरत जैसा हो जाना धीरज ❤विवेक भारती❤ मां की कोख से निकल कर पिता की गोद में समा जाना मां की ममता में मिल कर पिता के रौब में इठलाना मां की मुस्कुराहटें बन कर पिता का गुरूर ब
Mohammad Arif (WordsOfArif)
ये उल्फत ये मुहब्बत ये चाहत सब ख्वाब हुए ये बात अपने दिल को समझाऊ तो समझाऊ कैसे ये दिल ये धड़कन ये जान सब तेरे लिए ये प्यार वफा की बात उनसे बताऊं तो बताऊं कैसे ये नज़ाकत ये नखरें ये गुरूर अच्छा नहीं लगता ये इश्को मुहब्बत की बात तुझे बताऊं तो बताऊं कैसे ये आंखें ये पलकें ये इशारे तेरा क्या कहना ये दिल का मचलना अब उसे समझाऊं तो समझाऊं कैसे ये नफ़रत ये गुस्सा ये गुरुर बताओं किस लिए ये मुहब्बत भरा दिल उनको दिखाऊं तो दिखाऊं कैसे ये चलना ये इठलाना ये इतराना बताओं कब तक ये बस देखकर अपने दिल को बहलाऊ तो बहलाऊ कैसे ये उल्फत ये मुहब्बत ये चाहत सब ख्वाब हुए ये बात अपने दिल को समझाऊ तो समझाऊ कैसे ये दिल ये धड़कन ये जान सब तेरे लिए ये प्यार वफा की बात उनसे