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Vishal shakya😊
तेरे ख्यालो मे, मै जीये जा रहा हूँ, तेरी बातो को सोच, थोडा़ पीये जा रहा हूँ। मुकम्बल इश्क जो मेरा होता नहीं तुमसे, यहीं बात जहन मे बस बिठाय जा रहा हूँ। थोडे़ से अश्क तेरी जुदाई मे पीये जा रहा हूँ। तेरे ख्यालो मे, मै बस जीये जा रहा हूँ।।-2 vishal shakya #नज्म
Nitesh Kumar جگر دہلوی🇮🇳
( नज्म ) अब रातों को नींद नहीं आती हमें कुछ उम्र ही ऐसी है । शायद तन्हा है ना इसलिए ।। रातों को उठ-उठकर महताब निहारा करते हैं । सोचते हैं कि चांद तुम ही तन्हा नहीं हो जहां में ।। हम भी तेरे साथ हैं तेरी तरह ही । फिर याद आता है कि तेरे चाहने वाले तो बहुत हैं तभी तो हर कोई तुम्हारा जिक्र किया करता है ।। शायर अपनी शायरी में, माँ लोरी में , मोमिन हिजरी में और न जाने कहाँ कहाँ । सब तुम्हें चाहते हैं और तुम सा मांगते हैं ।। पर अफसोस कि मेरा चाहने वाला कोई नहीं। हम तो कल भी तन्हा थे और आज भी तन्हा हैं ।। और अब शायद आगे भी । कोई होगा हमारा क्या ।। جیگر دہلوی नज्म
RAJA ALAM
बड़ा मुँहजोड़ है मेरा दिल मेरी सुनता ही नही हर बार दिल लगा बैठता है और तड़पना मुझे पड़ता है। लाख समझाता हूँ मत पड़ इस लफड़े में कहता है इस बार देख लेता हूँ एक बार और दिल देता हूँ सायद ये अपना हो मेरी आंखों की सपना हो टूटा तो पहले से ही हूँ दो चार टुकड़े और बढ़ जायेंगे अगर रुख नही बदली तो अपनी भी किस्मत सम्भल जायेंगे पर ये बेवकूफ नही समझता की मेरा मन कितना तड़पता देर रात जब सब सो जाते ये जागकर आँहें भरता इसके खाली लौटने पर मैं टूट कर बिखड़ जाता। इसको समझाओ कोई मेरे यारो कमबख्त बेवजह किसी को भी अपना समझ बैठता है जरा जरा सी बात को मोहब्बत समझ बैठता ह। इतराता अपनी किस्मत पर हर वक़्त उनका ही गुन गाता डूब रहता हर वक़्त खयालों में सोचकर उनकी बातें मुस्कुराता जरा जरा सी जवाबों पर मन ही मन खूब शोर मचाता गिड़ता जब लड़खड़ा कर जाती जब इसे छोड़कर थामती औरों के हाथ छोड़कर इसका साथ तब आंसू बहाते दिन रात दर्द सहना पड़ता मुझे गमो का बोझ उठाना पड़ता मुझे। नज्म
Madhusudan Shrivastava
मैं रास्ते का था पत्थर तो बस हटा देते। अगर गुनहगार था तेरा तो तुम सज़ा देते। यूँ घुट-घुट के ना मरता मैं अहले-दुनिया में, नहीं था प्यार गर मुझसे तो बस बता देते। बेवफा से लगा बैठा था मैं उम्मीद-ए-वफ़ा। वफ़ा फ़ितरत में जो होती तो तुम वफ़ा देते। भटक रहा था पाने को मैं साहिल अपना। तुम्ही साहिल थे,तुम अपना मुझे पता देते। लगी थी आग दिल में और इक बेचैनी थी। दवा दिए नहीं तुम, ज़हर ही पिला देते। मधु नज्म