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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
नारी सशक्तिकरण रूख मोड़ दे आँधी का तू, ना डर आया वक़्त अब तेरा है खोल आँख देख पाँव 'अंगद' सा पड़ा जमीं पर यह तेरा है घरती से अंबर तक नारी, अथवा हो चुका जग नारी सा है कन्याकुमारी से कश्मीर तक, सजयघोष "मुहिम" छेड़ा है श्री मोदी के अथक प्रयास से, नारी को अधिकार मिला है पतझड़ से व्याकुल उपवन को, पावस का उपहार मिला है जियो और जीने- दो कि नीति, होता देख साकार हुआ है यश कि होड़ लगी सांसद में, पक्ष -विपक्ष सबको छुआ है कई कोशिशें हुईं देश में, हर वार 'धुँआ- धुँआ' हुआ सा है संकल्प और सार्थक प्रयास से अबला- सबला हुआ सा है ©अनुषी का पिटारा.. #नारी #सशक्तिकरण #अनुषी_का_पिटारा
साक्षी
सबसे खूबसूरत आँखें उस औरत की है, जिसमें उसके आत्मनिर्भर होने की चमक है।। दुनिया की सारी खूबसूरती उस महिला के आगे फीकी है जो किसी पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं है।। सबसे खूबसूरत महिला उसे कहना उचित है जो अपनी रोटी स्वंय कमा रही है।। ©Sakshi नारी सशक्तिकरण 👸 #think
Ashish Yadav
दुनिया की पहचान है,औरत दुनिया पर एहसान है औरत हर घर की जान है औरत बेटी. माँ ,बहन,भाभी,बनकर घर घर की शान है औरत न समझो इसको तुम कमजोर कभी ये है रिश्तो की डोर मर्याद और सम्मान है औरत 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी मात् शक्ति को हार्दिक शुभकामनाएं! 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 ©Ashish Yadav #_ नारी सशक्तिकरण दिवस🙏 #standAlone
Ek villain
अचानक पुष्पा के पास फोन आया कि नारी जागृति कार्यक्रम का आयोजन है आप को भी बोला है पर पूरा कार्यम नारी जागृति पर फोकस रहेगा आप स्वयं आइए इतना सुनते ही वह चल पड़ी और नारी केंद्र कार्यक्रम के अब तक उसे भारी सभा में मंच की एक कुर्सी मिलकर रह गई और स्वतंत्र रूप से अपने विचार का मौका भी मिल जाएगा पूरे आत्मविश्वास से लबालब में सागर भर में पहुंच गई सभा में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी आगे की सीट खाली नहीं थी पुष्पा ने पीछे खड़े होकर सभी का आवेदन किया उसने सोचा कि कोई आगे बुला लेगा पर ऐसा नहीं हुआ मंच में भी भरा हुआ था अध्यक्ष पद का एक पूर्व अधिकारी क्षेत्र विधायक प्रधान पति और मुख्य सागर रोड के एक विश्वविद्यालय में कुलपति सोबती हो रहे थे कम से कम एक महिला को देखना जरूरी था तो अधिकारी की पत्नी ने शोभा बढ़ा दी संचालन का उत्तरदायित्व तीन पुरुषों का था एक संचालक ने उसके देखा और एक भरी मुस्कराहट दे दी इतने में कोई आगे की सीट से लघु शंका के लिए दौड़ा पुरुष ने झटका से दौरान कि जब लपका अब उसके मन शांत हुआ और वह खुद को मंच पर बुलाने जाने की कल्पना करें संयंत्र होने लगी है खुद को आश्वस्त करने लगी वह मन की मन अपना भाषण तो रोने लगी और बीच में संचालक को देखती रही इसके लगा कि कभी भी माइक पर बोलने के लिए बुलाया जा सकता है पुष्पा को पता था कि इंतजार की घड़ी लंबी होती है फल मीठा होता है इसलिए वह भी एक भी शांत से सुनती रही और हर बार जोरों से ताली बजाती गई ©Ek villain #पुष्पा और नारी सशक्तिकरण कार्यक्रम #Moon
Priyanka shrivastava
घर द्वार हैं सूने पड़े अब, कारखानों में भीड़ जारी है ममता के अनुबंधों पर हमारी भौतिकता हमपर भारी है एक वक्त था जब बच्चों के कलरव से घर के आंगन चहका करते थे अम्माँ की रसोई में न जाने कितने पकवान महका करते थे अब रसोई बन गयी खाली किचेन ,और बाजारों में भीड़ भारी है घर द्वार हैं सूने.................................. ..........… घर के आंगन किलकारी को तरसे घर की रौनकें "डे केयरों" में पली हैं वे संस्कारों का "स" कैसे समझें जब सामाजिक सम्बन्धों की बड़ी कमी है घर का बूढा बरगद भी बोले वो बाबा दादी की कहानी कहाँ रही हैं घर द्वार हैं सूने पड़े......................................... अभावों से त्रस्त अंतर्मन जब आवश्यकताओं से जूझ रहा था आर्थिक आजादी को तृषित स्त्रिमन परिवर्तन को चाह रहा था नारी सशक्तीकरण को लालायीत नादाँ नारी न समझी की इसमें पुरुषों की चाल सारी है घर द्वार हैं सूने ............................. नारी के दायित्वों की सूची अब देखो कितनी निराली है बाहर घिसती, घर मे पिटती इसीलिए बाजारों में मेकअप किट की मांग भारी है क्या हो नारी सशक्तिकरण का सही स्वरूप अब ये विचारना हमारी जिम्मेदारी है घर आंगन है सूने ........................................... .........प्रियंका श्रीवास्तव ©Priyanka shrivastava #MothersDay बचपन पर भारी नारी सशक्तिकरण