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Ashutosh Mishra
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read moreSK Singhania
मेरे हाथों में मेरा संसार है नवजीवन का आधार है क्यूं मैं ख़ुद को कम समझूं जबकि ममत्व ही मेरा संसार है #नारी_शक्ति #skg ©SK Singhania मेरे हाथों में मेरा संसार है नवजीवन का आधार है क्यूं मैं ख़ुद को कम समझूं
मेरे हाथों में मेरा संसार है नवजीवन का आधार है क्यूं मैं ख़ुद को कम समझूं
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छोटी थी तो सिखाया मुझे चुप रहना बड़ी हुई तो सिखाया मुझे जुल्म सहना क्या यही है मेरी नियति?? #नारी_शक्ति #skg ©SK Singhania छोटी थी तो सिखाया मुझे चुप रहना बड़ी हुई तो सिखाया मुझे जुल्म सहना क्या यही है मेरी नियति?? #नारी_शक्ति 👇 #SKG
छोटी थी तो सिखाया मुझे चुप रहना बड़ी हुई तो सिखाया मुझे जुल्म सहना क्या यही है मेरी नियति?? #नारी_शक्ति 👇 #SKG
read moreAmbika Mallik
#नारी_शक्ति नारी को ही शक्ति का अवतार माना। फिर क्यों दुत्कारी जाती है अब तक नारी।। इस सृष्टि की जगधात्री है हर नारी । हवस की बलि क्यों चढ़ती है नारी।। नौ रुपों की माँ जगदम्बा तुम कहलायी । फिर क्यों नहीं सम्मानित होती घर घर नारी।। अर्धनारीश्वर कहलाती हो तुम ही नारी। क्यों अग्निपरीक्षा देती आई है हर नारी।। अपना अस्तित्व अब खुद ही बचाना होगा। धरकर चण्डिका का रुप आत्मरक्षा करना होगा।। वो द्वापरयुग था जब कृष्ण सखा बन आए थे। भरी सभा में द्रौपदी का लाज बचाए थे ।। अब हर पथ पर दुशासन है नज़र बिछाए। कर दमन उसे जीवन पथ पर दृढ़ हो, अब बढ़ना होगा।। अम्बिका मल्लिक ✍️ ©Ambika Mallik #नारी_शक्ति poonam atrey Geeta Sharma Mili Saha Poonam Awasthi Mohan raj
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read moreSandhya Rani Das
हां मैं नारी हूं मैं कुछ भी कर सकती हूं।। चांद पे जा कर अपना नाम रोशन कर सकती हूं।। हां मैं नारी हूं।। मैं अबला नहीं ना ही किसी के हाथ के कठपुतली हूं।। मैं स्वतंत्र, मैं शाक्तिशाली , मैं देवी हूं।। मेरी अंदर संसार को जन्म देती हूं मुझे दुबला लाचार ना समझ ना मैं ही लक्ष्मी, दुर्गा और काली हूं।। हां मैं नारी हूं।। मैं कोमल की मूर्ति मैं प्रेममयी कल्याणी हूं, मेरी रूप है अनेक कभी मां, बहन, कन्या और स्त्री हूं, हां मैं नारी हूं।। ©Sandhya Rani Das #मेरा_अनुभव #नारी_शक्ति #नारीशक्ति_नमस्तुते
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read moreबेजुबान शायर shivkumar
सृष्टि नियंता, जग निर्मात्री, कण-कण पोषिता नारी हूँ, हाँ मैं औरत, जग कल्याणी हूँ। सृष्टि रचयिता सृष्टि पालक सृष्टि संचालक की वामाग्नि हूँ, प्रकृति मैं, शक्ति भी मैं, मैं ही जग कि तारिणी हूँ। पीर-फकीर राजे-रंक मेरी कोख से जाए हैं रब के बाद धरा पर सबने रुप मुझसे ही पाये हैं। फिर भी हर युग में मुझे ताड़ना ही मिली, बनी संगिनी वन-वन भटकी, फिर महल से निकाली भी गयी मैं। जब-जब विपदा आन पड़ी सबपर सब मेरी शरण ही आये हैं शत्रु का संहार हो या अहम किसी का तोड़ना स्वं प्रभु ने ध्यान धर मुझे ही ध्याये हैं। अब भी सर्वशक्तिमना होकर भी ताड़ित होती हूँ, धर्म,कर्म,कर्तव्य पूर्ण कर भी प्रताड़ित हूँ मैं। रिश्तों की मर्यादा तोड़ ,स्वं मर्द गली,मौहल्ले,घर- बाजार, रौंद के अस्मत मेरी करता , मेरे ही जिस्म का व्यापार। धरा नापती, पाताल खोजती, नभ संचरण भी करती हूँ, धर्माधिकारिणी , सत्ताधारिणी भी मैं हूँ, हाँ मैं नारी हूँ, आज भी अस्तित्व अपना खोजती हूँ मैं। ©Shivkumar #कविताहिन्दी #नारी #नारी_सम्मान #नारी_शक्ति #हाँमैंहीनारी #नारीशक्ति #Nojoto
DR. SANJU TRIPATHI
नारी शक्ति का करो सदा सम्मान, नारी है जग में सबसे महान। हर तकलीफ को हंसकर सहती, रखती सदा चेहरे पर मुस्कान। वात्सल्य से भरी ममता की मूरत, नारी धरा पर सबसे खूबसूरत। अद्वितीय, अप्रतिम ईश्वर की अद्भुत कृति, सहनशीलता की मूरत। जिम्मेदारियां उठाती, सारे फर्ज निभाती, हर रूप को बखूबी दर्शाती। मां, बेटी, बहन और कभी पत्नी बनकर, सदा सब पर प्रेम बरसाती। नारी ही शक्ति, नारी ही भक्ति, नारी ही जग के सृजन का आधार है। नारी बिन सब सूना है जग में, नारी से ही खुशियों का सारा संसार है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०५ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०५ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
नारी शक्ति विश्व ही नहीं, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का भेष बदल दिया है, आदिकाल से आधुनिक काल तक, परिवेश बदल दिया है। नारी से ही अस्तित्व है सृष्टि की, नारी ही शक्ति कहलाती है, नारी के रूप अनेक माता,भगिनी,सुता,अर्द्धांगिनी बन जाती है। आधुनिक परिवेश में असंभव नहीं, जो नारी नहीं कर सकती है, नारी शक्ति नहीं महाशक्ति है, जो अंतरिक्ष तक उड़ान भरती है। नारी दुर्गा सरस्वती लक्ष्मी काली, नारी आदिशक्ति की रूप है, नारी की ममता शीतल छाया है, तो क्रोध चिलचिलाती धूप है। नारी धरती आकाश अंतरिक्ष है, नारी घुमती पृथ्वी की धूरी है, नारी के बिना इस सम्पूर्ण सृष्टि की, कल्पना भी अधुरी है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०५ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०५ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
read moreपूनम रावत
महिला अपराध रोकने के लिए कानून बनाने से ज्यादा जरूरी है, उनमें अपराध पहचानने व उस पर उचित प्रतिक्रिया के लिए जागरूक करना.. ©पूनम रावत #नारी #नारीसुरक्षा #नारी_शक्ति #नारीवाद
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read moreRishika Srivastava "Rishnit"
#AzaadKalakaar #AzaadKalakaar स्त्री विमर्श क्यो?? स्त्री विमर्श वास्तव में एक जटिल प्रश्न बनकर युगांतर से मन को गुदगुदा ता आ रहा है यद्यपि नारी की उपस्थिति तो साहित्य की हर विद्याओं में किसी न किसी रूप में सदा से रहती ही आ रही है तब फिर इसी औचित्यता पर प्रश्नचिन्ह क्यों अंकित होता रहा है? हमारा देश आज़ाद हो चुका है फिर भी स्त्री की दशा आज भी दयनीय क्यों?? स्त्री विमर्श के विषय में एक प्रश्न और विचारणीय है कि क्या स्त्री द्वारा लिखित साहित्य स्त्रीवादी साहित्य होता है मेरे विचार से स्त्री या पुरुष के लेखन का नहीं है बस है स्त्री विमर्श पर कदम उठाने वाला या कलम उठाने वाली स्त्री स्वभाव का स्त्री समस्याओं की गहराई से परिचित है या नहीं स्त्री की पीड़ा उस पर हो रहे अत्याचार उत्पीड़न शोषण की कसक आदि को कभी मानसिक या वैचारिक रूप से भोगा है या नहीं। वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति संतोषजनक थी। समाज में स्त्री पुरुष दोनों समान रूप से सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकारी थे। पुत्र या पुत्री के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं था। सामाजिक, आर्थिक शैक्षिक तथा धार्मिक कार्यों में दोनों की समान भागीदारी थी। पुत्र या पुत्री के पालन पोषण में भी कोई अंतर नहीं माना जाता था ।इस युग की सबसे बड़ी उपलब्धि थी के पुत्र की शिक्षा के साथ-साथ पुत्रियों तथा स्त्रियों की शिक्षा पर भी गंभीरता पूर्वक ध्यान दिया जाता था। परिणाम स्वरूप लोपामुद्रा, विश्ववारा, घोषा, सिक्त निवावरी जैसी कवि तथा मंत्र और सुक्तों के प्रसिद्ध रचयिता इसी युग की देन है । इसी युग में हुई स्त्री विकास के मार्ग में बाधक जैसे परंपरा नहीं थी। स्त्रियों को इच्छा अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता प्राप्त थी। वैदिक काल और परिस्थितियों मैं शनै शनै परिवर्तन होने जैसा प्रतीत होने लगा यद्यपि पुत्री की शिक्षा-दीक्षा पूर्व चलती रहे तभी समाज की मानसिकता बदल गई। कालांतर में पुत्री भी स्वयं को पुत्र की तुलना में ही समझने लगी। चुकी इस युग में पर्दा प्रथा की चर्चा तो नहीं है। फिर भी नहीं रह गई सार्वजनिक सभा तथा धार्मिक अनुष्ठान में अपनी भागीदारी निभाने से वंचित होने लगी पुत्री का विवाह कम आयु में करने का विवाद चल पड़ा पुत्र-पुत्रियों के जन्म पर भी भेदभाव होने लगा। पुत्र का जन्म उत्सव मनाया जाने लगा लेकिन पुत्री के जन्म को अभिशाप समझा जाने लगा। पुत्रियों को वेदाध्ययन के अधिकार से बातचीत होना पड़ा। महाभारत में द्रोपदी के के लिए "पंडित" शब्द का विशेषण आया।ऐसी पंडिता जो माँ कुंती के आदेश के पाँच पतियों में बँटकर जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हो जाती है। कुंती जो विशिष्ट आदर्श कन्याओं में गिनी जाती है समाज के भय से सूरज को समर्पित अपनी को कोम्यता के फलस्वरूप प्राप्त पुत्र रत्न को नदी में प्रवाहित करने हेतु विवश हो जाती है. सती साध्वी राज कुलोधभूता सीता एक साधारण पुरुष के कहने पर अपने पति श्री राम द्वारा परित्यक्ता वन अकारण वनवास के दुःख झेलती है।विचारणीय है यदि उस समय की सधी और मर्यादाओं से बंधी राजकन्या हो कि यदि ऐसी स्थिति की सामान्य स्त्रियों की दशा कैसी रही होगी. चुकी इस काल में स्त्रियों को आर्थिक दृष्टि से पर्याप्त अधिकार प्राप्त है। माता-पिता आदि से प्राप्त धन स्त्री धन था ही विवोहरान्त या विवाह के समय पर आप उपहारों पर भी स्त्रियों का अधिकार था किंतु मनु विधान के अनुसार वह उसकी संपूर्ण स्वामिनी नहीं थीं। पति का अनुमति के बिना उसका एक पल भी उपयोग नहीं कर सकती थी। खैर जैसा था- था लेकिन वर्तमान परिपेक्ष में भी हम देखते हैं कि आज भी पुरुषों की मानसिकता यथावत है। मुगल शासनकाल में चल रहे भक्ति आंदोलन के फल स्वरुप स्त्रियों को सामाजिक तथा धार्मिक स्वतंत्रता मिली फलता बदलाव का बीज अंकुरित होने लगा। 【आगे अनुशीर्षक में पढ़े】 ©rishika khushi ब्रिटिश शासन काल में स्त्रियों की परिस्थितियों के कुछ सुधार आया, क्योंकि शिक्षा का विस्तार किया गया। लड़कियों की शिक्षा में ईसाई मिशनरियाँ रुचि लेने लगी । कानूनी उपायों जैसे विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1956, विशेष विवाह अधिनियम 18 72, बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929, का क्रियान्वयन किया गया। राजा राम मोहन राय, महर्षी करवे, स्वामी दयानंद सरस्वती, एनी बेसेंट, महात्मा गांधी आदि जागरूक समाज सुधार को द्वारा किए गए सामाजिक आंदोलन ने स्त्रियों सामाजिक एवं आर्थिक दशा महत्वपूर्ण बदलाव ला दिया। उसी समय के कला
ब्रिटिश शासन काल में स्त्रियों की परिस्थितियों के कुछ सुधार आया, क्योंकि शिक्षा का विस्तार किया गया। लड़कियों की शिक्षा में ईसाई मिशनरियाँ रुचि लेने लगी । कानूनी उपायों जैसे विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1956, विशेष विवाह अधिनियम 18 72, बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929, का क्रियान्वयन किया गया। राजा राम मोहन राय, महर्षी करवे, स्वामी दयानंद सरस्वती, एनी बेसेंट, महात्मा गांधी आदि जागरूक समाज सुधार को द्वारा किए गए सामाजिक आंदोलन ने स्त्रियों सामाजिक एवं आर्थिक दशा महत्वपूर्ण बदलाव ला दिया। उसी समय के कला
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