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Gurdeep Kanheri
दूर क्षितिज में जहाँ धरती अम्बर का छोर नजर आता है उसी बिंदु पर आकर मेरा मस्त बावरा मन ठहर जाता है शुरू होता है गाँव यहीं से खत्म यही पर मेरा शहर होता है मैं रखता हूँ अमृत जिनके लिए उनके मन में कोलाहल जहर होता है ©Gurdeep कोलाहल
Amit Singhal "Aseemit"
कुटिल लोग छोटी बातों को बढ़ाया करते हैं, दूसरों की तकलीफ़ का मचाते हैं कोलाहल। बस शुभचिंतक बने रहकर दिखाया करते हैं, कभी नहीं ढूंढते हैं उनकी तकलीफ़ का हल। ©Amit Singhal "Aseemit" #कोलाहल
khushboo subraj tiwari
मन नैनों में नीर होत है, जब मन मे पीर होय, नैनों को भाषा पढ़े सबन, मन को समझे ना कोय ।। मन कभी मयूर है, मन ये दादुर होय , मन ये कभी मौन नहीं, मन मेंकोलाहल होय ।।। कोलाहल
Parasram Arora
कोलाहल भरे इस जीवन मे सुखमय क्षणों की आहुति मुझे देनी पड़ी है एक दिन प्यार मैंने जीवन से किया था और उसका हर पल मैंने एकांत मे जिया था क्या कुछ मैंने नहीं किया इसके लिए क्या कुछ मैंने नहीं सहा इस जीवन के लिए अपनी पीड़ा क़ो हमेशा मैं छिपाता रहा रात बिरात चांदनी रातों मे मौन के मधुमास मैं ढूंढ़ता. रहा एक चीख.. एक उदासी हवा मे लहराती रही वो कोलाहल मुझे कभी पचा नहीं और इसिलए नींद भी कभी मुझे आयी नहीं कितना कठिन है काल.. और मैं कब तक इससे बंधा रहूँn. सूने से जीवन के सोपान पऱ कब तक मैं इस पर चढ़ता रहूँ कई योजन मैं चल चुका हूँ और लौटना भी अब दुष्कर है कोलाशल मे ही हूँ अब तक कोलहल क़ो ही पीता रहा हूँ ©Parasram Arora कोलाहल
Ombir Kajal
अंतर्मन में जाने क्या कोलाहल मचा है, सोचता हूँ उसकी यादों के सिवा, मेरे पास आैर क्या बचा है। ✍✍✍ Ombir Kajal ©Ombir Kajal कोलाहल
Raj Mani Chaurasia
कभी सूखता नदी, कभी उफनता धारा, प्रकृति की अजीब है ये नजारा! कभी सुनते है उसकी कलकल, कभी उसकी तेज धारा में सुनाई देता इंसान का कोलाहल!! ©Raj Mani Chaurasia कोलाहल #hangout
नीर _नादान
अशांत मन को एकांत में भीड़ का कोलाहल सदैव व्यथित करता है। ©nirbhay chandra #एकांत #अशांत #कोलाहल