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Neelam Modanwal
बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है… बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते हो, और ‘गजनी’ लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो…. कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे एंटीना कहते हो,और शाहरुख के ‘डॉन’ लुक के दीवाने बने फिरते हो…. किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक नहीँ लगता, और उसी अनाज को पॉलिश कर के कंपनियाँ बेचेँ तो क्वालिटी नजर आने लगती है..✍️💯👌 ©Neelam Modanwal बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपि
Vinod Mishra
Meenaji
Asif Hindustani Official
Niwas
ख़ुद का जीवन वृत्तांत..... आज मैं ख़ुद पर लिखता हूं।किसी लेखक के लिए ख़ुद पर लिखना दुनिया का सबसे कठिन काम है।जन्म एक साधारण संयुक्त परिवार में। पिता बेहद अनुशासन प्रि
Mahima Jain
•| Antakstory |• "जो है समा कल हो ना हो" (पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में) एक बंगले में एक बेटा बहू और बूढ़ी मां रहते थे। मां अक्सर बीमार रहती थी। वह रोज़ बेटे को कहती थी कि बेटा, मुझे डॉक्टर के पास ले चलो। पर बेटा
Hrishabh Trivedi
😊निक्की की दुल्हनिया😊 (भाग4) (अनुशीर्षक में पढ़े) निक्की दादा, निक्की दादा, निक्की दादा!!! जी हां, नाम ही काफी है इनका। नहीं गलत मत समझिएगा, इनका नाम काफी है किसी भी अच्छे खासे माहौल को बिगा
Anupama Jha
बाल मजदूर (कविता कैप्शन में) #बाल मजदूर#YoPoWriMo #YQbaba#YQdidi छोटा सा छोटू अचानक से बड़ा हो गया पिता की मृत्यु के बाद घर का पिता बन गया कभी ईंटे उठाई, कभी किसी दुकान
Divyanshu Pathak
रूप विलोकि नयन अटके चटके हिय के सब तार मेरे सुध बुध सब बिसराय दई पुलकित मन बेचैन हुआ तरुणाई पे तेरी ये सिर पटके ! :💕👨Good morning ji ☕☕🍉🍫🍫☕☕💕💕🍀☘🙏🌱🍨🍧 : निश्चित ही बिजली का आविष्कार बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने किया लेकिन बेंजामिन फ्रेंक्लिन अपनी एक किताब में लि
Sk
निर्धारित समय पर वो घर से बाहर निकल ती है जींस पहनो या टी शर्ट सब में अच्छी लगती है कोचिंग की एक लड़की एक कोचिंग की लड़की वो, रोजाना सपने सँजाती है, एक झलक पाने के लिए, रोजाना कोचिंग जाती है। बालों को वह सँवारती, आईने में निहारती, जूते पॉलिश चमकाती सी, इत्र से शरीर महकाती है। जीन्स शर्ट टी शर्ट कभी, कभी सादा वस्त्र उठाती है, रोज-रोज सज सँवर वह, पढ़ने कोचिंग आ जाती है। कभी कक्षा से बाहर आती, कभी पानी पीने जाती है, कभी ताँक झाँककर देखती, कभी बहाना कोई बनाती है, बस एक झलक पाने को, रोजाना कोचिंग आती है, और गजल हो गई... एसके ©Sk निर्धारित समय पर वो घर से बाहर निकल ती है जींस पहनो या टी शर्ट सब में अच्छी लगती है कोचिंग की एक लड़की