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Stories related to समाजातील बदलामुळे व्यथित झालेल्या

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स्वप्निल राऊत

कटू सत्य त्या समाजातील घटकांच... #Life_experience

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क्या यह वही रास्ता है, जहा घमंड हर चोहराये पर पाया जाता था ,वह आज दीवारों के भितार कैद हो चुका है और चौराहो पे पाये जाणे वाला वो मजबूर चहरा आज खुले आसमा के तले घूम रहा हैं....

आज महामारीने ही सही घमंड को उसकी दयारो का अहसास कराया है और उन बेसहारा परिंदो को खुदा ने अपना फरिस्तो की तरहा संभाला है.. कटू सत्य त्या समाजातील घटकांच...

Parasram Arora

व्यथित. वर्तमान

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अभी अभी मिली है  खबर कि   .......भूतकाल का निधन. हो  चुका है 
 तो क्या  वर्तमान को  उस  क्षति  पर  दहाड़े  मार कर.   रोना  चाहिए व्यथित. वर्तमान

Kapil Tomer

व्यथित मन

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-----व्यथित मन-----

अति दुखदायी बेचैन ये मन,
रोता है बहुत दिन रैन ये मन।
प्रभु शक्ति दे, सद्बुद्धि दे,
पायेगा तभी कुछ चैन ये मन।।
😶😑

✍️कपिल वीरसिंह

©Kapil Tomer व्यथित मन

Rajesh rajak

व्यथित मन,

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मैं इस अखंड साम्राज्य का अधिपति,
मूक दर्शक की भांति,देखता रहा,
धू धू कर लंका जल गई मै कुछ न कर सका,
समय की विडम्बना देखिए,भाई विभीषण बन,
जाके दुश्मन से मिल गया,
मेरी लंका स्वर्ण की नहीं थी,
न ही मेरे रिपु,श्री राम थे,
मै तो अपने अखंडित,अविभाजित,कबीले का सरदार था,
सिर्फ कुछ उसूल थे सरदार के,
लोक लाज,मर्यादा,स्त्री सम्मान, जरूरी था,
यही कबीले के संस्कार थे,
पर विभीषण बन चुके भाई ने सब जला दिए,
मेरे आदर्श जो श्री राम थे,
सीखे थे जो संस्कार प्रभु राम से,
आज मिट्टी में मिला दिए,
आज मित चुके संस्कार,कुरीति ने लिया नव आकार,
जो देखे थे स्वप्न कभी,
कर न सका,उनको साकार,
जल रहा हूं, हां जल रहा हूं, बिन आकार,
विभीषण वन चुके अपने भ्रात के हाथों,
हो रहा मेरा जीते जी अंतिम संस्कार,
व्यथित मन के अंदर मचा है हाहाकार,,,, व्यथित मन,

Rishabh Kumar Jha

Parasram Arora

व्याकुल व्यथित #कविता

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pawan kumar suman

व्यथित मन #Dark #कविता

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मेरे सादगी से तंग आ बसा ली
वो अलग दुनियाँ,
ओझल कर देती हमेशा हमें पर दिख
 जाती थी बेताबियाँ।
पिंजरे की पंछी की तरह उड़ने को 
बेचैन रहती थी वो-
खोल दिया होता दिल का पिजरा यदि
सामने न होती मजबूरियाँ।

बदल गए सारे सुर,लय-तान हमारे,
आख़िर वो ले उर गई जान हमारे।
दिल से चाहा था जिस जिस को मैंने-
छोड़ मरदते चले गए अरमान हमारे।

बैशाखी पर है कहाँ जिंदगी चलने वाला,
सच्चाई छुपती कहाँ जड़ो जितना ताला।
देखी है दुनियां स्वार्थ में जीते यहाँ हर लोग-
व्यथित मन को न रहा सहारा देने वाला।

©pawan kumar suman व्यथित मन

#Dark

Sudipta Mazumdar

Parasram Arora

व्यथित ह्रदयॉकी पीड़ा....

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व्यथित ह्रदयों की  पीड़ा को समझो
कि मुरझाने लगा है  जगत तेरा.
कृष्ण  तुम   बंसी को  छोड़ो
और अब तो सुदर्शन  थामो
दे रहाहूँ निमंत्रण
तुम इसे  स्वीकारो
अबतो नया  अवतार  ले लो

©Parasram Arora व्यथित  ह्रदयॉकी पीड़ा....

Shilpa Yadav

मेरा व्यथित मन #कविता

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व्यथित मन अत्यन्त याद करता है      सब्र नही फूलो की बरसात करता है जिन्दगी मेरी भी कभी लडखडाती है सजल नैन भी कभी सूखा करता है  सूरज भी तो कभी डूबा करता है      कभी ह्रदय भी मेरा  चीख उठता है      ऐ जिन्दगी बहुत कुछ सिखाती है     कद्र नही खुशियो की सौगात करता है - शिल्पा यादव मेरा व्यथित मन
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