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Irfan Saeed
परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझे बर्बाद करने को ©Irfan Saeed परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ
परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ
read moreAnjali Singhal
"तलब जब उनकी बढ़ने लगी, दीवानगी मुझ पर चढ़ने लगी! तब धड़कन दिल की कहने लगी, हुआ है इश्क़ तुझे! तूने क्या सोचा, साँसें उनके ख़्याल में यूंँ ही महकने लगीं!!" ©Anjali Singhal #Heart "तलब जब उनकी बढ़ने लगी, दीवानगी मुझ पर चढ़ने लगी! तब धड़कन दिल की कहने लगी, हुआ है इश्क़ तुझे! तूने क्या सोचा, साँसें उनके ख़्याल म
#Heart "तलब जब उनकी बढ़ने लगी, दीवानगी मुझ पर चढ़ने लगी! तब धड़कन दिल की कहने लगी, हुआ है इश्क़ तुझे! तूने क्या सोचा, साँसें उनके ख़्याल म
read moreनवनीत ठाकुर
White जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख में तब्दील हो गए, पर इस राख में अब भी किसी और से सुलगने की तलब है। दर्द में डूब कर भी हमने खुद को तलाशा था, अब उस तलाश में किसी और से मिलने की तलब है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म
#नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म
read moreनवनीत ठाकुर
कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा, मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू। दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे, अब दिल में तन्हाई हो, तो कुछ कहने की चाहत तो करू। ज़िंदगी के सफर में दर्द था, पर हिम्मत थी, अब वो चुप है, अब जरा सा गम तो करू । मुहब्बत की राहों में अगर दूरियाँ रहीं, तो तुझसे दूर होकर, अब कुछ शिकवे तो करू। तेरी यादें ही सही, दिल को थामे रखी हैं, मगर कभी तू पास होता, तो शिकायत क्या करु। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा, मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू। दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे, अब दिल में तन
#नवनीतठाकुर कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा, मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू। दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे, अब दिल में तन
read more#Mr.India
White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं, ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है। हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है, सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है। तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है, जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है। हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते, सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते। मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा, हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा। ©#Mr.India ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
read moreRabindra Kumar Ram
" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी तलब अब भी ऐसी है जैसे की अभी अभी मुतमास हो ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी
" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी
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