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Amit Singhal "Aseemit"
बुढ़ापे की उम्र के साल कितने भी हों, जीने हैं खुलकर, सोगवार न रहो, ख़ूब जियो सब यारों से मिलजुल कर। सेवा निवृत्ति के बाद की ज़िंदगी है, आराम से जीने की, ज़िंदगी में जो कमाया, उस की खुशी के जाम पीने की। ©Amit Singhal "Aseemit" #सोगवार
SOGVAAR
दर-ओ-दीवार उठाने वाले का पता है तुमको। मुझे दे दो ज़रा उसकी खबर लेनी है। "सोगवार' ......................... .................................... ©Sandeep Tripathi .......... संदीप "सोगवार"....... ......................................
Sangeeta Patidar
तेरी हँसी की खनक होने नहीं देती मेरे दिल को सोगवार, चुन-बुनकर रखीं हैं यादें, जो बनाती हर पल को यादगार। सोगवार- उदास #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #सोगवार #sangeetapatidar #yqdidi #quote
SOGVAAR
अश्क़ हुनर अपने का पता मुद्दत बाद मिला। मिला तखल्लुस तो सोगवार है मिला। खुशी निचोडू तो ग़म टपक जाता है। बड़े नसीबों से सनम बेवफा मिला। ................संदीप"सोगवार"................ .......................................................... ©Sandeep Tripathi ........ संदीप"सोगवार"....... ....................................
SOGVAAR
शराब पी बहुत मगर उसका भी नशा उतरा। सब उतरा मगर तेरे ग़म का नशा नही उतरा। मोहब्बत का भी उतरा चाहत का भी उतरा। क्या बात है क्यूं तेरे गम का नशा नहीं उतरा। ©Sandeep SOGVAAR ........ गुमनाम शायर.......... ..........."सोगवार"............. ....................................
SOGVAAR
रौशनी रूठकर कहीं दूर जा बैठी है। अंधेरे अब जब सब दोस्त हैं मेरे। ©Sandeep SOGVAAR .......... गुमनाम शायर......... .............."सोगवार"........... .....................................
Aafia khan
बाद मेरे भी एक सिलसिला बरक़रार रहेगा, मेरी कब्र को तुम्हारे फूल का इंतज़ार रहेगा। तुम्हीं कहते थे कि बिछड़कर कौन मरता है! कहीं ना कहीं वो जुमला भी सोगवार रहेगा। PC: Pinterest सोगवार=grieved #कोराकाग़ज़ #सोगवार #yqdidi #urduhindi_poetry #newwritersclub #quotereview
SOGVAAR
कोई जरिया नही हासिल ज़रा करार मिल जाए। छीना जिसने है सब चैन भरोसे उसके बैठें हैं। .............."सोगवार"................. ........................................... ©Sandeep Tripathi ........... गुमनाम शायर........... ................"सोगवार"............. .........................................
SOGVAAR
दिल के मकान को ढ़हाया है इस तरह। हसरतें जो रहती थी मलबे में दब गई। सड़कों बीच सोना हो तो सो जाएं हम। आदत घर में रहने की अपनी चली गईं। वसीयत जिसके नाम से जिंदगी की थी। हमको किरायेदार बना कर चली गई। सपने भी टूट जाएं तो कोई ग़म नही। टूटे दिल तो लगता है सांसें चली गई। मोहब्बत का मेरे बोझ उठा ना सकी वो। नफरत की दिल में आग लगाकर चली गई। पूछें जो मेरा हाल कोई भी तो है नही । तन्हाई के समंदर डुबा कर चली गई। जानतें हैं लोग उसे मेरे नाम से।। आशिक़ इक बेचारा करके चली गई। अक्सर ही तो रहती है वो मेरे साथ में। सच भी ये नही बात कि बिल्कुल चली गई। ©Sandeep SOGVAAR ........ गुमनाम शायर....... ..........."सोगवार".......... .................................