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NITIN YADAV
"इन मासूम दिखने वाले किरदारों से" दूर ही रहना ए साहब" "पता नहीं कितनो की बर्बाद किए बैठे है" "गया था चहरे की मासूमियत पर " "जब देखा तो वहां दिल में हजार बैठे है" ©NITIN YADAV #लव #लाइट्स #thought #Lights
Veer Singh Rathore
MRIDUAL
Sunil itawadiya
5 अप्रैल को सभी भाइयों बहनों से निवेदन है रात के 9 बजे 9मिनट के लिए सारी लाइट्स ऑफ करके दीया मोमबत्ती लैपटॉप फ्लैशलाइट जलाएं अधिक जानकारी के
JALAJ KUMAR RATHOUR
दिल मे दर्द और लवो पर खुशहाली है, रोशन है सारा जहाँ ,पर रात हमारी काली है, न दियो का साथ ,न ही पूजा की थाली है, जनाब घर से दूर, ये हमारी पहली दिवाली है, ... #जलज कुमार राठौर 🕉शुभ दीपावली🕉 वो बचपन वो गलियाँ सब ख्वाव सा लगता है, वो सुतली वाला बॉम्ब अब कहाँ हमसे सुलगता है, वो ईगल के पटाखे और फुल झडी सब याद आता है, पर जिंदगी की
JALAJ KUMAR RATHOUR
आओ दीप जलायें दिल मे दर्द और लवो पर खुशहाली है, रोशन है सारा जहाँ पर, रात हमारी काली है, न दियो का साथ है ,न ही पूजा की थाली है, जनाब घर से दूर ये हमारी पहली दिवाली है, वो बचपन वो गलियाँ सब ख्वाव सा लगता है, वो सुतली वाला बॉम्ब अब कहाँ हमसे सुलगता है, वो ईगल के पटाखे और फुल झडी सब याद आता है, पर जिंदगी की तराजू मे, अब भी मेरी यादो का पलडा भारी है, जनाब घर से दूर ये हमारी पहली दिवाली है, वो खीले, वो गट्टे, वो मिठाईयाँ और मोहल्ले भर में सट्टे, वो मोम के बांट, घर वालो की डांट , वो जगमगाती रात सब याद आता है, लाइट्स लगाते वक़्त दो चार तो बिजली के झटके तो हर कोई खाता है मगर फिर भी घर को सजाने की रहती खुमारी है साहब घर से दूर, हमारी ये पहली दिवाली है, पर्वा पर ज्यादा पढ़ने की अफवाह अब तक जारी है भाई दौज की यादे लगती अब पुरानी है ख्वाव सभी लगते अब हमको बेमानी है साहब घर से दूर, हमारी ये पहली दिवाली है, जाने अनजानो का संदेश आता है , किसी से बात करने का मौका मिल जाता है, तो कोई लाइट्स के दरमियाँ खिची तस्वीरों मे सुकून पाता है, त्योहार ये चेहरे पर लाता हर शख़्स के खुशहाली, है साहब घर से दूर, हमारी ये पहली दिवाली है, .... #जलज कुमार राठौर 🕉शुभ दीपावली🕉 दिल मे दर्द और लवो पर खुशहाली है, रोशन है सारा जहाँ पर, रात हमारी काली है, न दियो का साथ है ,न ही पूजा की थाली है, जनाब घर से दूर ये हमा
Nitish Tiwary
नसीब अपना अपना (read caption) iwillrocknow.com ©Nitish Tiwary नसीब अपना अपना। "असलम भाई एक चाय देना।" दिसम्बर की ठंड में सुबह 6 बजे मैंने काँपते हुए कहा। "ये लीजिए तिवारी जी।" "अरे बिस्कुट भी तो दो।"
kanchan kushwaha
माथे का पल्लू पार्ट - 2 #mathhe ka pllau #माथे का पल्लू पार्ट - 2 बारिश की शाम,ठंडी और तेज तूफानी हवा चल रही थी,मैं दौड़ती हुई कॉलेज से बाहर टुनटुन टपड़ी वाले क
Dr Upama Singh
अंजान हमसफ़र कहानी लेखन अनुशीर्षक में बात अगस्त 2004 की है जब सबने ग्रेजुएशन पूरा कर दिल्ली जाकर सिविल परीक्षाओं की तैयारी करने का प्लान बनाया। घर वालों से बात कर आरोही और बाकी च
Pankaj Singh Chawla
सुनो! क्या आज मैं तुम्हें डिनर पर ले जा सकता हूँ... (Read Full Story in Caption) सुनो! क्या आज मैं तुम्हें डिनर पर ले जा सकता हूँ, ह्म्म्म, एक बात बताओ मैं दोस्त तो हूँ न तुम्हारी, या तुम ऐसे ही कहते रहते हो... अरे! बाब