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Quotes
अरे कोई और ना सही तो क्या हुआ , खुद का साथ तो है जनाब , प्रयास करके तो देखो , सब कुछ हासिल होगा ....!!!!! #स्वयं_की_खोज #स्वयं_से_वार्तालाप
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read moreRaj
लोग तो आज जिन्होने पैदा किया उनके ना हुए तुम्हारे क्या खाक होंगे। ©Raj rajpoot #खुद_पर_रखो_विश्वास #खुद_की_तलाश #खुदकीपहचान #स्वयंकाअस्तित्व #स्वयं_की_कलम_से
Rishu
ना हो आकर्षण लोभ न हो, कोई पीड़ा,द्वंद, क्षोभ ना हो, निज शांत स्वरूप ही सत्य मेरा, मुझे मैं रहने की छूट तो हो, न कोई विवाद,न तुलना हो, बस प्रेम का झूला झूलना हो, बेशक हस्ती मेरी गौण ही हो, मुझे मैं रहने की छूट तो हो कोई मिले मुझे तो स्वागत है, कुछ खो जाए तो भाग्य मेरा, अप्राप्ति का कोई शोक न हो, मुझे मैं रहने की छूट तो हो, ये स्तुति निंदा सब सिर माथे, बस सत्य सदा ही साथ रहे संतुष्टि हर पल मौन में हो, मुझे मैं रहने की छूट तो हो, #yqdidi #हिंदी_साहित्य #स्वयंसेसंवादआवश्यक #स्वयं_की_खोज #शांतिसंदेश
mohit dwivedi
स्वयं सुरक्षा है बहुत जरूरी , घर से बाहर नही जाना है। कोरोना से लड़ने के खातिर , मोदी मिशन अपनाना है। घर से बाहर जो देवदूत है, बीमारी से बचाने लड़ रहें है जो, खुद को घर के अंदर रखकर , उनका भी उत्साह बढ़ाना है। कर रहा हूँ प्रार्थना,भैया , चाचा , दादा, और युवा साथियों से, खुद बचकर,परिवार,समाज बचाकर इस देश को भी बचाना है। #मोहित_द्विवेदी_एक_नन्ही_कलम✍️✍️✍️✍️ #स्वयं_को_करें_सुरक्षित
विष्णुप्रिया
असीम ब्रह्माण में रमता ये मन, जहाँ असंख्य प्रश्नो की थैली.... उथल पुथल कर अन्तस को... मचा देते त्राहि त्राहि..!! गहन श्वासों की निरंतरता स्वयं को निःसंशय करती ध्यान समाधि में ले जा स्वयं को स्वयं का परिचय देती.... विष्णुप्रिया #स्वयं_का_साक्षात्कार
Kaushal Kumar
स्वयं की तलाश में लोग तो पूछेंगे चेहरे पर खुशी है किसलिए। लोग तो पूछेंगे अधरों पर हंसी है किसलिए। पाँव के छाले भले ना ठीक हो पाए कभी। अश्रु आते ही कहेंगे, रो रहे हो किसलिए। तुम निरंतर उष्ण पथ पर बस यूँ ही चलते रहो। रुक गए तो लोग पूछेंगे रुके तुम किसलिए।। .............कौशल तिवारी ©Kaushal Kumar #स्वयंकीतलाशमें
chetna sharma
मेरा किस्सा मैंने फाड़े नहीं है वह पन्ने, जो जिंदगी में कभी अहम, नायाब हुआ करते थे , थरथराते हैं मेरे हाथ अब भी, उन फाड़े हुए पन्नों के, टुकड़े-टुकड़े करने से, जो गीत सुनकर में डूब जाता था, तेरे होने की मौजूदगी में, वो अब भी कसक बन कर, चुभ सा जाता है सीने में कहीं, हां भूल चुका हूं तू मेरी , जिंदगी के हिस्से में थी कभी, पर वो जिंदगी का हिस्सा ही तो, बहुत ज्यादा याद आता है, वो खिल खिलाकर हंस देना तेरा, चिड़चिड़ापन ,बेरुखी, नाराजगी , मनाना मेरा, रूठ कर मान जाना तेरा, अब तू नहीं फिर भी कहीं, हर कहीं तू ही तो मेरे , आंसुओं, तकलीफ, गमो का, बेजान साथ किस्सा, नही चाहता तेरी यादो को मै जीना, हाँ तू नहीं है मेरा हिस्सा, बन जो गई है, अब मेरा किस्सा, मेरा किस्सा...।। चेतना शर्मा मौलिक व स्वरचित #स्वयंसेसंवादआवश्यक