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Suman Zaniyan
जाते ही सूरज, छोड़ जाती मेरी परछाई कैसे देखे जहां पर्वत की ऊंचाई, समंदर की गहराई कैसे देखे जहां
Shailendra kumar
एक दिन मे नही होता हैं पर एक दिन जरूर होता है ©Shailendra kumar #girlfriendproposeday यह सायरी#कैसे देखे
pawan ranjitsing thakur
BIKASH RANJAN
विज्ञान ने हमको कंप्यूटर दिया कि कम समय में ज्यादा काम किया जाए और भारतीय लोग पहले कुंडली देखने लगे। आज भी अखबार में पहले लोग राशि देखने लगे जाते हैं। समझ मे नहीं आता कि इतने करोड़ों लोगों की एक जैसे भाग्य कैसे हो सकता हे। यहां कुंडली से भाग्य चलता हे , कुंडली से दिल जुड़ता हे और जिंदगी भी चलता हे। कुंडली
BIKASH RANJAN
विज्ञान ने हमको कंप्यूटर दिया कि कम समय में ज्यादा काम किया जाए और भारतीय लोग पहले कुंडली देखने लगे। आज भी अखबार में पहले लोग राशि देखने लगे जाते हैं। समझ मे नहीं आता कि इतने करोड़ों लोगों की एक जैसे भाग्य कैसे हो सकता हे। यहां कुंडली से भाग्य चलता हे , कुंडली से दिल जुड़ता हे और जिंदगी भी चलता हे। कुंडली
कवि प्रभात
मैं नफ़रत उनसे करूँ, काम से जिनको काम वरना आगे आके भी, न कोई दुआ, सलाम न कोई दुआ सलाम, निकल ऐसे ये जाते जैसे परिचित में हमें, वो बिल्कुल न पाते कह शर्मा कविराय, रक्खें न इनसे रिश्ता रक्खे जो उम्र भर ,चक्र में इनके पिसता ©प्रभात शर्मा कुंडली #friends
Arora PR
ज़ब किसी भविष्य बक्ता ने एक दिन मेरी जन्म कुंडली देख कर मेरे बचे झूचे दिनों का ज़िक्र किया तो मै भयभीत हो गया था . और वो भय मुझ पर इतना हावी हो गया कि मै रात. आधीरात मे उठकर भी अपने दिलपर हाथ रख कर अपनी साँसों और धड़कनो को खंगालता रहा .. और ज़ब लगता सब व्यवस्थित रूप सेचल रहा हैँ और मै अभी भी और लोगो की तरह बाक़यदा जी रहा हूँ तो चाय की सांस लेने लगता हूँ ©Arora PR जन्म कुंडली
Bhuwnesh Joshi
क्या बताऊँ कैसे-कैसे मंज़र देखे अपनों के हाथों में खंजर देखे उड़ा ले गए सभी खुशियों के घर रिश्तों के शहर बवंडर देखे क्या बताऊँ कैसे-कैसे मंज़र देखे... क्या होता दर्द इस दिल से पूछो ये होंठों की हंसी छलावा है ना करना यकीं इन भोली सूरतों पर नक़ाब हैं, महज़ दिखावा है मुस्कुराती हुई नज़रों में भी छिपे हुए अश्क समंदर देखे क्या बताऊँ कैसे-कैसे मंज़र देखे... अपनों के हाथों में खंजर देखे उजड़ गए घोंसले परिंदों के वृक्षों में मगर हरियाली थी रोते देखा शाम को मैने आसमां पर छाई लाली थी रंग-बिरंगे मकानों को भी भीतर से पड़े खंडहर देखे क्या बताऊँ कैसे-कैसे मंज़र देखे... अपनों के हाथों में खंजर देखे क्या बताऊँ कैसे-कैसे मंज़र देखे अपनों के हाथों में खंजर देखे... #भुवनेश #yqbaba #yqhindi #yqdidi #yqbhaijan #yqaestheticthoughts #paidstory