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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मेरे साथ ही दफ़न हो जायेंगे सारे, मेरे अल्फाज़ दगाबाज नहीं होंगे..। ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS मेरे साथ ही दफ़न हो जायेंगे सारे, मेरे अल्फाज़ दगाबाज नहीं होंगे..।
Deepak Gupta
उसके आ जाने से मेरे दिल को सुकून आएगा वह बेदर्दी मेरे दिल का चैन जो ले गया। ©Deepak Gupta # अरमान
Arun Mahra
फूल भले ही सुंदर हो लेकिन कुछ लोगों के दिल फूलों से भी सुंदर होते हैं जैसे की आपका मां ©Arun Mahra मेरे मां को दिल से प्यार मिले ढेर सारे
shivam kumar Sharma
मेरी आँखो में जो ये आँसू है इसे आँखो में ही रहने दे अरमान मुक्कमल करना था,अरमान मुक्कमल हुआ नहीं तो अरमानों को भी थोड़ा आँसू बनकर बहने दे ।। ©shivam kumar Sharma #अरमान
Arora PR
White अपने सामने मेरा सज़ा संवरा व्यक्तित्व देख कर आईने की आँखे भी पथरा गई कहने लगा इस उम्र मे भी तुम अपने अरमानो क़ो संमैट कर क्यों नहीं रख पाए तुम? ©Arora PR अरमान
Writer @143
White अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का,,,, शिकवा है।। खुद से खामोश रह जाने का,,, दीवानगी इससे बढ़कर और क्या होगी।। आज भी इंतजार है,,।। तेरे आने का ©Writer @143 #Romantic अरमान
Shashi Bhushan Mishra
खेत और खलिहान खरीदे, दिल में कुछ अरमान खरीदे, करते रहे मोहब्बत उनसे, जितने भी बेज़ान खरीदे, आजीवन चुकता ना होवे, कुछ ऐसे एहसान खरीदे, लहरों से हो गई मुहब्बत, घर में ही तूफ़ान खरीदे, आता-जाता रहे शज़र पे, कुछ पंछी अनजान खरीदे, शासन सत्ता के डर से ही, हमने कुछ दीवान खरीदे, तलवारें हो जाए न जंगी, रखने को कुछ म्यान खरीदे, ज्ञानचक्षु खुल जाए 'गुंजन', गीता और पुराण खरीदे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #अरमान खरीदे#
Laxmi Tyagi
जब जीते जी कुछ न कर सके, मरकर ही क्या हो जायेगा? हो न सके अरमां जीते जी पूरे, ये दर्दों गम भी साथ ही जायेगा। ©Laxmi Tyagi #oddone # अरमान
Neel
White चाहा नहीं कभी मेरी ज़िंदगी में तू शामिल हो, और सोंचा नहीं कभी तुझसे दूर होकर जीने को। ख्वाहिशों को तेरी आँखों में देख लेता हूँ, पर चाहा नहीं कभी तेरे बगैर उनको जीने को। गर होती दोस्ती तो खुले आम बता देते सबको, पर ये तो मुहब्बत है इसे सीने में छुपकर रहने दो। उनकी आँखों में मैंने खुशियों की चमक देखी है, बन्द पलकों में उन्हें डूबकर अब रहने दो। आजकल खामोश से रहते हैं वो ज़रा ज़रा, शायद तमाम आँसू मिले हैं उनको पीने को। कुछ कहानियाँ पन्नों में दबकर रह गयीं, कुछ सूखे गुलाब सहारा हैं गम पीने को। मुद्दतों बाद आज देखा है उन्हें हँसते हुए, शायद कोई वजह मिल गयी है उनको जीने को। या बीते हुए हसीन लम्हों को फिर दोहराया है, शायद यही खुशी है जो कहती है फिर से जीने को। आज उड़ने को बेताब है मनपंक्षी उन्हें उड़ जाने दो, पास लाओ अपने कदमों को इन्हें छूकर ही बहक जाने दो। मुद्दतों बाद तेरी कुछ खैर मिली है मुझको, छुपे से जो अरमान हैं गले लगकरके मचल जाने दो। 🍁🍁🍁 ©Neel अरमान 🍁