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Ankit Singh
कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक नहीं कर रहे थे। ©Ankit Singh कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक न
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Poet Maddy
हमारी ये दास्तान सदा यूं ही अधूरी रहेगी, हमारे दरम्यान सदा इसी तरह दूरी रहेगी......... तू किसी और के साथ खुश है ज़िंदगी में, पर तुझे ताउम्र चाहना मेरी मजबूरी रहेगी........ ©Poet Maddy हमारी ये दास्तान सदा यूं ही अधूरी रहेगी, हमारे दरम्यान सदा इसी तरह दूरी रहेगी......... #Story#Remain#Incomplete#Always#Distance#Happy#Life#C
HintsOfHeart.
"कहते हैं, धरती पर सब रोगों से कठिन प्रणय है लगता है यह जिसे, उसे फिर नींद नहीं आती है दिवस रुदन में, रात आह भरने में कट जाती है मन खोया-खोया, आँखें कुछ भरी-भरी रहती है भीगी पुतली में कोई तस्वीर खड़ी रहती है"¹ ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_'दिनकर' के काव्य नाटक #उर्वशी' से। 1.इसके लिए 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
Ravendra
राजकारण
आईनेच पोटच्या लेकरांचं मुंडकं धडावेगळं केलं ©राजकारण सोलापूर/कुईवाडी : घरात सर्वांनी एकत्रितपणे जेवण केले.. आजी-आजोबा एका नातेवाइकांच्या लग्नाला गेले.. सहा वर्षीय चिमुरड्याचे पप्पाही कामानिमित्
Ravindra Singh
न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी… न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी , तू भूल गया है , या मुझे भूलने का नाटक कर रहा है । तू ऐसा तो बिल्कुल न था , ज़रूर कोई बात है । बता जरा, तू क्यूँ इतना बदल रहा है । मुझे यक़ीन है , मेरी यादें तेरे दिल में करतीं हैं बसेरा , क्या विचार ? तेरे दिल में मेरे लिए खल रहा है । न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी… बता तेरी लगी आदत को मैं भुलाऊँ कैसे , तूने तो समझा लिये ख़ुद को , ख़ुद को मैं समझाऊँ कैसे । एक तू ही है जिसका ज़िक्र , मेरा दिल हर बार करता है , तू नहीं कर रहा अब , इसे मैं बताऊँ कैसे । तुझसे आग्रह है , न कर ख़ाली इस दिल को , जो कभी तेरा घर रहा है । न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी , तू भूल गया है, या मुझे भूलने का नाटक कर रहा है । ©Ravindra Singh न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी… न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी , तू भूल गया है, या मुझे भूलने का नाटक कर रहा है । तू ऐसा तो बिल्कुल न था , ज़रूर
Shaarang Deepak
Shaarang Deepak
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक