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꧁༺Kǟjǟl༻꧂
नज़रे इनायत मुझ पर इतना न कर 'काजू' , की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं , मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की , मैं तेरे इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं ... ©꧁༺Kǟjǟl༻꧂ नज़रे इनायत मुझ पर इतना न कर 'काजू' , की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं , मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की , मैं तेरे इश्क़ के जहर का आदि ह
नज़रे इनायत मुझ पर इतना न कर 'काजू' , की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं , मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की , मैं तेरे इश्क़ के जहर का आदि ह
read moreदक्ष आर्यन
White कुछ बात ज़ख्म दे जाती है, घाव दे जाती गहरा पर रैत के जैसे बिखर रही है, सांस वक़्त के सहरा पर ©दक्ष आर्यन #Sad_Status कुछ बात ज़ख्म दे जाती है, घाव दे जाती गहरा पर रैत के जैसे बिखर रही है, सांस वक़्त के सहरा पर
#Sad_Status कुछ बात ज़ख्म दे जाती है, घाव दे जाती गहरा पर रैत के जैसे बिखर रही है, सांस वक़्त के सहरा पर
read moreनिर्भय चौहान
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ये अजनबी से रास्ते अब अपने लगते हैं। ये देवदार तने हुए हैं जैसे प्रहरी हो प्रेम के। बर्फीली हवाओं में सिमटा जिस्म तेरे ख्वाब देख कर, कश्मीरी सिगरी की गर्माहट पा रहा है। ऐसे में तुमसे गुजारिश है कि न मत कहना। वरना डल झील के शिकारों पर मोहब्बत तनहा कैसे बैठेगी। या कौन पियेगा कहवा । चांदनी रात में श्वेत निर्मल पहाड़ पे चांद क्यों देखेगा कोई। जब तुम न होगी साथ उसे चिढ़ाने को। एक बेदाग हुस्न लिए धड़कनों का गीत हो जाना तुमने सीखा है कहां से पत्थर को मोम बनाना। कोई जादू है, तो हो मगर अच्छा लगता है। तुम,तुम्हारा साथ,और ये एहसास बस सच्चा लगता है। ऐसा लगता है कि अब फिर से सुबह हो रही है। ऐसा लगता है कि फिर से शाम सुकून लाई है। सहमी सहमी सी उम्मीदों को हौंसला मिल रहा है। जैसे नन्हे परिंदे को नया घोंसला मिल रहा है। सुबह शबनम की बूंद में जैसे तारे समाए हों, सुदूर अंधेरे सागर में किसी कश्ती पे बैठे मछुआरे ने दिया जलाया हो, अपनी तनहाई को बांटने के लिए। जैसे ऑफिस की एक चाय बांट लेती है , तुम्हारे साथ मेरी खुशी। मैं भी बांटना चाहता हूँ तुमसे जिंदगी अपनी। घर की दहलीज पे दिखता है मुझसे शुभ्र कलश। और तेरे पांव में महावर भी। खनकते कंगनों की बीच तेरे पायलों का गीत है, और तेरी छोटी सी नाक नहीं आती बीच में, जब अधर एकसार हो रहे होते है। मेरी आंखों पे तेरा चेहरा और मेरे घर के खुले दरवाजे पे परदा झूल गया है।। ©निर्भय चौहान #SunSet Vandan sharma katha(कथा) mahi singh करम गोरखपुरिया
#SunSet Vandan sharma katha(कथा) mahi singh करम गोरखपुरिया
read morepriyanka pilibanga
White अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। दरिया दूर दूर तक फैला है, अपने बाजुओं को देख पतवारें ना देख। लाखों से जंग लड़नी है तुझे, कट चुके हैं जो हाथ, उन हाथों में तलवारें ना देख। अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। हो सके तो किसी का रक्षक बन, किसी के नज़ारे ना देख। राख है चारों तरफ बिखरी हुई, राख में चिनगारियां ही देख , अंगारे ना देख। अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। ©Priyanka Poetry खुद पर काम कर
खुद पर काम कर
read moreVinod Mishra
Anjali Singhal
"और कितना खुमार चढ़ेगा तुम्हारा मुझ पर! रूह तलक को वश में कर लिया इसने अपने रंग में रंगकर!!" #AnjaliSinghal #Shayari #loveshayari love re
read moreनवनीत ठाकुर
White उम्मीद की लौ हो, तो टूटे दिलों में उम्मीद भर दे, बुझते चिराग़ों को फिर जलने पर मजबूर कर दे। अंधेरों में भी रोशनी का सुराग दे, बुझते चिराग को उम्मीद से जलने की चाहत दे। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर उम्मीद की लौ हो, तो टूटे दिलों में उम्मीद भर दे, बुझते चिराग़ों को फिर जलने पर मजबूर कर दे। अंधेरों में भी रोशनी का सुराग दे,
#नवनीतठाकुर उम्मीद की लौ हो, तो टूटे दिलों में उम्मीद भर दे, बुझते चिराग़ों को फिर जलने पर मजबूर कर दे। अंधेरों में भी रोशनी का सुराग दे,
read moreamar gupta
White मैं तो तेरे प्रेम मे डुबा हुआ हूँ , मेरी तो अब बुद्धि भी काम नही करती हैं ... तू समझदार है ना, तू ही बता ना मुझे क्या करना है ? अगर मैं और मेरा साथ तुझे अब पसंद नही तो, आजाद कर दे ना मुझे अपनी आंखो से , क्यू तुने मुझे उनमे उलझाये रखा है ।।। ©amar gupta #आजाद कर दे ना...
#आजाद कर दे ना...
read moreneelu
White कोई कर दे ..और ...हो जाए उसे क्या कहते हैं ©neelu #sad_quotes #कोई कर दे #और हो जाए उसे क्या कहते हैं
#sad_quotes #कोई कर दे #और हो जाए उसे क्या कहते हैं
read moreनवनीत ठाकुर
इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे। मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे। छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, हर कदम पर अपनी पहचान तो दे। दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा, किसी के रोकने से भी न रुके, वही सच्चा इन्सान तो दे। ©नवनीत ठाकुर "इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे, मंजिल को कोई मुकाम तो दे, छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ हर कदम पर अपनी प
"इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे, मंजिल को कोई मुकाम तो दे, छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ हर कदम पर अपनी प
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