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piyush pandey
जो भी बात हो,धीमे से हो इस शोरोगुल में मोहब्बत नही होती. अब जी ही रहे हैं,तो सुकून चाहिए गर जो मर जाते, तो बगावत ही होती. पीयूष पांडेय अफरा तफरी से कही दूर मुझे मोहब्बत दिखती है, आपको भी दिखती है क्या??? Pinky Kumari Nitesh Kumar Rupam Sah Pinky Kumari Nitesh Kumar Rupam Sah
Bhawna Arora
Kya vo bhi..... 🙂 Read the caption 👇 # क्या वो भी तुम्हें वैसे ही चाहतीं हैं, जैसे कि मैं.... # क्या वो भी तुम्हारी ही गलती होने पर खुद sorry बोल दिया करती है, # क्या वो भी तुम्
Pratibha Tiwari(smile)🙂
ज़िन्दगी ने इतना सिखाया है कि एक बार उससे मुलाक़ात हो तो मैं सिखा दूं उसे किसी को इतनी तकलीफ़ देना अच्छी बात नहीं। के जिंदगी तेरी ही करामात है ये कि किसी का पूरा दिन बीत जाता है उसे पता नहीं चलता तो किसी की दर्द में गुजरती रात भी नहीं। ___pratibha's writting ❤❤❤ ज़िन्दगी क्या दिखती है #nojoto #nojoto हिंदी
Ajay Dudhwal
एक अंधे को क्या खबर कि उसकी उदासी कैसी दिखती है।। ©Ajay Dudhwal एक अंधे को क्या खबर कि उसकी उदासी कैसी दिखती है।। #FindingOneself
writer Aashika Jain
दुनिया वो नहीं है जो दिखती है दुनिया वो है जो दिखती नहीं है लेखिका : आशिका ©writer Aashika Jain दुनिया वो नहीं को दिखती है दुनिया वो है जो दिखती नहीं है...
संगीत कुमार
(सजनी) श्रृंगार में खूब दिखती हो। श्रृंगार की तू अवतारी हो।। मृगनयनी, सजनी लगती हो। कुसुम की तरह तू मन में खिलती हो।। श्रृंगार में खूब दिखती हो। श्रृंगार में क्या लगती हो। रूप तेरा जो गोरा है।। जोवन क्या तू महकाती हो। मन में क्या खूब भाती हो।। श्रृंगार में खूब दिखती हो। रूप तेरा जो गोरा है। चेहरा तेरा क्या चमकीला है।। ओंठों में लाली छायी है। कंठ की क्या मधुर वाणी है।। श्रृंगार में खूब दिखती हो। आँखों की काजल क्या चुभती है। माथे की बिंदी क्या खिलती है।। लम्बी -लम्बी जुल्फें क्या लहराती है। कानों की बाली क्या खूब दिखती है।। श्रृंगार में क्या खूब दिखती हो। हाथों की चूरी क्या खूब खनकती है। पैरों की पायल क्या छनकती है।। बालों का गजरा क्या खूब गमकता है। मन में मेरे झनकार सी उठती है।। श्रृंगार में खूब दिखती है। घर को खूब सजाती हो। मन को क्या खूब भाती हो।। दिल में जो तुम बसती हो। अपना रंग बिखेरती हो।। श्रृंगार में खूब दिखती हो। तुझे क्या खूब निहारा हूँ। अपने बाँहों से लगाया हूँ।। तेरे प्यार में ही तो जीता हूँ। रग-रग में जो तू समायी हो।। श्रृंगार में क्या खूब दिखती हो। क्या दिव्य तेरा मुखरा है। नैनों में मेरे दिखती है।। प्राणों में तू रहती है। संगीत मन में समायी है।। श्रृंगार में खूब दिखती हो। ©(संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (सजनी) श्रृंगार में खूब दिखती हो। श्रृंगार की तू अवतारी हो।। मृगनयनी, सजनी लगती हो। कुसुम की तरह तू मन में खिलती हो।। श्रृंगार में खूब
प्रभाकर अजय शिवा सेन
स्याही-दर-स्याही दिखती है, हर ओर मुझे तबाही दिखती है। सच को फाँसी पर लटकाने के लिए, हर एक गवाही दिखती है। रिश्तों में अब सन्नाटों की, नित आवाजाही दिखती है। यह नियत झेलती आज खुशी, दुःख के घर ब्याही दिखती है। ©प्रभाकर अजय शिवा सेन स्याही-दर-स्याही दिखती है।
chandan
कितनी हसीन दिखती है तू मुझसे मेरी नज़र भी ना संभाला गया। कितनी हसीन दिखती है तू
Lokesh Kumar
मासूम सी दिखती है मगर वो गुनहगार भी बहुत है मैं क्या करूं मेरे मौला मुझे उससे प्यार भी बहुत है हर उसूल तोड़ने का माद्दा रखती है मगर वो रस्मों-रिवाजों के आगे लाचार भी बहुत है राह-ए-इश्क में वो बेवफा निकली तो क्या हुआ अंदाज-ए-बेवफाई में वो वफादारी बहुत है जुबा लाख कहे वो आए ना आए कोई फर्क नहीं मगर मेरे दिल को उसका इंतजार भी बहुत है चेहरे से भले ही वो बा-सुकून नजर आती है मगर मैं जानता हूं वो दिल से बीमार भी बहुत है मासूम सी दिखती है मगर........... 📝 by. Lo.ve Lokesh verma मासूम से दिखती है मगर......
Saurabh Pandey
उनके झूठो में थोड़ी सच्चाई भी दिखती है... हैं बहुत दुष्ट पर थोड़ी अच्छाई भी दिखती है लेकिन मैं करू भी तो क्या करू? मै चलता हूं तो उनकी परछाई भी दिखती है... - Saurabh Pandey उनके झूठो में थोड़ी सच्चाई भी दिखती है... हैं बहुत दुष्ट पर थोड़ी अच्छाई भी दिखती है लेकिन मैं करू भी तो क्या करू? मै चलता हूं तो उनकी परछाई