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N S Yadav GoldMine

#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} इंसान बना था, प्यार करने के लिए, और रुपया-पैसा बना है, इस्तेमाल करने के लिए, लेकिन अब इंसान का इस्तेमाल

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
इंसान बना था, प्यार करने के लिए, 
और रुपया-पैसा बना है, इस्तेमाल 
करने के लिए, लेकिन अब इंसान का 
इस्तेमाल माल होता है, सबसे ज्यादा 
रुपये-पैसे से प्यार करने लगे हैं, 
अधिकांश लोगों के दुःख का कारण 
भी बना है, ये उलट-फेर का रिवाज।।
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey}
इंसान बना था, प्यार करने के लिए, 
और रुपया-पैसा बना है, इस्तेमाल 
करने के लिए, लेकिन अब इंसान का 
इस्तेमाल

N S Yadav GoldMine

#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधेकृष्ण जी!! कर्म तो करना है, लेकिन कर्म और उसके फल की आसक्ति से रहित होकर। इस तरह कर्म करने स

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
कर्म तो करना है, लेकिन कर्म और 
उसके फल की आसक्ति से रहित 
होकर। इस तरह कर्म करने से कर्म 
प्रवाह का अंत होकर कर्म केवल 
क्रिया मात्रा रह जायेंगे और जीव 
कर्म बंधन से मुक्त हो जायेगा।

©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey}
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
कर्म तो करना है, लेकिन कर्म और 
उसके फल की आसक्ति से रहित 
होकर। इस तरह कर्म करने स

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

*श्री हनुमान प्रसाद, पुलिस अधीक्षक, जिला डीडवाना-कुचामन के निर्देशन में पुलिस मुख्यालय द्वारा "अवैध मादक पदार्थों की रोकथाम हेतु विशेष अभिया

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मादक पदार्थ की तस्करी

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA *श्री हनुमान प्रसाद, पुलिस अधीक्षक, जिला डीडवाना-कुचामन के निर्देशन में पुलिस मुख्यालय द्वारा "अवैध मादक पदार्थों की रोकथाम हेतु विशेष अभिया

Bharat Bhushan pathak

सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठ

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बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला।
इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।।
पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया।
प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।।
आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना।
जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।।

©Bharat Bhushan pathak सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त ।

16 मात्रिक पद ठ

Bharat Bhushan pathak

poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi इस छंद में विशेष :-5वीं,8वीं 17वीं व 20वीं मात्रा लघु।

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दिग्पाल (या मृदुगति) छंद 
मापनी- 221 2122 221 2122 
लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा 
छंदाधारित फिल्मी गाने- 
1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे 
2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा 


मानो अभी यहाँ जो बातें तुम्हें बताऊं।
संस्कार इस जगत में पूजित हुआ सुनाऊं।।
पशुवत हुआ मनुज जो संस्कारहीन होता।
सोचें भला जगत जो वह प्रेमनीर सोता।।

©Bharat Bhushan pathak  poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi
इस छंद में विशेष
:-5वीं,8वीं 17वीं व 20वीं मात्रा लघु।

नवनीत ठाकुर

#हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।

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White हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा,
डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा।
करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने,
बताओ सच, तो फिर डर किस बात का।

गुणवत्ता की जरूरत है, न कि मात्रा की,
संख्या का क्या मोल, जब कमी हो ज्ञान की।
प्लासी की लड़ाई भी सबक सिखा गई,
इतनी बड़ी आबादी मुठ्ठी भर अंग्रेजों से हार गई।

आज चंद यहूदियों ने दुनिया हिला दी,
कर्म और बुद्धि से किस्मत बना दी।
तो क्यों न हम अपने को मज़बूत बनाएं,
गुण और शिक्षा से नई रीत लाएं।

जरूरत है पुरुषार्थ की, परमार्थ की,
धर्म को समझने वाले सच्चे विचार की।
राजनीति की रोटियां सेंकना छोड़ो,
धर्म को हथियार बनाना अब मोड़ो।

आत्मबल से जीतें, प्रेम का दीप जलाएं,
हिंदूत्व का मतलब सही सबको समझाएं।
हिंदुत्व सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है,
हर मनुष्य के उत्थान की सच्ची अभिव्यक्ति का तरीका है।

©नवनीत ठाकुर #हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा,
डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा।
करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने,
बताओ सच तो फिर डर किस बात का।

Bharat Bhushan pathak

#मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे

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मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak #मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu

मण्डूक दोहे
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