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Ishvarchand vidyasagar
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि उसे हमें छोड़कर कही दूर चले जाना चाहिए विद्यासागर
Madhur Bhaiji
डगमग मैं जिस भव सागर में उस सागर की तू शान है, मैं कश्ती कच्ची कागज की पर तू विशाल जलयान है। हो मोक्ष पंथ के राही तुम इतनी अर्जी बस सुन लेना, हमको भी पार निकलना है कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ।। ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर
Madhur Bhaiji
डगमग हम जिस भवसागर में उस सागर की तुम शान हो मैं कश्ती कच्ची कागज की पर तुम विशाल जलयान हो तुम मोक्षपंथ के राही हो इतनी अर्जी बस सुन लेना हमको भी पार निकलना है कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर महाराज
'Bharat' Sachin
# गुरुवर विद्यासागर # "अंकित मेरे भावों में सदा से ही ये बात है, मेरे मन में भी गुरुवर समर्पण के भावार्थ हैं। जिनके चरणों में रहूँगा, मैं जीवन भर नतमस्तक, वो एक मेरे माँ-बाप हैं, और दूसरे आप हैं।।"....✍🏻 - 'भारत' सचिन #आचार्य विद्यासागर जी महाराज #आचार्य_विद्यासागर_महाराज
Samil Jain
गंगा जिनके चरण पखारें, पंक्षी करते जिनका आवाहन है। चँदा-सूरज भी जिनके सामने लगते फिखें सारे हैं, यह तो सारे जग के नैनों के तारे है। ज्ञान आभा के तेज से जिनको , सारे जग में जाना जाता है। जिनके दर्शन मात्र से , सारा कष्ट मिट जाता है । जब तीनों सम्यक जो जानने वाले ,जब चमत्कार देखाते हैं। तब उनके पावन चरणों में ,कामदेव भी नतमस्तक हो जाते हैं। सुन्दर पुंज प्रभा को देखकर जब ,गुरुदेव मुस्करातें हैं। संसार के सारे जीव, प्रफुल्लित हो जाते है। समय सार ,मुँख माटी के, यह तो कथन प्रखर प्रणेता है। सारे जग को जानने वाले , इस युग के यह परम देवता हैं। त्याग ,तपस्या और करूणामय कंचन सी ,जिनकी छाया हैं । सबके मन को मोहित करने वाली , जिनकी महावीर सी काया हैं। पूरे जग के सारे तीरथ होते जिनमें, जिनमें चारों धाम है। इन महान परमात्म विद्या-गुरू, जिनको तीनो लोकोंं का भान है। ऐसे इस युग के भगवन के चरणों में , हमारा बारंवार प्रणाम हैं। ©Samil Jain संत शिरोमणि आचार्य भगवन 108 विद्यासागर जी महाराज..!🙏🙏
chahat
आचार्य श्री विद्या सागर जी के चरणों में समर्पित जिस दीपक के, चारो ओर बसेरा है, उस दीपक की जलती हुई लौ, आप ही है,गुरुवर।। जिसकी रोशनी से सम्पूर्ण जैनत्व, जगमगा रहा है, उस धर्म की ध्वजा आप ही है,गुरुवर चारो ओर बिखरे है आपके तेजस्व मोती उनकी चमक की डोर आप ही है,गुरुवर ये अखंड ज्योत सदा जलती रहे गुरुवर आपकी छांव सदा मिलती रहे,,,,, सदा मिलती रहे,,,,,,।। चाहत,,,, आचार्य श्री विद्यासागर जिनके वचन सबके जीवन को करते उजागर,,,
Kumar Shashank
विद्यासागर तभी बने हो..... विद्यासागर तभी बने हो..... मुखमण्डल पर तेज प्रखर है ध्यान,योग,संयम में बल है आत्म रसास्वादन करते हो विद्यासागर तभी बने हो आभामण्डल दीप्ति
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
सत्य वचन विश्वशांति परिवार के संग ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust सत्य वचन VSSST अपने हित से पहले, समाज और देश के हित को देखना एक विवेक युक्त सच्चे नागरिक का धर्म होता है। - ईश्वर चन्द्र विद्यासागर
Kunal chouhan
न दिल से न दिमाग से हैप्पी दिवाली तन से मन से और धन से