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Parasram Arora
अंतर की पीर सुबक रही है तभी तो हमने अधरों पर हास कों बैठा दिया है मुठी भर छाँव की तमन्ना की थी हमने माना नही सूरज अपनी तपती किरणों से उसने हमेँ झूलसा दिया है हटा दीये है हमने पोथी पुराण और शास्त्रों कों अब लगता है हमने जीवन कों आसान कर लिया है मूंदी हुई आंखो कों आज हमने खोल कर देखा लिया है अब हमने आने वाली हर विपदा कों भी समझ लिया ह हमने नेकिया बाँट कर शुभकामनाये काफ़ी बटोर ली है. ऐसा करके हमने अपने अहंकार कों और भी चमका लिया है ©Parasram Arora अंतर की पीर
Sumit Kumar
सब अपने दिल के राजा है सबकी कोई रानी है, कभी प्रकाशित हो ना हो पर सबकी एक कहानी है, बहुत सरल है पता लगाना किसने कितना दर्द सहा है, जिसकी जितनी आंख हंसी है उतनी पीर पुरानी है.. प्रेम की पीर
tailor Suresh
जीत ना सके उनसे,अपने प्रेम का युद्ध, उनकी चलाकीयो की तलवारे कुछ ज्यादा ही तेज थी। पीर ,प्रीत की
Ek villain
वर्क फ्रॉम होम संस्कृत में नए लोगों को दफ्तर से लौटा आने के बाद मिलने वाला समय भी छीन लिया इसके चलते दुनिया भर के काम का जिस शिफ्ट खत्म होने के बाद भी दफ्तर के हर वक्त उपलब्ध रहने का दावा लोगों की कई समस्याओं से रूबरू करा रहे अपने हिस्से का समय ना मिलना मानवी अधिकार छीन जाना जैसे लग रहा है कि वह बजे की कई देशों में लाइट दो नेट कानून बनाया जाए इसी साल बेल्जियम में ही कानून लागू हुआ जिसके अनुसार काम काम घंटे खत्म होने के बाद एक कर्मचारी एक अपने बॉस के फोन कॉल या संदेश का जवाब देना जरूरी नहीं है फ्रांस इटली जर्मनी फ्रांस को भी और आज भी काम कर चुके हैं हालांकि शुरुआती दौर में स्वागत हुआ है कि इससे बचा जा सकेगा इससे उनके मन को सुकून मिलेगा लेकिन उनके उनके दफ्तर में लगे अब आम बात हो गई है घर के दायरे तक सीमित हम लोग से लगने वास्ता सही से सुधर जीवनशैली सब कुछ बिगड़ रहा है यही राइट द नोटिस के नेट की प्रधानों के माता-पिता व इन देशों में 10th का समय खत्म होने के बाद कोई अधिकारी अपने कर्मचारियों का कॉल ईमेल या टेक्स्ट संदेश भेजकर बेवजह तनाव में नहीं डालेगा ©Ek villain #खुद से जुड़ने की दरगाह #patience
Shailesh "saral"
हे शिवशंकर हे प़लयंकर जग की पीर हरो। जग की पीर हरो।। घोर हलाहल वसुधा पीड़ित अब विषपान करो हे शिव शंकर हे प्रलयंकर कर जग की पीर हरो। अनगिन भस्मासुर फिर सक्रिय देव शक्तियां हतप्रभ निष्क्रिय गहो त्रिशूल पुनः त्रिपुरांतक ! अब संहार करो । वसुधा आहत अंबर आहत मानवता का मन क्षत -विक्षत सजल नयन से तुम्हें निहारे अब उद्धार करो जग की पीर हरो। शैलेश 'सरल' जग की पीर हरो ।।
om_shiv_gorakhnath
के र,, दुख आंदा ही नी वहा, जहा खींच देवा मेरे बाबा अपने नाम की लकीर। शहर करनाल मैं सजाया दरबार उसका, जिसना कवा या दुनिया पक्के पुल वाला पीर। (जय बाबा हजरत ईलाही बक्श पक्के पुल वाला पीर की 🚩) ©om_shiv_gorakhnath जय हो पीर की