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Nair Ara
जो ये कहते है कि मां तो सिर्फ एक ही है बीवियों का क्या एक जाएंगी. . .दस मिल जाएंगी जरा सोचिए अगर उनके अब्बा हुजूर ने भी गर यही सोचा होता तो आज वो भी 🫣🤗😂 ©Nair Ara मां का हक अपनी जगह बीवियों का हक भी अपनी जगह
मां का हक अपनी जगह बीवियों का हक भी अपनी जगह
read moreनवनीत ठाकुर
चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का समंदर, साहिल न हो सका। ज़ख़्मों ने मुझे सीखा दिया सब्र का हुनर, पर दर्द था जो, दिल से ज़ाहिर न हो सका। हर ग़म को सीने से लगाया ख़ुशी समझ, मगर वो, हक़ीक़तों में क़ाबिल न हो सका। अरमान थे चाँद छूने के, मगर ऐ दिल, जो पास था भी, वो हासिल न हो सका। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का सम
#नवनीतठाकुर चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का सम
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White ख़ामोशी की भी अपनी एक जुबां होती है जिसे सुनने समझने का ख़ुलूस सबमें नहीं होता है दर्द और दूरियाँ बढ़ जाए इससे बेहतर होता है रिश्तों में ख़ामोश हो जाना एक जिंदादिल शख्स ख़ामोशी की चादर ओढ़ लेता है तब भी किसी को उसकी चुप्पी पर हैरानी नहीं होती.. वज़ह साफ़ है लोगों ने एहसास करना छोड़ कर ख़ुदी में रहना पसंद कर लिया है ©हिमांशु Kulshreshtha ख़ामोशी...
ख़ामोशी...
read moreBhati
मैंने कुछ कहना चाहा पर फिर लगा जो जान सकता है उनको शब्दों की जरूरत नहीं होती और जो समझ ही नहीं सकते उनके लिए शब्दों का महत्त्व नहीं होता और फिर मैंने कुछ नहीं कहा © Bhati ख़ामोशी एक आवाज़ है
ख़ामोशी एक आवाज़ है
read mores गोल्डी
मौसम निकाह का आया है न जाने किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए। ©s गोल्डी मौसम निकाह का आया है न जाने, किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए।
मौसम निकाह का आया है न जाने, किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए।
read moreAnuj Ray
खामोशी ने डाले डेरे " ग्रहण लगा है चांद को मेरे, ख़ामोशी ने डाले डेरे, दूर-दूर तक नहीं रोशनी, पसरी है जैसे अंधेरे गहरे। सुर्ख़ होंठ पर पड़ी कालिमा ,मुस्कानों के पड़े हैं टोटे , भंवरों का जीना मुश्किल है, सांझ सवेरे फिरते रोते। ©Anuj Ray # ख़ामोशी ने डाले डेरे "
# ख़ामोशी ने डाले डेरे "
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कभी कभी हमारे पास रंज करने की इतनी वजह होती हैं कि हम उन सब को जी भर सोच लेने के बाद बस ख़ामोश हो जाते हैं महज इसलिए नहीं कि हम समझ नहीं पाते किस बात का शोक मनाया जाए किस बात पर रंज किया जाए इसलिए कि.. ये एक अंतहीन हिस्सा हो गया है हमारी ज़िंदगी का ...। ©हिमांशु Kulshreshtha वज़ह ख़ामोशी की...
वज़ह ख़ामोशी की...
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