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कवि होरी लाल "विनीता"
मुझे पता है मैं मरूंगा एक दिन किंतु कभी न मारेगा मेरा विचार जब तक सांस हमारी चल रही मेरे तब तक हैं सब रिश्तेदार।। जो कुछ भी यहां पर मैं सीखा हू वही औरों को सिखाना चाहता हूं सब जन जन तक मेरी बातें पहुंचे इसीलिए मैं बात बताता रहता हूं।। कौन कब किस मोड़ पर मिला हमें यह बात याद नहीं रहती है इसीलिए हम लिख लिख रखते कभी जो नहीं भुलाई जा सकती है।। माता पिता पत्नी पुत्र पुत्री मेरे आंखों की रोशनी जैसे होते हैं जब यह सब हंसते मिल जाते तब हम कविता अच्छी लिखते हैं।। ©कवि होरी लाल "विनीता" एक दिन मैं मारूंगा
B.L Parihar
Raavan और सामने खड़ी भीड़ से पूछना चाहता हूं ... की तुम में से किसी ने महसूस किया क्या मेरे का दर्द ....? या तुम में से कोई उस कोई राम हैं क्या...? फिर हर वर्ष क्यों मेरे पूतले जलाते हौ......! #मैं रावण हूँ
Kamal bhansali
Raavan पर आज के इंसानों से पावन हूं भक्ति ऐसी की शिव की मान गये कि मुझसे बड़ा भक्त उनका कोई नहीं राम ने भी मेरे ज्ञान का सम्मान किया लक्ष्मण को मुझसे ज्ञान लेने का आदेश दिया पर मुझे बताओ दुनियावालों तुमने इंसानियत को कहां विदा किया उसका अपहरण कर क्या कहीं बलात्कार किया फिर मुझे जैसे जलाते उसे सदा के लिये मार दिया गर्व है मै रावण हूं मैने ऐसा कुछ नहीं किया ✍ कमल भंसाली मैं रावण हूं
Lohit Tamta
"मैं रावण हूँ" बहरूपिया नहीं मैं, छलिया नहीं मैं सीना तान के अपना चलता हूँ, अपनी लंका का मैं राजा हूँ, दस सर वाला महा ज्ञानी मैं दशानन रावण हूँ, चेहरे है सबके छुपे हुए, मन में दुवेश भरे हुए, कहते हो खुद को मानव, तुमसे बेहतर तो मैं हूँ दानव, ना दान लूँगा ना भिक लूँगा, जो मेरा है मैं उसको छीन लूँगा, क्योंकि मैं रूद्र रावण हूँ, बुज़दिल नहीं मैं कायर नहीं मैं, जो पीठ में वार करते है, एक योद्धा हूँ मैं, इंसान क्या मैं भगवान से भी लड़ सकता हूँ, खड़ा हूँ हाथों में शस्त्र लिए हुए, है सामर्थ तो आओ युद्ध करो मुझसे, शत्रू के खून से भीगा मैं शत्रू विनाशी अति भयंकार रावण हूँ, तुम पूछते हो औकात मेरी, तो तुमको एक कहानी सुनाता हूँ, अपनी बहन के अपमान के लिए मैं स्वयं नारायण को भी युद्ध भूमि में ललकारा हूँ, हाँ मैंने हरण किया मैंने एक नारी का, ये दाग लगा मुझपे जन्मों का, मैं तो दानव था समझ ना पाया ज्ञान होते हुए भी ज्ञान को और एक नारी के सम्मान को, तुम तो फिर भी भगवान और ज्ञानी थे, जब एक नारी की नाक कटी तब तुम तेज़ प्रतापी मोन क्यों बैठे थे, तुम्हारे पास मेरे घर का भेदी विभीषण था, तब जाके छल से तुमने मुझको मारा था, वरना मुझे मारने का क्या तुम में सामर्थ था?? अटल रहा मैं, में डटा रहा मैं युद्ध भूमि में, मृत्यु के भय से भी डारा नहीं मैं, मृत हो कर भी मृत्यु पे विजय पा गया, मैं लंकेश्वर रावण हूँ। ©Lohit Tamta "मैं रावण हूँ"
Manku Allahabadi
Kill the Ravana inside you because मैंने माना मैं रावण था, तू भी तो सीता ना बन सकी, माना तुझे माया से हर के लाया था, पर तु तो अपने राम की भी ना हो सकी मेरी मासूमियत की अशोक वाटिका मैं तूने बहुत खेला है, आज बस रावण की तरह जल के खुद को आग में धकेला है रावण को लोग बस साल में एक बार जलाते है, तूने तो हमे पल पल जलाया है मैं रावण था!! #raavan
دردِ عشق
अगर मैं रावण होता तो महारुद्र का अभिमान हूँ तेजप्रताप ,विश्व मान हूँ, हा मैं रावण हूं , हां मैं रावण हूं , प्रेम भाव में थोड़ा अधीर हूं सत्य से थोड़ा बहिर हूं , हां मैं रावण हूं , हां मैं रावन हूं, मेरा प्रेम भाव कोई समझा ही नहीं , मैं क्यों हूं ऐसा किसने पूछा ही नहीं, लंका नरेश हूं, स्वयम् से पराजित हूं , ब्रह्म ज्ञान से भी शक्तिमान हूं , हां मैं रावण हूं, हा मैं रावण हूं! #हा #मैं #रावण हूं
जगदीश निराला
मैं ही राम हूं .मैं ही रावण ******************* मात पिता की सेवा करके. भाई से भरत सा स्नेह जताकर अन्याय के विरूद्ध खड़ा होहूं तो. मैं राम ही हूँ। दलितों की सेवा में लगू. अहंकार ना आवे तो मैं ही राम हूं। अभिमान जताऊं क्रोधित होकर. भाई को मारुं अपनों को मराऊं तब तब मैं रावण कहलाऊं पर नारी पर रखूं कुदृष्टि. मैं तब रावण हूँ। काम क्रोध मद लोभ मोहत्याग दूं तब मैं ही राम हूँ। जगदीश निरालाःमांगरोल मैं ही राम मैं ही रावण..