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Amit Kumar Dey
मूर्ख व्यक्ति स्वयं को बुद्धिमान मानता है लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति स्वयं को मूर्ख मानता है। - विलियम शेक्सपियर मूर्ख व्यक्ति स्वयं को बुद्धिमान मानता है लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति स्वयं को मूर्ख मानता है। - विलियम शेक्सपियर
Mukesh Poonia
एहसास करें कि आप वास्तव में क्या चाहते हैं। इससे आप तितलियों का पीछा करने से बचेंगे और सोना खोदने में जुट जाएंगे। विलियम मोल्टन मार्सडेन . ©Mukesh Poonia #akela #एहसास करें कि आप #वास्तव में क्या चाहते हैं। इससे आप #तितलियों का पीछा करने से बचेंगे और #सोना खोदने में जुट जाएंगे। #विलियम #मोल्
REETA LAKRA
विलियम शेक्सपियर 26 अप्रैल 1564 से 23 अप्रैल 1616 तक जीवन जीया, मेरी आॅर्डेन और जाॅन शेक्सपियर के यहाँ देहधारण किया, छह भाई बहनों में तीसरा स्थान, बचपन में पढ़ाई छूट गई थी, आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था, 1587 में लंदन जाना पड़ा , रंगशाला में नौकरी करनी पड़ी , नौकरी करते नाटक लेखन में जब रुचि जागी तब अपनी रचनाओं में अंतरात्मा को निकाल कर रख दिया, रचनाओं को अच्छाई सच्चाई का प्रतिबिंब बना दिया, समाज को गंभीर नैतिक संदेश दिया। 16वीं शताब्दी के सर्वोच्च अंग्रेजी कवि नाटककार और अभिनेता कौन ? 16वीं शताब्दी उनका दौर ,चारों दिशाओं में उनके नाटकों का वर्चस्व , दुनिया के सबसे सफल नाटककारों में से एक, कुशल, तीक्ष्ण बुद्धि एवं प्रतिभा के धनी कौन ? इंग्लैंड में सम्मान हुआ, कुशल क्षमता को विश्व ने माना, जिनके बिना अंग्रेजी साहित्य प्राण बिना शरीर समान, 38 विश्व प्रसिद्ध नाटकों, दो कविताओं के रचयिता, हैमलेट, आॅथेलो, मैकबेथ जैसे साहित्य के साहित्यकार, उनकी 'हैमलेट' से बना हैदर,'आॅथेलो' से बना ओमकारा, 'मैकबेथ' से बना मकबूल हास्य नाटकों के लेखन से शुरुआत और रंगमंच में प्रदर्शन करने वाला कौन ? सर्वाधिक प्रसारित - प्रदर्शित 'रोमियो जूलियट के रचयिता कौन ? जग में सन शरीर रूपे नहीं परंतु रचनाओं के रूप में अब तक जीवंत कौन ? विलियम शेक्सपियर.. 👉 १२/०४/२०२१ ८७/३६५@२०२१ आइए, आज विलियम शेक्सपियर के जीवन की चर्चा करते हैं। अप्रैल का महीना उनके जन्मदिन और मरण दिन दोनों को समेटे हुए है। उनकी लेखनी को नमन 🙏
ख़ाकसार
महान लोग अपने से नीचे वालों को दबाते हैं ताक़तवर अपने से कमज़ोरों को मारते हैं क्रूर लोग किसी से नहीं डरते नहीं करते दयालु लोग साहस और बुद्धिमान परवाह नहीं करते। ~ विलियम मोरिस उपन्यास : ए ड्रीम ऑफ जॉन बॉल महान लोग अपने से नीचे वालों को दबाते हैं ताक़तवर अपने से कमज़ोरों को मारते हैं क्रूर लोग किसी से नहीं डरते नहीं करते दयालु लोग साहस और बु
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
psychology cal ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust शिक्षा मनोविज्ञान VEDANT GURUKULAM EDUCATIONAL PSYCHOLOGICAL WORLD 1. मनोविज्ञान के जनक. = अरस्तू 2. मनोविज्ञान के जनक= विलियम जेम्स 3. प्रय
Swatantra Yadav
दान नहीं, दानी का हृदय देखिये, कंकड़ नहीं, कंकड़ उठा कर सेतु में लगाने वाली गिलहरी की श्रद्धा देखिए केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन (120 कुंटल)अनाज पर बहुत से लोग मज़ाक उड़ा रहे है। सोशल मीडिया पर केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा
स्वतन्त्र यादव
दान नहीं, दानी का हृदय देखिये, कंकड़ नहीं, कंकड़ उठा कर सेतु में लगाने वाली गिलहरी की श्रद्धा देखिए केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन (120 कुंटल)अनाज पर बहुत से लोग मज़ाक उड़ा रहे है। सोशल मीडिया पर केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा
तुषार"आदित्य"
किताबें कम नही है दुनिया मे,हर एक लिपि में न जाने कितनी किताबें लिखी गई होंगी।अलग-अलग विषयों पर,अलग-अलग अंदाज़ से।कोई किताब बहुत मोटी होगी और कोई बहुत पतली। लेकिन मैं ये सोचता हूँ कि ये किताबें लिखी क्यों गई है,लेखक चाहता क्या है,क्यों उसने अपना इतना सारा वक़्त खर्च कर दिया इन किताबों के पीछे,न जाने कितने लोगों से लड़ा होगा,कितनो के ताने सहे होंगे कितनी ही सूरज बन कर गुज़ारी होंगी। ये सब किया भी होगा तो क्यों,क्या उसे पता होगा कि कोई उतनी ही शिद्दत से इन किताबों को पढ़ेगा जितनी शिद्दत से उसने लिखी है,क्या कोई उसके मन के सैलाब को उस तरह ही समझ पायेगा जैसे उसने उसका सामना किया है। बस इतना समझ आया कि वो दुनिया के नज़रिये के सामने अपना नज़रिया रखना चाहता था,वो लोगो के ज़ेहन में रहना चाहता था, कुछ शब्दों के रूप में,वो लोगो की ज़िंदगी का कीमती वक़्त बचाना चाहता था,वो बताना चाहता था कि रास्ते मे आने वाले कांटो पे किस तरह से पैर रखा जाए कि वो कम चुभें,और चुभने के बाद होने वाले दर्द पर शब्दों का मरहम लगाना चाहता था। लेकिन हर किसी को किताबें पढ़ने का शौक नही होता,लोग समझदार होते जा रहे है और डिजिटल भी। किताबों का भाव और लोगो का स्वभाव दोनों का ही स्तर थोड़ा निचले पायदान पर है,किताब चाहे कैसी भी हो बस उसका "शीर्षक" मतलब नाम थोड़ा अलग होना चाहिये। मतलब 'विलियम' साहब"आज कल नाम मे ही सब रखा है".... किताबें कम नही है दुनिया मे,हर एक लिपि में न जाने कितनी किताबें लिखी गई होंगी।अलग-अलग विषयों पर,अलग-अलग अंदाज़ से।कोई किताब बहुत मोटी होगी और
RunstarBy mrityunjay