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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Parasram Arora
मेरे दुखो का मेरी पीड़ाओं का मूल स्त्रोत ये मेरा मन ही हैँ क्योंकि इसके केंद्र पर अहंकार का तत्व हैँ और परिद्धी पर वासनासो का जाल हैँ दुख सृजित करने केलिएइस मन को बड़े आयोजन करने पड़ते हैँ दैत्याकार मंसूबो के पहाड़ो पर चढ़ना पड़ता हैँ वासना की अँधेरी गलियों से होकर गुजरना पड़ता हैँ क्रोध और प्रलोभनो की कर्कश ध्वनियो को आत्मसात करना पड़ता हैँ i दुखो का मूल स्त्रोत........
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Raj
MarshCreation ©Raj #आत्मविश्वास ही #जीवन का स्त्रोत है
SUSHIL KUMAR- TETRADH, AKODHI GOLA
संगठन ही शक्ति का स्त्रोत है। संगठन ही शक्ति का स्त्रोत है।
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Parasram Arora
आश्चर्य होता है मुझे ज़ब लोगो क़ो मै हँसता हुआ देखता हूँ जबकि मै कभी हँस नहीं पाया क्योंकि मै नहीं जानता मेरी हंसी का स्त्रोत कहा है लेकिन मै अपने रुदन का स्त्रोत तो ढूंड चुका हूँ जो कूट कूट कर भरा है. मेरी जज़्बाती. कोशिकाओं मे इसिलए मुझे आज तक नहीं देखा. किसी ने भी हंसते हुए ©Parasram Arora स्त्रोत
Parasram Arora
खुशनसीब होगा वो दिन ज़ब पंच भूतों के अनमोल तत्वों से बना ये योग (देह ) बिखरेगा और अपने अपने स्त्रोतो से जा मिलेगा ©Parasram Arora स्त्रोत