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DEEPAK GUPTA
प्रेम एक ऐसा अनुभव है जो मनुष्य को कभी हार नहीं देता | ©DEEPAK GUPTA सुविचार मैगज़ीन
एस पी "हुड्डन"
आँचल मैं चिराग़ हूं तो अपने आंगन में रहूं, प्रेम की निशानी हूं तेरे दामन में रहूं। माँ छल दिया है बेवफ़ा इश्क़ ने मुझे, चाहता हूं तेरे बे-दाग आँचल में रहूं। ✍️"हुड्डन"🙏 #आँचल
ankit saraswat
आँचल तेरे आँचल सा माँ कोई स्वर्ग कहाँ, तेरे आँचल सा माँ कहीं भी सुकुन कहाँ, मेरा वजूद है तुझसे माँ तुझसा गुरु कहाँ।। #अंकित सारस्वत# #आँचल
Harikesh Rajput
आँचल मेरे चेहरे पर माँ का अश्क नजर आता है, माँ के आँचल में संसार नजर आता है। जब भी छुपाती है माँ अपने आँचल में मुझको, सच में आज भी मुझे अपना बचपना याद आता है।। # आँचल
Deep Shikha
आँचल अपनी आंचल में फिर से मुझे छिपा लो न मां मुझे अपने पास बुला लो न मां नहीं संभल कर चल सकती मै , इन भेडियों के भिड़ में मुझे अपने सीने से लगा लो न मां हां मां मुझे अपनी आँचल में , फिर से मुझे छिपा लो न #आँचल
vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684
विषय आंचल विधा गीत ********************* वो मोहब्बत में माँ के लिपटते थे आँचल आंचल की छाया चुंबन की कहानी ममता की लोरी आंचल की कहानी..... मुझे तुम लौटा दो मेरी कहानी नहीं कोई दुनिया मेरी बेगानी मुझे तुम लौटा दो मेरी कहानी..... नहीं थे जिंदगी में रंजोगम के मेले नहीं कोई उल्फत कोई कहानी मुझे तुम लौटा दो मेरी कहानी..... वो बचपन में ममता के आंचल में रहना ल़ोरी कहानी एक राजा था रानी मुझे तुम लौटा दो मेरी कहानी.... आया था राजा रानी को लेने मारे दुश्मन जीत गयी रानी मुझे तुम लौटा दो मेरी कहानी....... परियों के किस्से अलबेला था बचपन अलबेली थी हमारी जवानी हमें तुम लौटा दो मेरी कहानी..... रोते बालक अंखियायों का पानी ज़िद से लिपटते आंचल की छाया नैनों से बरसे जैसे नदियां सा पानी.... मुझे तुम लौटा दो मेरी कहानी इन अखियों ने देखे हैं सपने बुनते माँ की ममता वो बाबुल की कहानी मुझे तुम लौटा दो मेरी कहानी..... विमल सागर उत्तर प्रदेश ©Vimlesh Gautam #आँचल
J P Lodhi.
आँचल जीवन जिसमें पलता बढ़ता,वो कहलाता माँ का आंचल। मिलता है लाड दुलार स्नेह,मिलता माँ का सच्चा प्यार। मिलती है खुशियों की छांव,गम का होता न नमो निसा। नींद न आती रहता बैचेन,गाने लग जाती मीठी लोरी। आंचल मां का है अनमोल,हमको मिलता यह बेमोल। दुख सहती है सुख है देती, माँ होती ममता की मूर्ति। वह रहती है भूखी प्यासी,हमें अपना दूध पिलाती। वह खुद रहती है दौड़ धूप,हमें रखती आंचल की छांव झेलती मौसम की मार,रखती हमें आंचाल में छुपाए। देवता भी तरसते है ऐसा, मां का आंचल पाने को। इस आंचल की रखना लाज,माँ को रखना खुशहाल। ***आँचल***