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raj@1229"शापित"
!"जिस्म" की चादर को 'मन' से लपेटे हुए,! "खुद" को पाया प्रिये 'तुमसे'होते हुए!! #शापित
Manmohan Dheer
अगर तुम शापित हो तो बस इस अर्थ में कि कभी न जान पाओगे तुम क्या और कहाँ हो— % & शापित
raj@1229"शापित"
!'प्यार' करना सब सिखाते है, "भूलना कोई क्यूँ नहीं सिखाता"!! #1229@"शापित" #शापित
रजनीश "स्वच्छंद"
शापित।। शापित है ये लहू हमारा, शापग्रस्त मनोविचार है। कुंठित पड़ी है आत्मा, कलुषित जीवनधार है।। किस मुख लेखन का करूँ अभिनंदन, किस मुख निजमन की बात करूँ। हर मुख ताले जड़े चुप्पी के, किस किस दुख पे आघात करूँ। है अनुकम्पित हर प्राणी यहां, कुच्छ निज के कुच्छ औरों के बोझ तले। विषव्यापीत है विनय सवज्ञा,बाजार है, कारोबार यही हर रोज़ चले। अपनो की परिभाषा बदली,मन भी मन का निरादर करता है। किस ओर चलूं, अपने को ढूंढूं कहाँ,छुप जाने ये को लंबी चादर करता है। कहने को मनु की ये संतति, मनुज कर्मों से ही खीझ पड़ा है। काटो तो लहू का खतरा नही,आंखें खोले जैसे निर्जीव खड़ा है। समय सारथी ले चला इसे,घुटनों बल चलने का आडम्बर कैसा। स्वप्न संकुचित, मलीन सोच, फिर तेरी धरा ये कैसी, ये अम्बर कैसा। भीष्म तूणीर शय्या पे लेटा,मानव धृतराष्ट्र बना है घूमता। धर्मराज भार्या दांव में हारे,दम्भ दुर्योधन सा झूमता। है पौराणिक महाभारत नही,बस युग ने कथा को बदला है। अब लिए कर चीर कृष्ण नही, द्रौपदी तो अब भी अबला है। जिसकी लाठी भैंस उसी की, बली अत्याचार है। कुंठित पड़ी है आत्मा, कलुषित जीवनधार है।। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote शापित।।
raj@1229"शापित"
मेरी खामोशी में छिपे है मेरे शब्द, गीत,गजल मेरे "ज़ज्बात," "खुद" में सिमटी हुई मेरी तन्हाई, खुद से लिपटा हुआ मेरा खुद का 'साथ'!!!! #1229@"शापित" #शापित
Rooh
सुना है.. एक लड़की ने आत्महत्या कर ली देह और आत्मा को अलग कर दिया उसके नाखूनों मे थे सूखे खुरचन शायद कल यादों की दीवार खरोंचे थे दोनों आँखों से खून रिस रहा था सारे ख्वाबों का खून जो किया था उसकी पीठ पर कई नीले निशान थे भविष्य ने उसे तोहफे मे दिया था हथेलियों और तलवे पर ज़ख्म था जिसपर मक्खियाँ मंडरा रही थी अनकही चीखें गले से चिमटी थी ख़ामोशी चुपचाप गला रेत रही थी गाल पर भी जम गयी थी काई सारे आँसू के हमेशा जमे रहने से दिल सड़ कर काला पड़ गया था प्रेम होंठों पर सहमा सुबक रहा था विरह एक ऐसा शापित युग है जिसका अंत देहांत के बाद ही होता है शापित प्रेम
Rakesh Kumar Das
इस जन्म में ऐसे काम मत करो कि अंतिम समय में 4 लोग कहे कि इसका जीवन इतना शापित है। कितना दुःख कष्ट सह रहा है बेचारा । ©Rakesh Kumar Das #शापित जीवन
Richa Dhar
(मैं शापित नदी)✍️✍️✍️ """""""""""""""""""""""""""'"' मैं अविरल नदी सी बह रही थी कब शापित हुई पता भी न चला, मैं मौज में रहने वाली थी मैं पानी से कब रेत हो गयी पता भी न चला, मैं प्रेम से भरी लहरा कर चलती थी कब थम गयी पता भी न चला, है कोई जो इस शाप का अभिमान तोड़ दे मुझमें अभी भी नमीं है किसी को पता भी न चला, कोई आकर सहला दे,उंगलियों से कुरेद दे मुझे मैं कब सिमट गई मुझे पता भी न चला। ©Richa Dhar #LetMeDrowm मैं शापित नदी