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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Manshi Kashyap
मेरी चाहतों का सिलसिला ख़त्म नहीं होगा तुम जो चाहते हो वो मुझसे ज़ुल्म नहीं होगा मैं जो तुझे छोड़ इस दुनियां से बेगाना हो जाऊं .... फ़िर भी मेरे जाने के बाद मेरी चाहतों का सिलसिला ख़त्म नहीं होगा...... चाहतों का सिलसिला....
VivekG poetry
आंखों का सिलसिला कब दील तक पहुच गया। जहाँ न जाना था वहाँ वहाँ तक पहुच गया। अब रातो की करवटे भी बहुत बढ़ने लगी, जब वो सांसो से धड़कन तक पहुच गया। ✍विवेक #आंखों का सिलसिला
Nipun Raghav
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा जब आंखों ने मेरी उसका ख़्वाब देखा खुली आंखों के सपने होते है किस तरह मेने खुली आंखो वो एहसास देखा दिल में नमी सी थी उस कीसिकी कमी सी थी आंखो से कैसा बैर कोई समझाए ज़रा इसे मैने इसी कश्मकश में दोनों का तकरार देखा जब खुली आंखों ने उसका ख़्वाब देखा।। ख़्वाबों का सिलसिला
Dimple Lohar
सफर का सिलसिला यू ही चलता रहा बगैर उनके जी मचलता रहा बीच रास्ते लगी ठोकर कभी पत्थरों से तो कभी कभी पैर फिसलता रहा वो साथ था नहीं जो हमें संभाल सके दर्द ए दिल भी तन्हाई की आहट भरता रहा बैठ गये किसी सुनसान राह पर अकेले चारो ओर अँधेरा ही अँधेरा दिखता रहा उजाले की तलाश में थे और अँधेरे का काला साया बढ़ता रहा खुद को संभालने की बहुत कोशिश की लेकिन दिल भी उसके ना होने का एहसास जताता रहा ~~Dimple Panchal #सफर का सिलसिला
Dipin Tarbundiya
बातों का सिलसिला कभी खतम नहीं हुआ अरे! उनसे नहीं... खुदसे... बातों का सिलसिला...
Sanjay Ni_ra_la
मुलाक़ातों का सिलसिला अब जरूरी है एक बार तुमसे रुबरु होना अब जरूरी है अनकहे ज़ज्बात भी धूमिल पड़ने लगे हैं एहसासों का मंज़िल पर पहुंचाना जरूरी है 22 June 2023 ©Sanjay Ni_ra_la ##सिलसिला मुलाक़ातों का
S. Bhaskar
या खुदा तू बता कब थमेगा नाकामी का सिलसिला, या तो मुझे मिटा या फिर मेरी मुराद से मुझे मिला। माना तूने मुझे रचा है पर क्यूं भूल गया मेरी उम्मीदों को, या तो मुझको तन्हा कर दे या फिर कोई मंजिल तो दिखा। बरसते नैनों से कब तक मैं अपनी तकदीर संभालूं, या तो मुझे मना कर या फिर मेरे हिस्से का मुझे दिला। सुना है सारा जहां तेरे रहमों करम पर जिंदा है, या तो मुझपर से नजर फिरा या फिर मुझे कोई राह दिखा। अब सुने पन की आदत सी होती का रही है माफिलों बीच, या तो मेरा दामन थाम या फिर मुझे खुद में मिला। या खुदा तू बता कब थमेगा नाकामी का सिलसिला, या तो मुझे मिटा या फिर मेरी मुराद से मुझे मिला। नाकामी का सिलसिला